खनन News

गड़वा पहाड़ी और गंगा। उत्खनन के कारण पहाड़ के धूलकण के पानी में धूल गंगा में जाने से नदी प्रदूषित हो रही है। तस्वीर- राहुल सिंह

झारखंड: पत्थर उत्खनन से राजमहल की पहाड़ी के साथ आदिम जनजाति का अस्तित्व संकट में

रामू मालतो (बदला हुआ नाम) को यह पता नहीं कि लगातार हो रहे पत्थर उत्खनन के कारण छोटा पचरुखी पहाड़ पर स्थित उनके गांव का अस्तित्व कितने सालों तक कायम…
गड़वा पहाड़ी और गंगा। उत्खनन के कारण पहाड़ के धूलकण के पानी में धूल गंगा में जाने से नदी प्रदूषित हो रही है। तस्वीर- राहुल सिंह
साबरमती नदी किनारे स्थित थर्मल पावर स्टेशन। देश में कोयले की कमी की चर्चा के बीच कई ऊर्जा संयंत्र बंद होने की कगार पर हैं। तस्वीर- कोशी/विकिमीडिया कॉमन्स

क्या देश में कोयला संकट से तैयार हो रहा कानूनों में परिवर्तन का रास्ता?

पिछले कुछ दिनों से, देश के ताप विद्युत संयत्रों में कोयले की कमी की चर्चा जोरों पर है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी वजह से देश में…
साबरमती नदी किनारे स्थित थर्मल पावर स्टेशन। देश में कोयले की कमी की चर्चा के बीच कई ऊर्जा संयंत्र बंद होने की कगार पर हैं। तस्वीर- कोशी/विकिमीडिया कॉमन्स
खनन के बाद बाजार में भेजने के तैयार क्ले। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से इसे देश के कई हिस्सो में भेजा जाता है। इस खनिज का इस्तेमाल सीमेंट, सिरेमिक, प्लास्टिक, पेंट और कई अन्य उत्पाद बनाने में किया जाता है। तस्वीर- सुभ्रजीत सेन

[वीडियो] पश्चिम बंगाल: सफेद क्ले का काला संसार

पांच लोगों के परिवार में अकेले कमाने वाले 30 वर्षीय रबी बागडी पश्चिम बंगाल के काबिलपुर गांव के रहने वाले हैं। हर रोज काम के लिए वे घर से तीन…
खनन के बाद बाजार में भेजने के तैयार क्ले। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से इसे देश के कई हिस्सो में भेजा जाता है। इस खनिज का इस्तेमाल सीमेंट, सिरेमिक, प्लास्टिक, पेंट और कई अन्य उत्पाद बनाने में किया जाता है। तस्वीर- सुभ्रजीत सेन
हसदेव अरण्य का जंगल। यह प्राचीन जंगल पर्यावरण के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। तस्वीर- मयंक अग्रवाल/मोंगाबे

कोयला खनन की आशंकाओं से अंधकार में है छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य का भविष्य

छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के जंगल काफी प्रचीन है। जैव-विविधता और पारिस्थितिकी से संपन्न। कोयला खनन को लेकर पिछले एक दशक से यह जंगल बहस के केंद्र में रहा है।…
हसदेव अरण्य का जंगल। यह प्राचीन जंगल पर्यावरण के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। तस्वीर- मयंक अग्रवाल/मोंगाबे
छोटा नागपुर की पहाड़ियों से निकलकर दामोदर नदी हुगली नदी में जाकर मिलती है। प्रदूषण और बाढ़ की वजह से नदी काफी चर्चित रहती है। तस्वीर- राहुल सिंह

[वीडियो] झारखंड और पश्चिम बंगाल में दामोदर नदी का ‘शोक’ अब भी जारी

दामोदर नदी, झारखंड और पश्चिम बंगाल के करोड़ों लोगों के लिए जीवनरेखा है पर इसे बंगाल के शोक के तौर पर जाना जाता है। दशकों से इस पर काम होने…
छोटा नागपुर की पहाड़ियों से निकलकर दामोदर नदी हुगली नदी में जाकर मिलती है। प्रदूषण और बाढ़ की वजह से नदी काफी चर्चित रहती है। तस्वीर- राहुल सिंह
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य से अधिक जैवविविधता मांगर बानी के असंरक्षित जंगल में पाई गई है। तस्वीर- संशेय विश्वास और मैनो वर्चोट।

[वीडियो] देश की राजधानी से सटा ऐसा जंगल जिसे सैकड़ों साल से बचा रहे स्थानीय लोग

अरावली की पहाड़ियों में बसा हरियाणा का मांगर गांव इन दिनों चर्चा में है। चर्चा यहां के कंदराओं में मिले पाषाणकालीन पेंटिंग की हो रही है जिसे हाल ही में…
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य से अधिक जैवविविधता मांगर बानी के असंरक्षित जंगल में पाई गई है। तस्वीर- संशेय विश्वास और मैनो वर्चोट।
[व्याख्या] जस्ट ट्रांजिशन: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में पीछे छूटते लोगों की वकालत

[व्याख्या] जस्ट ट्रांजिशन: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में पीछे छूटते लोगों को साथ लेकर चलने की कोशिश

जस्ट ट्रांजिशन (जेटी) क्या है? आज के समय की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती है- जलवायु परिवर्तन। इसका असर बढ़ता ही जा रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए कार्बन…
[व्याख्या] जस्ट ट्रांजिशन: जलवायु परिवर्तन की लड़ाई में पीछे छूटते लोगों की वकालत
फिल्म शेरनी के एक दृष्य में जंगल का मुआयना करती अभिनेत्री विद्या बालन। तस्वीर साभार- शेरनी फिल्म

[साक्षात्कार] संरक्षण और मानव-वन्यजीव टकराव की ओर ध्यान आकर्षित करने का एक गंभीर प्रयास है शेरनी

जंगल और जैव-विविधता के मामले भारत की दुनिया में ख़ास पहचान है। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच संस्था के अनुसार दुनिया के वनस्पतियों और जीवों के कुल दर्ज़ प्रजातियों का लगभग आठ…
फिल्म शेरनी के एक दृष्य में जंगल का मुआयना करती अभिनेत्री विद्या बालन। तस्वीर साभार- शेरनी फिल्म
हीरे की खातिर दाव पर बुंदेलखंड का बकस्वाहा जंगल, विरोध में आए लोग

[वीडियो] हीरे की खातिर दाव पर बुंदेलखंड का बकस्वाहा जंगल, विरोध में आए लोग

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले का बकस्वाहा जंगल चर्चा में है। इसकी वजह है इस जंगल की कोख में दबा करोड़ों कैरेट हीरा और इसके खनन का हो रहा विरोध।…
हीरे की खातिर दाव पर बुंदेलखंड का बकस्वाहा जंगल, विरोध में आए लोग
[कॉमेंट्री] उदारीकरण के 30 साल: क्या कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय मध्य वर्ग की दिशा बदलेगी?

[कॉमेंट्री] उदारीकरण के 30 साल: क्या कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय मध्य वर्ग की दिशा बदलेगी?

इक्कसवीं सदी के पहले दशक के मध्य में, मैं हैदराबाद से दूर, पाटनचेरू में मौजूद अंतर्राष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान के वैश्विक मुख्यालय में कार्यरत था। इस संस्था का…
[कॉमेंट्री] उदारीकरण के 30 साल: क्या कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय मध्य वर्ग की दिशा बदलेगी?
[वीडियो] खनन का दंश झेल रही महिलाएं पर इसकी चर्चा तक नहीं होती

[वीडियो] खनन का दंश झेल रही महिलाएं पर इसकी चर्चा तक नहीं होती

यह जगजाहिर है कि खनन की वजह से जमीन का ह्रास, रोजगार का संकट और जैव-विविधता पर बुरा असर हो रहा है। पर आस-पास रहने वाली महिलाएं भी इससे बुरी…
[वीडियो] खनन का दंश झेल रही महिलाएं पर इसकी चर्चा तक नहीं होती
हसदेव अरण्य में लेमरु हाथी रिजर्व: कोयले की चाह, सरकारी चक्र और पंद्रह साल का लंबा इंतजार

[वीडियो] हसदेव अरण्य और लेमरु हाथी रिजर्व: कोयले की चाह, सरकारी चक्र और पंद्रह साल का लंबा इंतजार

कोरबा ज़िले की पतुरियाडांड के सरपंच उमेश्वर सिंह आर्मो को 15 जून 2015 को मदनपुर में कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी का वह वादा याद है, जिसमें उन्होंने कहा…
हसदेव अरण्य में लेमरु हाथी रिजर्व: कोयले की चाह, सरकारी चक्र और पंद्रह साल का लंबा इंतजार
झारखंड में कोयला खदान से तहस-नहस हुई जमीन को वापस संवारने की कोशिश

[वीडियो] झारखंड: कोयला खदान से बर्बाद हुई जमीन के सुधार से सुधरी कई परिवारों की जिंदगी

बीते कुछ वर्षों में झारखंड के चतरा जिले की बेंती गांव निवासी कठपुतली देवी का जीवन बदला है। कुछ महीनों पहले तक गांव के समीप पिपरवार कोयला खदान की वजह…
झारखंड में कोयला खदान से तहस-नहस हुई जमीन को वापस संवारने की कोशिश
देश के खनन प्रभावित क्षेत्रों में न सिर्फ वन संपदा को नुकसान हुआ है बल्कि वहां के स्थानीय लोगों पर भी खनन का दुष्प्रभाव दिखता है। तस्वीर- गुरविंदर सिंह

छत्तीसगढ़ और कोयला खनन: पेसा कानून की अनदेखी पर फिर उठे सवाल, सरकार और ग्रामीण आमने-सामने

तो क्या आदिवासियों के संरक्षण के लिए 1996 में लागू किया गया पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) क़ानून का कोई अर्थ नहीं रह गया है? कम से कम…
देश के खनन प्रभावित क्षेत्रों में न सिर्फ वन संपदा को नुकसान हुआ है बल्कि वहां के स्थानीय लोगों पर भी खनन का दुष्प्रभाव दिखता है। तस्वीर- गुरविंदर सिंह
पन्ना के हीरा खदान में रामप्यारे मिट्टी से सने कंकड़ों को धो रहे हैं। इन्हीं कंकड़ों में से हीरा मिलने की संभावना रहती है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे-हिन्दी

[वीडियो] पन्ना के हीरा खदानों से निकलती बेरोजगारी, गरीबी और कुपोषण

जनवरी में पड़ने वाली सर्दी की एक ढलती हुई शाम जब कुसुम बाई (बदला हुआ नाम) अपने कच्चे घर के बाहर चारपाई पर बैठी हुई हैं। पन्ना जिले के कल्याणपुर…
पन्ना के हीरा खदान में रामप्यारे मिट्टी से सने कंकड़ों को धो रहे हैं। इन्हीं कंकड़ों में से हीरा मिलने की संभावना रहती है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे-हिन्दी
बैनर तस्वीर- कमला भील के पति सिलिकोसिस बीमारी की वजह से नहीं रहे। अब उनका बेटा भी इसी बीमारी से जूझ रहा है। तस्वीर- एमएलपीसी

खनन ने लील लिया परिवार पर पापी पेट की वजह से खदान में वापस आने को मजबूर हैं महिलाएं

“इसके सिवा मेरे पास रास्ता क्या है! मेरे चार बेटे भी जानते थे कि खदानों में काम करने से सिलिकोसिस जैसी बीमारी होगी। फिर भी वो यहां काम करते रहे।…
बैनर तस्वीर- कमला भील के पति सिलिकोसिस बीमारी की वजह से नहीं रहे। अब उनका बेटा भी इसी बीमारी से जूझ रहा है। तस्वीर- एमएलपीसी
चंबल सफारी में चौकीदार का काम करने वाले जगदीश इंडियन स्किमर के घोसलों की रक्षा करते हैं। एक दशक पहले इन्होंने घड़ियाल से संरक्षण का काम शुरू किया था। इलस्ट्रेशन- तान्या टिम्बले

अंडों की चौकीदारी: चम्बल के बीहड़ में मेहमान पक्षी को बचाने का संघर्ष

चम्बल के एक गांव जैतपुर से जगदीश जब लाठी, टॉर्च, कलम और डायरी लेकर निकलते हैं तो ऐसा लगता है कि गांव की चौकीदारी करने निकल रहें हैं। कुछ हद…
चंबल सफारी में चौकीदार का काम करने वाले जगदीश इंडियन स्किमर के घोसलों की रक्षा करते हैं। एक दशक पहले इन्होंने घड़ियाल से संरक्षण का काम शुरू किया था। इलस्ट्रेशन- तान्या टिम्बले
झारखंड के खनन क्षेत्र में एक महिला कोयला चुनते हुए

खनन का दंश झेल रही देश की महिलाएं, स्वास्थ्य से लेकर अस्मिता तक खतरे में

मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिला खनन के लिए जाना जाता है। खदान क्षेत्र की सैकड़ों महिलाओं को जबरन देह-व्यापार में घसीट लिया गया। खनन के फायदे और नुकसान पर हो रही…
झारखंड के खनन क्षेत्र में एक महिला कोयला चुनते हुए

संपादक की नजर में 2020: वायरस से जुड़ी चिंता के बीच पर्यावरण को लेकर मिले मौके चूक जाने का वर्ष

आधिकारिक तौर पर भारत में कोविड-19 का पहला मामला केरल के थ्रीसुर में जनवरी 2020 में दर्ज किया गया था। अभी दिसंबर 2020 में 90-वर्षीय ब्रिटेन का एक नागरिक इस…
झामरकोटरा के इस खदान से फॉस्फेट निकाला जाता है। इसकी वजह से ग्रामीणों की जिंदगी तबाह हो गई है। फोटो- सोहैल खान

पौधों में जान डालने वाले फॉस्फेट के खदानों ने गांव के गांव कर दिए तबाह

सिंचाई की व्यवस्था होने के बावजूद अगर फसल सूखने या मुरझाने लगे तो परेशान किसान को बताया जाता है कि मिट्टी में फॉस्फोरस की कमी हो गई है। फिर किसान…
झामरकोटरा के इस खदान से फॉस्फेट निकाला जाता है। इसकी वजह से ग्रामीणों की जिंदगी तबाह हो गई है। फोटो- सोहैल खान
कोडरमा और गिरिडिह जिले में अभ्रक का अवैध खनन बेरोकटोक जारी है। फोटो- विशेष प्रबंध

झारखंड में अभ्रक का अवैध खनन जारी, होने वाले जान-माल के नुकसान का कोई  लेखा-जोखा नहीं 

श्याम (नाम बदला हुआ) जंगल की तरफ से दौड़ता हुआ आया। साथ लगे गुमटी से मुठ्ठी भर चने खरीदे और उसी गति से वापस भाग गया। ये चने उसने खुद…
कोडरमा और गिरिडिह जिले में अभ्रक का अवैध खनन बेरोकटोक जारी है। फोटो- विशेष प्रबंध
जादूगौड़ा की पहाड़ियों में वर्ष 1967 से ही खनन का काम होता आ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि लोगों का जीवन स्तर सुधरने के बजाए यहां के लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो गए हैं। फोटो- - सुभ्रजीत सेन

[वीडियो] भारत के परमाणु सपनों को उड़ान देने वाले क्षेत्र की हृदय विदारक दास्तान

जादूगोड़ा, झारखंड। सोलह साल की अनामिका ओराम का एक मासूम सा सपना है कि वो भी अन्य बच्चों की तरह पढ़े-लिखे। पर इस बच्ची का यह छोटा सा सपना भी…
जादूगौड़ा की पहाड़ियों में वर्ष 1967 से ही खनन का काम होता आ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि लोगों का जीवन स्तर सुधरने के बजाए यहां के लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो गए हैं। फोटो- - सुभ्रजीत सेन