- हिमालयी राज्य उत्तराखंड का जोशीमठ हिन्दू तीर्थ बद्रीनाथ, सिख तीर्थ हेमकुंड साहिब, और विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल औली और फूलों की घाटी का प्रवेश द्वार माना जाता है।
- लेकिन पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह शहर आज तेजी से धंस रहा है। भूस्खलन के मलबे पर बसे इस शहर का एक बड़ा हिस्सा दरक रहा है। यहां 9 वार्ड के 678 मकानों को दरारों की वजह से असुरक्षित चिन्हित किया गया है। क्षतिग्रस्त मकानों को खाली कराकर उन्हें गिराने की तैयारी चल रही है।
- जोशीमठ की इस हालत के पीछे जानकार अंधाधुंध विकास को जिम्मेदार मानते हैं। कई जानकार नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) की सुरंग, सड़क निर्माण, बड़े पत्थरों की ब्लास्टिंग जैसे विकास कार्यों को इसकी वजह मानते हैं।
- स्थानीय कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने विशेषज्ञों के सुझावों को नजरअंजार कर इस संवेदनशील स्थान पर विकास जारी रखा। नतीजतन शहर का अस्तित्व संकट में आ गया है।
उत्तराखंड के शहर जोशीमठ में हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। कोई अपने घर से फर्नीचर निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचा रहा है तो कोई अपने परिवार समेत घर छोड़ने की तैयारी कर रहा है। इस शहर की ये हालात इसके तेजी से दरकने और मकानों में पड़ती गहरी दरारों की वजह से हुए हैं। जोशीमठ शहर के एक बड़े हिस्से में मकानों के दरारें आ रही हैं और कई मकान तेजी से धंस रहे हैं।
मोंगाबे-हिन्दी ने इस शहर का दौरा किया और हालात का जायदा लिया। अपनी आंखों के सामने अपना घर दरकने की कहानी सुनाते-सुनाते 50-वर्षीय रमा देवी का गला भर आया। उन्होंने रुंधे गले से कहा, “मेरे सामने ही मेरे मकान का हिस्सा दरकने लगा। पूरी उम्र भर की मेहनत से यह घर बनाया था, अब सब कुछ खत्म हो गया।” उत्तराखंड के जोशीमठ में बना उनका मकान दिनों-दिन धंसता जा रहा है। चिंता है कि कहीं पूरा मकान ही धरती में न समा जाए। शहर के सैकड़ों लोगों की स्थिति रमा देवी की तरह ही है। उन्हें अपना धंसता हुआ घर-बार छोड़कर कहीं सुरक्षित ठिकाने की तलाश है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जोशीमठ के 9 वार्डों में 678 मकान में इतनी दरार आ गई है कि वह रहने लायक नहीं बचे। प्रशासन ने तकरीबन 81 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया है और जोशीमठ और पास के शहर पीपलकोटी में चार हजार लोगों के रहने का अस्थाई इंतजाम किया है। शहर की क्षतिग्रस्त इमारतों को तोड़ने का काम भी जारी है।
जमीन के धंसने के लेकर स्थानीय वैज्ञानिक और कार्यकर्ता अंधाधुंध विकास को जिम्मेदार ठहराते हैं। जानकार मानते हैं कि शहर की इस हालत के पीछे अनियोजित विकास जिम्मेदार है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने सर्वे रिपोर्ट पर समय रहते कार्रवाई नहीं की। फिलहाल जिला प्रशासन ने बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के तहत चल रहे हेलंग बाईपास निर्माण और एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के तहत चल रहे निर्माण कार्यों पर अग्रिम आदेशों तक तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
स्थानीय लोग प्रशासन के प्रयासों को नाकाफी मानते हैं और सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हैं। बीते 14 महीने से जोशीमठ के लोग इस आपदा की तरफ सरकार को आगाह कर रहे थे। अब लोग आंदोलित होकर सड़कों पर हैं।
प्रशासन ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
जिला प्रशासन की ओर से कंट्रोल रूम जोशीमठ तहसील का नंबर 8171748602 जारी किया गया है। इसके अलावा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, चमोली के दूरभाष नंबर 01372- 251437,1077 (टोल फ्री) 9068187120 और 7055753124 पर भी संपर्क किया जा सकता है। लोगों को राहत देने के लिए प्रशासन ने अपना घर छोड़कर जाने वाले लोगों को किराया देने की पेशकश की है। छः महीने तक लोगों को रहने के किराये के लिए 4000 रुपये प्रति माह की सरकारी घोषणा की गयी है।
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बैनर तस्वीरः जोशीमठ में जर्जर हुआ मकान। लोगों को ऐसे कई मकानों से अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया जा रहा है। तस्वीर- सत्यम कुमार