Articles by Gowthami Subramaniam

मारुथाचलम के खेत में तेज गर्मी में भी अजोला पनपता है, जो उनके चार एकड़ के जैविक खेत में उपलब्ध प्राकृतिक रेत और ताजे पानी की बदौलत नारियल के पेड़ों की छाया में मज़बूती से बढ़ता है। तस्वीर- गौतमी सुब्रमण्यम द्वारा मोंगाबे के लिए।

जलीय पौधे अज़ोला से हो सकता है चारे की कमी का समाधान

लगभग सात साल पहले, तमिलनाडु के थेनी के 41 वर्षीय पोल्ट्री किसान सुरुलीनाथन एस. ने मुर्गियों के चारे के रूप में अज़ोला नामक जलीय पौधे का उपयोग करना सीखा। वह…
मारुथाचलम के खेत में तेज गर्मी में भी अजोला पनपता है, जो उनके चार एकड़ के जैविक खेत में उपलब्ध प्राकृतिक रेत और ताजे पानी की बदौलत नारियल के पेड़ों की छाया में मज़बूती से बढ़ता है। तस्वीर- गौतमी सुब्रमण्यम द्वारा मोंगाबे के लिए।
बेयरफुट इकोलॉजिस्टों को वैज्ञानिक डेटा संग्रह और विश्लेषण में प्रशिक्षित किया जाता है जिसे वे प्रभावी संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान के साथ एकीकृत कर सकते हैं। तस्वीर- मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा 

पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का मेल: जलवायु परिवर्तन का दस्तावेजीकरण करते पर्यावरणविद्

तमिलनाडु के सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के गलिथिम्बम गांव के महालिंगम बालन हफ्ते में एक बार कई अलग-अलग वन क्षेत्रों का दौरा करते हैं और विभिन्न पारिस्थितिक पहलुओं का बारीकी से…
बेयरफुट इकोलॉजिस्टों को वैज्ञानिक डेटा संग्रह और विश्लेषण में प्रशिक्षित किया जाता है जिसे वे प्रभावी संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान के साथ एकीकृत कर सकते हैं। तस्वीर- मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा 
कन्याकुमारी में मछली पकड़ने के घाट पर खड़े रॉबिन्सन जॉनसन और अन्य मछुआरे। तस्वीर: नारायण स्वामी सुब्बारामन/मोंगाबे

तमिलनाडु में चक्रवात ओखी के छह साल बाद भी मानसिक स्वास्थ्य से जूझते लोग

इस लेख में आपदा से बचे लोगों की मानसिक सेहत पर चर्चा की जा रही है। कुछ घटनाएं पाठकों को परेशान कर देने वाली हो सकती हैं। 30 नवंबर, 2017…
कन्याकुमारी में मछली पकड़ने के घाट पर खड़े रॉबिन्सन जॉनसन और अन्य मछुआरे। तस्वीर: नारायण स्वामी सुब्बारामन/मोंगाबे