जैव विविधता कानून

इचोर्निया क्रैसिप्स को आमतौर पर पानी की जलकुंभी कहा जाता है। यह एक बाहरी आक्रमणकारी प्रजाति है जो भारत में हर जगह पानी में पाई जाती है। तस्वीर- शहादत हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स। 

पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वैश्विक खतरा हैं जैव आक्रमण

आक्रमणकारी प्रजातियों का प्रसार जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के सामने मौजूद पांच बड़े खतरों में से एक है। ऐसे जानवर, पौधे, कवक और सूक्ष्म जीव जो कि…
इचोर्निया क्रैसिप्स को आमतौर पर पानी की जलकुंभी कहा जाता है। यह एक बाहरी आक्रमणकारी प्रजाति है जो भारत में हर जगह पानी में पाई जाती है। तस्वीर- शहादत हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स। 
20वीं सदी की शुरुआत से ही हंगुल की संख्या में गिरावट आ रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हंगुल आवास के पास कारखानों से होने वाले उत्सर्जन ने हंगुल के शरीर विज्ञान और भोजन के पैटर्न को प्रभावित किया है। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद

सिकुड़ते जंगलों की वजह से विलुप्ति की कगार पर जाता कश्मीरी का शर्मीला हिरण हंगुल

जंगलों से आच्छादित हिमालय की तलहटी में पाया जाने वाला एक शर्मीला हिरण अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। कश्मीर के जंगली हंगुल के आवास और संख्या पर औद्योगीकरण,…
20वीं सदी की शुरुआत से ही हंगुल की संख्या में गिरावट आ रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हंगुल आवास के पास कारखानों से होने वाले उत्सर्जन ने हंगुल के शरीर विज्ञान और भोजन के पैटर्न को प्रभावित किया है। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद
भारत में जंगलों में पारंपरिक तौर से निवास करने वाले लोग वन पर निर्भर हैं। जैव विविधता अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव उनके अधिकारों को कमजोर कर सकता है। तस्वीर- इंडिया वाटर पोर्टल/फ्लिकर

[कमेंट्री] जैव विविधता अधिनियम में संशोधन: किसके हित और किसका संरक्षण?

केंद्र सरकार ने हाल ही में जैव विविधता अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव दिया है जिसपर तमाम जन संगठनों और पर्यावरणविदों ने अपनी तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। खास बात…
भारत में जंगलों में पारंपरिक तौर से निवास करने वाले लोग वन पर निर्भर हैं। जैव विविधता अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव उनके अधिकारों को कमजोर कर सकता है। तस्वीर- इंडिया वाटर पोर्टल/फ्लिकर