Articles by Arathi Menon

थाईलैंड का ओ. हन्नाह। अभी तक, सभी चार प्रकार के किंग कोबरा को एक ही प्रजाति का माना जाता था, लेकिन नए अध्ययन में चार अलग-अलग आनुवंशिक प्रजातियां पाई गई हैं। तस्वीर- गौरी शंकर

किंग कोबरा: अब एक नहीं, चार अलग-अलग प्रजातियां

एक नए अध्ययन में पता चला है कि दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप ‘किंग कोबरा’ जो अब तक एक प्रजाति माना जाता रहा है, एक नहीं बल्कि आनुवंशिक रूप…
थाईलैंड का ओ. हन्नाह। अभी तक, सभी चार प्रकार के किंग कोबरा को एक ही प्रजाति का माना जाता था, लेकिन नए अध्ययन में चार अलग-अलग आनुवंशिक प्रजातियां पाई गई हैं। तस्वीर- गौरी शंकर
अपने आवास में एक नुब्रा पिका। नुब्रा पिका शर्मीले होते हैं और वनस्पति वाले स्थानों पर रहते हैं। तस्वीर- हर्ष कुमार

हिमालय पिका को रहता है सर्दियों के लिए मौसम के संकेतों का इंतजार

हिमालय पिका में निश्चित रूप से और भी बहुत कुछ है जो आंखों को दिखाई नहीं देता है। एक सामान्य नजर में, बिना पूंछ वाला ये चूहा पहाड़ी इलाकों में…
अपने आवास में एक नुब्रा पिका। नुब्रा पिका शर्मीले होते हैं और वनस्पति वाले स्थानों पर रहते हैं। तस्वीर- हर्ष कुमार
अनियमित पर्यटन को इस क्षेत्र में बाढ़ से होने वाले भारी आर्थिक नुकसान के मुख्य कारणों में से एक के रूप में पहचाना गया है। तस्वीर- केसर चंद

हिमालय घाटी में बाढ़ की एक वजह अनियमित पर्यटन – अध्ययन

शहर की भागदौड़ से दूर, लोग सुकून की तलाश में कुल्लू घाटी की ओर रुख करते हैं और छुट्टियां बिताकर वापस लौट जाते हैं। स्थानीय लोगों का स्वभाव, सुहावना मौसम…
अनियमित पर्यटन को इस क्षेत्र में बाढ़ से होने वाले भारी आर्थिक नुकसान के मुख्य कारणों में से एक के रूप में पहचाना गया है। तस्वीर- केसर चंद
कुरीपिल्ली हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी में सरिता और आयशा। 2018 में बाढ़ के दौरान सोसाइटी के अध्यक्ष और सचिव के रूप में, उन्होंने सोसाइटी को फिर से खड़ा करने के लिए सभी संसाधन जुटाए। तस्वीर: आरती मेनन/मोंगाबे।

अनिश्चित मौसम से बढ़ती केरला के हथकरघा बुनकरों की परेशानियां

चेंदमंगलम, केरला के एर्नाकुलम जिले में एक पुराना शहर जो कोच्चि शहर से लगभग 40 किमी उत्तर में है, को 2012 में अपने कैथरी या हथकरघा के लिए भारत सरकार…
कुरीपिल्ली हैंडलूम वीवर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी में सरिता और आयशा। 2018 में बाढ़ के दौरान सोसाइटी के अध्यक्ष और सचिव के रूप में, उन्होंने सोसाइटी को फिर से खड़ा करने के लिए सभी संसाधन जुटाए। तस्वीर: आरती मेनन/मोंगाबे।
ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में एक बाघ। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए अजिंक्य विश्वेकर की तस्वीर। 

इंसानी बस्तियों में बाघों की बढ़ती संख्या से लोगों में बढ़ता मानसिक तनाव

नवंबर की एक रात। रात के करीब 9:30 बज रहे हैं। हमारी कार महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के गांव मुधोली के पास पहुंची, जो मोहरली में हमारे किराए के होमस्टे…
ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में एक बाघ। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए अजिंक्य विश्वेकर की तस्वीर। 
थाईलैंड में एक एशियाई पाम सिवेट। एक नए अध्ययन ने इस प्रचलित धारणा को तोड़ दिया है कि सिवेट खुले में मल करना पसंद करते हैं। तस्वीर- फ्रांस से बर्नार्ड ड्यूपॉंट, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 2.0) 

छायादार जगहों पर मल त्याग जंगल बढ़ाने में मदद करते सिवेट

विज्ञान को लंबे समय से सिवेट और उनके मल में रुचि रही है, क्योंकि वे प्राकृतिक दुनिया में सबसे कुशल बीज वितरकों में से एक माने जाते हैं। उनके मल…
थाईलैंड में एक एशियाई पाम सिवेट। एक नए अध्ययन ने इस प्रचलित धारणा को तोड़ दिया है कि सिवेट खुले में मल करना पसंद करते हैं। तस्वीर- फ्रांस से बर्नार्ड ड्यूपॉंट, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 2.0) 
बार-बार मौसम की प्रतिकूल घटनाओं और फसल के नुकसान ने वायनाड के किसानों को नया कृषि कैलेंडर तैयार करने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें खेती-बाड़ी के पारंपरिक ज्ञान और मौसम में बदलाव को शामिल किया गया है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा/मोंगाबे।

मौसम में बदलाव से पार पाने के लिए नए कृषि कैलेंडर से किसानों को उम्मीदें

वायनाड के किसान राजेश कृष्णन कहते हैं, " शायद हम जिंदगी में बहुत सारी चीजें अपनी चिंता की वजह से करते हैं।" वह खेती के उन "मुश्किल सालों" को याद…
बार-बार मौसम की प्रतिकूल घटनाओं और फसल के नुकसान ने वायनाड के किसानों को नया कृषि कैलेंडर तैयार करने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें खेती-बाड़ी के पारंपरिक ज्ञान और मौसम में बदलाव को शामिल किया गया है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा/मोंगाबे।
तमिलनाडु के अनामलाई पहाड़ियों में सड़क पार करते हुए एक हाथी और उसका बच्चा। खराब तरीके से बनाई गई सड़कों और रेलवे लाइनों की वजह से एशियाई हाथियों की गाड़ियों से टक्कर हो रही है, जिससे वे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन/NCF

हाथियों की सड़क और रेलवे पटरियों पर होने वाली मौतों को रोकने के लिए नई हैंडबुक जारी

इस साल की शुरुआत में, कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास एक ट्रेन से एक हाथी और उसके बच्चे को टक्कर मार दी, जिससे दोनों की मौत हो गई। कुछ महीने…
तमिलनाडु के अनामलाई पहाड़ियों में सड़क पार करते हुए एक हाथी और उसका बच्चा। खराब तरीके से बनाई गई सड़कों और रेलवे लाइनों की वजह से एशियाई हाथियों की गाड़ियों से टक्कर हो रही है, जिससे वे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन/NCF
उडुपी के माला गांव में एक तालाब के पास अपने शरीर पर उगे बोनट मशरूम के साथ देखा गया राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड फ्रॉग। तस्वीर- लोहित वाई.टी.

मेंढ़क के शरीर पर उग आया मशरूम, वैज्ञानिकों ने बताया बेहद दुर्लभ घटना

हर्पेटोलॉजी (सरीसृप और उभयचरों का अध्ययन) के प्रति जुनून रखने वाले पांच दोस्तों के लिए यह एक सामान्य मानसूनी रात थी। पश्चिमी घाट के कुद्रेमुख पर्वतमाला की तलहटी में तूफान…
उडुपी के माला गांव में एक तालाब के पास अपने शरीर पर उगे बोनट मशरूम के साथ देखा गया राव्स इंटरमीडिएट गोल्डन बैक्ड फ्रॉग। तस्वीर- लोहित वाई.टी.

‘ऑपरेशन भेड़िया’ ने उजागर की उत्तर प्रदेश की वन्यजीव संरक्षण की खामियां

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के वन अधिकारियों ने तब राहत की सांस ली जब उन्होंने छः भेड़ियों के एक झुंड में से पांच भेड़ियों को पकड़ लिया। इन भेड़ियों…
मेलबर्न में जलवायु विरोध प्रदर्शन में ऑस्ट्रेलियाई युवा। अध्ययनों से पता चलता है कि दुनिया भर के युवा या तो जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित हैं या इससे पीड़ित हैं। तस्वीर- टैकवर/विकिमीडिया कॉमन्स

बदलते पर्यावरण से इको-एंग्जाइटी के मामले बढ़े

केरला में बाढ़ के बाद सर्वे करते हुए वॉलियंटर मनीजा मुरली एक ऐसी किशोरी से मिलीं जो ऑटिज़्म से जूझ रही थी। वह बाढ़ से बचकर बाहर निकली थी और…
मेलबर्न में जलवायु विरोध प्रदर्शन में ऑस्ट्रेलियाई युवा। अध्ययनों से पता चलता है कि दुनिया भर के युवा या तो जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित हैं या इससे पीड़ित हैं। तस्वीर- टैकवर/विकिमीडिया कॉमन्स

नई खोज के साथ छिपकलियों के अध्ययन के नए रास्ते खुले

वैज्ञानिकों की एक टीम एक दशक पहले एक नए प्रकार के मेंढक ‘नासिकबाट्रैचस साह्याड्रेंसिस’ के आवासों की तलाश कर रही थी। यह मेंढक साल में सिर्फ एक बार जमीन से…
उरावु लैब्स में पानी की शुद्धता की जांच करता हुआ एक कर्मचारी। उरावु लिक्विड डेसीकेंट तकनीक का इस्तेमाल करता है जो हवा से नमी को सोखता है। फिर इसे फिल्टर और विशोषण प्रक्रिया के जरिए भेजा जाता है, ताकि पानी में दूषित पदार्थ न हों। मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा ली गई तस्वीर।

नई तकनीक से हवा से तैयार हो रहा किफायती पीने योग्य पानी

बेंगलुरु जैसे भारतीय महानगर पिछले कुछ समय से डे जीरो (किसी दिन पूरी तरह पानी नहीं मिलना) के संभावित खतरे से दो-चार हैं। शहर में जल संसाधनों का कुप्रबंधन इतना…
उरावु लैब्स में पानी की शुद्धता की जांच करता हुआ एक कर्मचारी। उरावु लिक्विड डेसीकेंट तकनीक का इस्तेमाल करता है जो हवा से नमी को सोखता है। फिर इसे फिल्टर और विशोषण प्रक्रिया के जरिए भेजा जाता है, ताकि पानी में दूषित पदार्थ न हों। मोंगाबे के लिए अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा ली गई तस्वीर।
कॉर्नवाल, यूके में थिक-लेग्ड फ्लावर बीटल। कीट जगत में अपनी अविश्वसनीय विविधता और प्रभुत्व के बावजूद, बीटल्स को अक्सर परागण में उनके योगदान के लिए नहीं पहचाना जाता है। तस्वीर- फ्लैपी पिजन/विकिमीडिया कॉमन्स

परागण के छोटे दिग्गज, ‘बीटल्स’ से मिलिए

परागण का जिक्र आते ही हमारे दिमाग में नेक्टर की तलाश में सुगंधित फूलों के ईर्द-गिर्द मंडराती मधुमक्खियां, तितलियां और लंबी चोंच वाले सनबर्ड घूमने लग जाते हैं। लेकिन एक…
कॉर्नवाल, यूके में थिक-लेग्ड फ्लावर बीटल। कीट जगत में अपनी अविश्वसनीय विविधता और प्रभुत्व के बावजूद, बीटल्स को अक्सर परागण में उनके योगदान के लिए नहीं पहचाना जाता है। तस्वीर- फ्लैपी पिजन/विकिमीडिया कॉमन्स
गंडक नदी के किनारे मौजूद एक घड़ियाल। इस प्रजाति के लगातार कम होते जाने की वजह इनकी खास प्रकृति, खासकर इनके निवास स्थल को लेकर इनका व्यवहार और इनके संरक्षण के खिलाफ होने वाली कई इंसानी गतिविधियां हैं। तस्वीर- आशीष पांडा।

असंरक्षित नदियों में भी होना चाहिए घड़ियालों का संरक्षण

गेविलियस जीन वाले मगरमच्छों की फैमिली में से बची एकमात्र प्रजाति, घड़ियाल की संख्या कम होती जा रही है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट में…
गंडक नदी के किनारे मौजूद एक घड़ियाल। इस प्रजाति के लगातार कम होते जाने की वजह इनकी खास प्रकृति, खासकर इनके निवास स्थल को लेकर इनका व्यवहार और इनके संरक्षण के खिलाफ होने वाली कई इंसानी गतिविधियां हैं। तस्वीर- आशीष पांडा।
कर्नाटक के कोक्करेबेल्लूर गांव में एक लड़की ने अपने कपड़े सूखने को डाले हैं और पास के पेड़ों पर रंगीन सारस और पेलिकन ने अपने घोंसले बना रखे हैं। शिम्शा नदी के किनारे मौजूद इस गांव में हर साल औसतन 500 पेलिकन और 2000 रंगीन सारस आते हैं और घोंसला लगाते हैं। तस्वीर- अभिषेक एन. चिन्नप्पा/मोंगाबे।

हर समय पक्षियों के झुंड की रक्षा करता है ये गांव

दिसंबर का महीना है और कोक्करेबेल्लूर गांव में सुबह-सुबह चमकदार सूरज निकला होने के बावजूद ठंड अपने चरम पर है। साल 2017 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कम्युनिटी…
कर्नाटक के कोक्करेबेल्लूर गांव में एक लड़की ने अपने कपड़े सूखने को डाले हैं और पास के पेड़ों पर रंगीन सारस और पेलिकन ने अपने घोंसले बना रखे हैं। शिम्शा नदी के किनारे मौजूद इस गांव में हर साल औसतन 500 पेलिकन और 2000 रंगीन सारस आते हैं और घोंसला लगाते हैं। तस्वीर- अभिषेक एन. चिन्नप्पा/मोंगाबे।
अपने खेत में केले की फसल के साथ निशांत के.। उनके इस खेत में देशी और विदेशी किस्मों सहित फलों की लगभग 250 प्रजातियां हैं। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे

केरल में किसानों ने उगाए अलग-अलग प्रकार के केले, पारंपरिक किस्मों के संरक्षण में मिली मदद

केरल के वायनाड जिले के 49 वर्षीय केला किसान निशांत के. ने कहा, "केरल के हर जिले का अपना पसंदीदा केला है।" अकेले उनके खेत में ही 250 से अधिक…
अपने खेत में केले की फसल के साथ निशांत के.। उनके इस खेत में देशी और विदेशी किस्मों सहित फलों की लगभग 250 प्रजातियां हैं। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे
अंडों के साथ ग्रैसिक्सलस पैटकैएन्सिस, नर की तरफ आकर्षित होते हुए। तस्वीर-अभिजीत दास 

अरुणाचल में मेंढकों की तीन नई प्रजातियां मिली, आवास के आधार पर रखे गए उनके नाम

भारत में जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट में पाई जाने वाली उभयचर प्रजातियों के विशाल भंडार में अरुणाचल प्रदेश के नामदाफा-कमलांग लैंडस्केप से खोजी गई तीन नई मेंढक प्रजातियां भी शामिल…
अंडों के साथ ग्रैसिक्सलस पैटकैएन्सिस, नर की तरफ आकर्षित होते हुए। तस्वीर-अभिजीत दास 
जर्मनी के स्टुटगर्ट के जूलॉजिकल हार्डन में एक इंडियन रॉक पायथन। इंडियन रॉक पायथन ऐसे सांप हैं जिनके बारे में बहुत कम अध्ययन किया गया है। तस्वीर- होल्गर क्रिस्प/विकिमीडिया कॉमन्स।

घर जरूर लौटते हैं अजगर, समय लगता है लेकिन लौट आते हैं: स्टडी

हाल ही में दक्षिण भारत के दो टाइगर रिजर्व में 14 इंडियन रॉक पायथन (Python molurus) पर हुई एक टेलीमेट्री स्टडी में इस प्रजाति के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला…
जर्मनी के स्टुटगर्ट के जूलॉजिकल हार्डन में एक इंडियन रॉक पायथन। इंडियन रॉक पायथन ऐसे सांप हैं जिनके बारे में बहुत कम अध्ययन किया गया है। तस्वीर- होल्गर क्रिस्प/विकिमीडिया कॉमन्स।
अपनी बकरियों को चराने के लिए ले जाता हुआ एक चरवाहा। शुष्क क्षेत्रों में तेजी से फैलने वाली घास को कम करने में आग एक जरूरी भूमिका निभाती है। तस्वीर- सी.एस. सनीश 

चराई या आग: सवाना में बढ़ती घास से निपटने का कौन सा तरीका बेहतर

पूर्वी घाट के एक अध्ययन में मेसिक सवाना पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से फैल रही देसी सिम्बोपोगोन घास (लेमनग्रास) को लेकर चिंता जाहिर की और पारिस्थितिक तंत्र को पुरानी स्थिति…
अपनी बकरियों को चराने के लिए ले जाता हुआ एक चरवाहा। शुष्क क्षेत्रों में तेजी से फैलने वाली घास को कम करने में आग एक जरूरी भूमिका निभाती है। तस्वीर- सी.एस. सनीश 
कैमरे में कैद अपने मेमने के साथ एक नीली भेड़ की तस्वीर। विशेषज्ञों का मानना है कि जानवरों के लिए उपयुक्त आवास के रूप में ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में संरक्षित क्षेत्रों के नेटवर्क की फिर पड़ताल की जानी चाहिए। तस्वीर- एनएमएचएस

प्राकृतिक रुकावटों से कम हो रहा नीली भेड़ों में जीन का आदान-प्रदान

यह अभी भी बड़ी हैरानी की बात है कि कैसे एक अनगुलेट, जो न तो नीला है, न ही भेड़ है, उसे नीली भेड़ कहा जाने लगा। इनके शरीर की…
कैमरे में कैद अपने मेमने के साथ एक नीली भेड़ की तस्वीर। विशेषज्ञों का मानना है कि जानवरों के लिए उपयुक्त आवास के रूप में ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में संरक्षित क्षेत्रों के नेटवर्क की फिर पड़ताल की जानी चाहिए। तस्वीर- एनएमएचएस
चन्नापटना शहर में सड़क किनारे एक दुकान पर प्रदर्शित पारंपरिक चन्नापटना खिलौने। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे।

परंपरा और आधुनिक डिज़ाइन के बीच अटके चन्नापटना के लकड़ी के खिलौने और उनके कारीगर

एक साधारण से घर की चमकीली गुलाबी दीवार के सामने बरामदे में बैठीं बोरम्मा का सारा ध्यान एक धुरी पर है, जिसके ऊपर लकड़ी का एक टुकड़ा लगा हुआ है।…
चन्नापटना शहर में सड़क किनारे एक दुकान पर प्रदर्शित पारंपरिक चन्नापटना खिलौने। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे।
पश्चिमी घाट में एक किंग कोबरा। संयोजन में सरल होने के बावजूद किंग कोबरा का जहर काफी असरदार होता है। तस्वीर- गैरी मार्टिन।

स्टडी ने ध्वस्त किए किंग कोबरा के जहर से जुड़े मिथक, एंटी वेनम बनाने में होगी आसानी

एक नई स्टडी में पता चला है कि किंग कोबरा के जहर का संयोजन स्पैक्टैकल्ड कोबरा के जहर की तुलना में आसान होता है क्योंकि किंग कोबरा सिर्फ वही चीजें…
पश्चिमी घाट में एक किंग कोबरा। संयोजन में सरल होने के बावजूद किंग कोबरा का जहर काफी असरदार होता है। तस्वीर- गैरी मार्टिन।
घनी हरी कैनोपी और शानदार पीले फूल आक्रमणकारी कसोद के पौधों को आकर्षक बनाते हैं। तस्वीर- पी ए विनयन।

कभी खूबसूरती और छाया के लिए लगाए गए थे कसोद के पौधे, अब बने जंजाल

साल 1986 में केरल के वन विभाग ने एक ऐसा फैसला लिया था जिसके लिए उन्हें कई दशक बाद पछताना पड़ रहा है। वन विभाग की सोशल फॉरेस्ट्री विंग ने…
घनी हरी कैनोपी और शानदार पीले फूल आक्रमणकारी कसोद के पौधों को आकर्षक बनाते हैं। तस्वीर- पी ए विनयन।
मध्य प्रदेश की बैगा आदिवासी महिलाएं। बैगा मूलतः वनवासी हैं, जो जंगलों में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में वनों की कटाई और विकास की गति ने उन्हें शहरों के नजदीकी स्थानों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है। (प्रतीकात्मक इमेज) तस्वीर-सैंडी और व्याज/विकिमीडिया कॉमन्स

बेहतर वन प्रबंधन के लिए आदिवासी समुदाय का नजरिया शामिल करना जरूरी

भारत में जंगल में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लिए जंगल का क्या मतलब है? क्या वे वन पारिस्थितिकी तंत्र को उसी तरह देखते हैं जैसे जंगल के बाहर के…
मध्य प्रदेश की बैगा आदिवासी महिलाएं। बैगा मूलतः वनवासी हैं, जो जंगलों में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में वनों की कटाई और विकास की गति ने उन्हें शहरों के नजदीकी स्थानों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है। (प्रतीकात्मक इमेज) तस्वीर-सैंडी और व्याज/विकिमीडिया कॉमन्स
इचोर्निया क्रैसिप्स को आमतौर पर पानी की जलकुंभी कहा जाता है। यह एक बाहरी आक्रमणकारी प्रजाति है जो भारत में हर जगह पानी में पाई जाती है। तस्वीर- शहादत हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स। 

पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वैश्विक खतरा हैं जैव आक्रमण

आक्रमणकारी प्रजातियों का प्रसार जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के सामने मौजूद पांच बड़े खतरों में से एक है। ऐसे जानवर, पौधे, कवक और सूक्ष्म जीव जो कि…
इचोर्निया क्रैसिप्स को आमतौर पर पानी की जलकुंभी कहा जाता है। यह एक बाहरी आक्रमणकारी प्रजाति है जो भारत में हर जगह पानी में पाई जाती है। तस्वीर- शहादत हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स। 
वायनाड पठार के कई हिस्सों को हाथी वन क्षेत्रों में आने-जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि फिलहाल इस्तेमाल में लाए जा रहे ऐसे कॉरिडोर को ऐतिहासिक एलिफेंट कॉरिडोर की तरह पहचाना और संरक्षित किया जाना चाहिए। तस्वीर -अनूप एन.आर. 

गर्मियों के मौसम में वायनाड हाथियों की पसंदीदा जगह

गर्मियों के दिनों में हाथी वायनाड के आद्र पहाड़ी इलाकों में आना पसंद करते हैं। इसकी वजह तटवर्ती जंगल और यहां मौजूद दलदलीय इलाके हैं, जो पास के मैसूर और…
वायनाड पठार के कई हिस्सों को हाथी वन क्षेत्रों में आने-जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि फिलहाल इस्तेमाल में लाए जा रहे ऐसे कॉरिडोर को ऐतिहासिक एलिफेंट कॉरिडोर की तरह पहचाना और संरक्षित किया जाना चाहिए। तस्वीर -अनूप एन.आर. 
मैसूरु दशहरा जुलूस के दौरान देवी चामुंडेश्वरी का स्वर्णजड़ित हौदा (पालकी) ले जाते हाथी अर्जुन की एक फ़ाइल तस्वीर। तस्वीर - मधुसूदन एसआर।

मैसूरु दशहरा के मशहूर हाथी की मौत से उजागर होती कर्नाटका में हाथियों की बढ़ती दिक्क़तें

कर्नाटका के वन्यजीव प्रेमियों को पिछले साल दिसंबर का महीना बहुत ज्यादा दुखी कर गया। हासन जिले के यसलूर वन रेंज में हाथी पकड़ने के अभियान के दौरान जंगली हाथी…
मैसूरु दशहरा जुलूस के दौरान देवी चामुंडेश्वरी का स्वर्णजड़ित हौदा (पालकी) ले जाते हाथी अर्जुन की एक फ़ाइल तस्वीर। तस्वीर - मधुसूदन एसआर।
मालाबार हॉर्नबिल। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया साल भर मुख्य रूप से दो तरह के सर्वे करवाता है- एक प्रजाति के आधार और दूसरा क्षेत्र या संरक्षक इलाके के आधार पर। तस्वीर- अमित्व मजूमदार।

भारत में लुप्त होने की कगार पर हैं पक्षियों की तीन स्थानीय प्रजातियां

विश्व भर में पाए जाने वाली पक्षियों की विविधता में से 12.40 प्रतिशत भारत में पाए जाते हैं। दुनियाभर में पाए जाने वाले पक्षियों की कुल 10,906 प्रजातियों में से…
मालाबार हॉर्नबिल। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया साल भर मुख्य रूप से दो तरह के सर्वे करवाता है- एक प्रजाति के आधार और दूसरा क्षेत्र या संरक्षक इलाके के आधार पर। तस्वीर- अमित्व मजूमदार।