राजस्थान के जोधपुर-बाड़मेर हाईवे के पास बहने वाली जोजारी नदी अब गंदे और विषैले पानी की धारा बन चुकी है। कभी यह नदी आसपास के गाँवों और जैव-विविधता के लिए जीवनदायिनी हुआ करती थी, लेकिन अब इसके प्रदूषण ने इंसानों और वन्यजीवों दोनों को बुरी तरह प्रभावित किया है। लगभग 50 गाँवों की आबादी इस विषाक्त जलधारा की चपेट में है।
इस क्षेत्र की पारंपरिक वनस्पति जैसे केझड़ी, केर और रोहिडा अब कम होती जा रही हैं, और उनकी जगह ऐसी जड़ी-बूटियाँ उग रही हैं जो लवणयुक्त मिट्टी में पनपती हैं। यह बदलाव न केवल मिट्टी की सेहत को बिगाड़ रहा है, बल्कि वन्यजीवों जैसे चिंकारा, ब्लैकबक, नीलगाय और प्रवासी पक्षियों की संख्या भी घट रही है।
प्रदूषित पानी का असर नीलगायों जैसे जानवरों पर साफ दिख रहा है, जो अब जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं। पहले जहां यह इलाका वन्यजीवों के लिए सुरक्षित था, अब वहां के जंगल भी सिमट रहे हैं और पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह बिगड़ गया है।
यह संकट सिर्फ एक नदी तक सीमित नहीं है बल्कि यह उन ग्रामीणों की ज़िंदगी और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों पर भी हमला है, जो पीढ़ियों से इस ज़मीन और पानी के सहारे जीवन गुजारते आए हैं।