गाँव News

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के धान, गेहूं और गन्ने की खेती वाली पट्टी में मानसून के 12 में से सिर्फ दो हफ़्तों में सामान्य बारिश हुई। किसान इससे बड़ी दिक्कत में हैं। तस्वीर: ঈশান জ্যোতি বৰা, Wikimedia Commons (CC BY-SA 4.0) द्वारा।

सिंधु-गंगा के मैदानों में बारिश के बदलाव से खेती पर पड़ता प्रभाव

धान की खेती के लिए मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के किसान मोहसिन खान जानते हैं कि आने वाला समय उनके लिए दिक्कतों से भरा होने वाला है।…
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के धान, गेहूं और गन्ने की खेती वाली पट्टी में मानसून के 12 में से सिर्फ दो हफ़्तों में सामान्य बारिश हुई। किसान इससे बड़ी दिक्कत में हैं। तस्वीर: ঈশান জ্যোতি বৰা, Wikimedia Commons (CC BY-SA 4.0) द्वारा।
काली गाजर की सफाई करते तुलसी राम माली। तस्वीर- विशाल कुमार जैन

काली गाजर की खेती को बढ़ावा देने की कोशिश, पोषण सुरक्षा के लिए काम की चीज

राजस्थान में चूरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे में रेलवे फाटक संख्या चार से आगे जाने वाली सड़क के दोनों तरफ आपको पक्के मकान दिखेंगे। डेढ़ किलोमीटर लंबी इस सड़क पर…
काली गाजर की सफाई करते तुलसी राम माली। तस्वीर- विशाल कुमार जैन
हाल के सालों में भारत सरकार ने कोयला खनन में तेजी लाई है। अगले 10 सालों में उत्पादन बढ़ाकर 1500 मिलियन टन से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा गया है। तस्वीर सौजन्य- पीआईबी

झारखंड: जस्ट ट्रांजिशन के बीच नई कोयला खदानों और थर्मल प्लांट का बढ़ता दायरा

झारखंड में बड़कागांव प्रखंड के गोंदलपुरा गांव में प्रवेश करने से ठीक पहले सदानीरा ददमाही नदी आपका स्वागत करती है। यहां के बहु-फसली खेतों में लोग अपनी फसलों की देखभाल…
हाल के सालों में भारत सरकार ने कोयला खनन में तेजी लाई है। अगले 10 सालों में उत्पादन बढ़ाकर 1500 मिलियन टन से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा गया है। तस्वीर सौजन्य- पीआईबी
मेघालय के एक गांव मावकिरनॉट में एक लिविंग रूट ब्रिज को पार करती हुई कुछ खासी महिलाएं। तस्वीर: बरशा दास, मोंगाबे

मेघालयः जड़ों से जुड़ी परंपरा की कहानी बयां करते लिविंग रूट ब्रिज

बाहरी दुनिया के लिए मेघालय प्रकृति का अजूबा है, जो अपने धुंध से ढके पहाड़ों, कैनियन, घाटियों और झरनों से पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन जो लोग यहां के…
मेघालय के एक गांव मावकिरनॉट में एक लिविंग रूट ब्रिज को पार करती हुई कुछ खासी महिलाएं। तस्वीर: बरशा दास, मोंगाबे
पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लॉक का सुंदरई गांव। तस्वीर- रॉबिन चौहान

उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष: जान तो बची,पर जिंदगी नहीं

उत्तराखंड में रामनगर स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से लगे हुए तराई वेस्ट फॉरेस्ट डिवीजन में पड़ने वाले तौमडिया खत्ते में रहने वाले 30 साल के लियाकत अली वन गूजर हैं।…
पौड़ी जिले के पोखड़ा ब्लॉक का सुंदरई गांव। तस्वीर- रॉबिन चौहान
युवा सोलिगा, शशि अपने घर के पास जंगली साग-सब्जियां खोजती हुई। आदिवासी बुजुर्गों का कहना है कि युवा पीढ़ी में जंगली खाद्य पौधों के बारे में पारंपरिक ज्ञान कम होता जा रहा है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।

जंगल के खाने में छुपा पोषण का रहस्य

शंखमादम्मा और डुंडम्मा कर्नाटक की आदिवासी बस्ती कीरनहोला पोडु में अपने घर के बरामदे में बैठकर दोपहर का खाना खा रही हैं। चटक नीले रंग के इस घर की दीवारों…
युवा सोलिगा, शशि अपने घर के पास जंगली साग-सब्जियां खोजती हुई। आदिवासी बुजुर्गों का कहना है कि युवा पीढ़ी में जंगली खाद्य पौधों के बारे में पारंपरिक ज्ञान कम होता जा रहा है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।
वेणुगोपाल केरल में कट्टा बनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते हैं। बैनर तस्वीर- कौशिकी रावत/मोंगाबे।

[वीडियो] केरल में पारंपरिक इंजीनियरिंग से जल संरक्षण

चेक डैम छोटी, अक्सर अस्थायी संरचनाएं होती हैं जो पानी के संरक्षण और भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए नदियों और जल चैनलों पर बनाई जाती हैं। केरल के…
वेणुगोपाल केरल में कट्टा बनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते हैं। बैनर तस्वीर- कौशिकी रावत/मोंगाबे।
रस निकलने के बाद गन्ने की खोई का इस्तेमाल रस को गर्म करने के लिए क्या जाता है। तस्वीर- विमल राय

झारखंडः बड़कागांव के गुड़ की मांग काफी, लेकिन गन्ने में बढ़ रहा कीटों का प्रकोप

फट-फट की आवाज करती मशीन के पहिए तेजी से चल रहे हैं। मशीन के नजदीक बैठी एक महिला के हाथ तेजी से गन्नों को मशीन के दो पहियों के बीच…
रस निकलने के बाद गन्ने की खोई का इस्तेमाल रस को गर्म करने के लिए क्या जाता है। तस्वीर- विमल राय
कोयले के ढेर से कोयला चुनती महिला। फ्लिकर [CC BY-NC-SA 2.0] के जरिए लेसरकल की तस्वीर।

जस्ट ट्रांजिशन में सामाजिक बुनियादी ढांचे के साथ वैकल्पिक रोजगार पर हो फोकस

जस्ट ट्रांजिशन पर आई एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयले का इस्तेमाल खत्म करने से औपचारिक और अनौपचारिक कोयला श्रमिकों पर अलग-अलग असर होगा। लेकिन, इस उद्योग…
कोयले के ढेर से कोयला चुनती महिला। फ्लिकर [CC BY-NC-SA 2.0] के जरिए लेसरकल की तस्वीर।
बार-बार मौसम की प्रतिकूल घटनाओं और फसल के नुकसान ने वायनाड के किसानों को नया कृषि कैलेंडर तैयार करने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें खेती-बाड़ी के पारंपरिक ज्ञान और मौसम में बदलाव को शामिल किया गया है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा/मोंगाबे।

मौसम में बदलाव से पार पाने के लिए नए कृषि कैलेंडर से किसानों को उम्मीदें

वायनाड के किसान राजेश कृष्णन कहते हैं, " शायद हम जिंदगी में बहुत सारी चीजें अपनी चिंता की वजह से करते हैं।" वह खेती के उन "मुश्किल सालों" को याद…
बार-बार मौसम की प्रतिकूल घटनाओं और फसल के नुकसान ने वायनाड के किसानों को नया कृषि कैलेंडर तैयार करने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें खेती-बाड़ी के पारंपरिक ज्ञान और मौसम में बदलाव को शामिल किया गया है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा/मोंगाबे।
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए

बिहार में बाढ़ की एक बड़ी वजह कोसी में जमी गाद, क्या है समाधान?

नेपाल के सप्तरी जिले के 63 वर्षीय रामेश्वर यादव माहुली नदी के एक नंबर पुल से कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठे हैं। उनके साथ हैं 74…
नेपााल के सप्तसरी जिले में कोसी नदी से लकड़ियां ले जाता एक ग्रामीण। कोसी नदी में भारी मात्रा में लकड़ियां पहाड़ पर से बहकर आयी हैं, जिसे जगह-जगह लोग नदी से चुनते दिखे। तस्वीर- राहुल सिंह मोंगाबे के लिए
देवमति सिंह अपने घर के नजदीक किचन गार्डन में अपने बच्चों के साथ। तस्वीर-ऐश्वर्या मोहंती

सौर ऊर्जा से जीवन में बड़ा बदलाव, दूर हुआ कुपोषण

छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव में रहने वाली 30 वर्षीय देवमती सिंह पिछले कई सालों से अपनी एक एकड़ की जमीन पर धान और आलू की खेती करती आ…
देवमति सिंह अपने घर के नजदीक किचन गार्डन में अपने बच्चों के साथ। तस्वीर-ऐश्वर्या मोहंती

‘ऑपरेशन भेड़िया’ ने उजागर की उत्तर प्रदेश की वन्यजीव संरक्षण की खामियां

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के वन अधिकारियों ने तब राहत की सांस ली जब उन्होंने छः भेड़ियों के एक झुंड में से पांच भेड़ियों को पकड़ लिया। इन भेड़ियों…
बेंगलुरु के रहने वाले वॉटर डिवाइनर एस. सैमसन तांबे के उपकरण से बोर पॉइंट खोजने की कोशिश कर रहे हैं। पास ही खड़े बच्चे उन्हें काम करते हुए देख रहे हैं। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 

वाटर डिवाइनिंगः नारियल और सूखी टहनियों से भूजल खोजने का पारंपरिक तरीका

शनमुगन ने अपनी धोती ऊपर उठाई और बड़ी ही सावधानी से अपना एक पैर जमीन पर रखा। कुछ महसूस न होने पर वह दूसरी दिशा की ओर बढ़ गए। फिर…
बेंगलुरु के रहने वाले वॉटर डिवाइनर एस. सैमसन तांबे के उपकरण से बोर पॉइंट खोजने की कोशिश कर रहे हैं। पास ही खड़े बच्चे उन्हें काम करते हुए देख रहे हैं। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 
ऑटोमेटिक सिंचाई सिस्टम के पास खड़े हुए बिनोद कुमार महतो। तस्वीर- विशाल कुमार जैन

झारखंड में तकनीक की मदद से खेती में मिलती सिंचाई, मौसम और बीमारियों की सटीक जानकारी

बात साल 2020 की है, जब दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी और काम-धंधे बंद हो रहे थे। इन सबके बीच 10 साल से पुणे में बैंक मार्केटिंग का…
ऑटोमेटिक सिंचाई सिस्टम के पास खड़े हुए बिनोद कुमार महतो। तस्वीर- विशाल कुमार जैन
राम-मोल किसान खरपतवार हटाने के लिए हल्की जुताई जैसी प्राकृतिक खेती तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसे स्थानीय भाषा में विखेड़ा कहा जाता है। तस्वीर- सात्विक-प्रमोटिंग इकोलॉजिकल एग्रीकल्चर के सौजन्य से।

सूखे इलाकों में फसल उगाने के लिए परंपरागत राम-मोल कृषि तकनीक पर भरोसा

मई का महीना करीब है और कच्छ के धरमपुर गांव में सूरज अभी से आग बरसा रहा था। इसकी परवाह किए बिना मवाभाई डांगर अपने अरंडी की फसल का जायजा…
राम-मोल किसान खरपतवार हटाने के लिए हल्की जुताई जैसी प्राकृतिक खेती तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। इसे स्थानीय भाषा में विखेड़ा कहा जाता है। तस्वीर- सात्विक-प्रमोटिंग इकोलॉजिकल एग्रीकल्चर के सौजन्य से।
हाथीपाखना गांव का निवासी हुंडी या मंदिर में प्रार्थना कर रहा है। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 

घटते फॉरेस्ट कॉमन्स, कोरापुट के आदिवासी समुदायों के लिए त्यौहार मनाना हुआ मुश्किल

ओडिशा के कोरापुट जिले में चैता परब का मौसम है। इन दिनों ज्यादातर आदिवासी महुआ के पेड़ के फूलों से बनी स्थानीय शराब महुली का लुत्फ उठाने के लिए बेताब…
हाथीपाखना गांव का निवासी हुंडी या मंदिर में प्रार्थना कर रहा है। तस्वीर- सिमरिन सिरुर/मोंगाबे 
भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड क्षेत्र के एक गांव में आम का बगीचा। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे के लिए

भागलपुर के मशहूर जर्दालू आम के किसान के सामने क्या हैं चुनौतियां?

बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव प्रखंड के सिमरो गांव के 50 वर्षीय कृष्णानंद सिंह एक ऐसे किसान हैं जिन्होंने खुद को परंपरागत खेती से आम की खेती की ओर…
भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड क्षेत्र के एक गांव में आम का बगीचा। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे के लिए
एस4एस टेक्नोलॉजीज के सोलर डिहाइड्रेटर जो कृषि उत्पादों को लंबे समय तक इस्तेमाल के लायक बनाते हैं। तस्वीर: सौम्या खंडेलवाल/एस4एस टेक्नोलॉजीज।

खाद्यान का नुकसान कम करने और किसानों की आय बढ़ाने वाली तकनीकें

कल्पना कीजिए कि आप टमाटर की खेती करने वाले किसान हैं। आपको सूखे का सामना करना पड़ा है। इससे पैदावार कम हुई है। फसल की गुणवत्ता भी खराब हुई है।…
एस4एस टेक्नोलॉजीज के सोलर डिहाइड्रेटर जो कृषि उत्पादों को लंबे समय तक इस्तेमाल के लायक बनाते हैं। तस्वीर: सौम्या खंडेलवाल/एस4एस टेक्नोलॉजीज।
वायनाड के प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य जारी है। तस्वीर- विशेष व्यवस्था।

वायनाड से सबक: केरल में आपदा प्रबंधन रणनीति के बजाय जोखिम कम करने की जरूरत

जहां कभी लोगों की बस्तियां थीं, हरियाली थी, वह इलाका अब पूरी तरह से उजाड़ हो चुका है। हर तरफ मलबा, मिट्टी और बड़े-बड़े पत्थर बिखरे दिख रहे हैं। ऐसा…
वायनाड के प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य जारी है। तस्वीर- विशेष व्यवस्था।
बन्नी में खाने योग्य घास खेवई की एक डंडी लेकर दिखाते रसूल भाई (बाएं)। वाडा कोली समुदाय के दीना भाई विलायती बबूल के पेड़ की डाल से निकला गोंद दिखाते हुए। वह इस गोंद को पेड़ से इकट्ठा करते हैं और कच्छ के वन निगम में बेचते हैं। तस्वीर- अजेरा परवीन रहमान/मोंगाबे के लिए।

बन्नी की खाने वाली घासों के खतरा बन रहा है विलायती बबूल का फैलाव

गुजरात के कच्छ में स्थित बन्नी के घास के मैदान के निवासी रसूल भाई वह समय याद करते हैं जब उनके दादा-परदादा किस्से सुनाते थे कि कैसे वे खाने वाले…
बन्नी में खाने योग्य घास खेवई की एक डंडी लेकर दिखाते रसूल भाई (बाएं)। वाडा कोली समुदाय के दीना भाई विलायती बबूल के पेड़ की डाल से निकला गोंद दिखाते हुए। वह इस गोंद को पेड़ से इकट्ठा करते हैं और कच्छ के वन निगम में बेचते हैं। तस्वीर- अजेरा परवीन रहमान/मोंगाबे के लिए।
झाबुआ के सरकारी फार्म पर कड़कनाथ मुर्गा। इसका रंग काला होता है, इनका हर अंग यहां तक कि खून भी काला होता है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

जंगल से जीआई टैग तक, झाबुआ के काले मुर्गे कड़कनाथ की कहानी

किसान वीर सिंह (44) दानों से भरी एक टोकरी लेकर कुट-कुट, कुट-कुट की आवाज लगा रहे हैं। देखते ही देखते कई दर्जन काले मुर्गे चारों तरफ से उनकी तरफ दौड़ते…
झाबुआ के सरकारी फार्म पर कड़कनाथ मुर्गा। इसका रंग काला होता है, इनका हर अंग यहां तक कि खून भी काला होता है। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
धान की बुआई। छत्तीसगढ़ में धान मुख्यतः खरीफ की फसल है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल/मोंगाबे

धान के बढ़ते समर्थन मूल्य के कारण हाशिये पर दलहन, तिलहन

देश भर में सर्वाधिक क़ीमत पर धान की ख़रीदी से छत्तीसगढ़ के किसानों की बांछे भले खिली हुई हों लेकिन राज्य में दूसरी फसलों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो…
धान की बुआई। छत्तीसगढ़ में धान मुख्यतः खरीफ की फसल है। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल/मोंगाबे
बड़वानी जिले के कुकरा राजघाट गांव की रहनेवाली सुमित्रा दरबार। यह गांव बड़वानी जिले की बड़वानी तहसील के बिरखेड़ा पंचायत में पड़ता है और पिछले साल की बाढ़ के दौरान टापू बन गया था। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

सरदार सरोवर के जलस्तर में बदलाव से अधर में लटकी हजारों परिवारों की जिंदगियां

मध्य प्रदेश के धार जिले के एकलवाड़ा गाँव के 73 वर्षीय जगदीश सिंह तोमर को पिछले साल सितंबर में नर्मदा नदी में आई बाढ़ के बाद अपना पुश्तैनी मकान छोड़ना…
बड़वानी जिले के कुकरा राजघाट गांव की रहनेवाली सुमित्रा दरबार। यह गांव बड़वानी जिले की बड़वानी तहसील के बिरखेड़ा पंचायत में पड़ता है और पिछले साल की बाढ़ के दौरान टापू बन गया था। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
अपने बैलों के साथ सुंडी बाई उइके। बैल मोटे अनाज के सूखे डंठलों के चारों तरफ घूमते हैं। इस प्रक्रिया में अनाज के दाने डंठल से अगल हो जाते हैं। तस्वीर - शुचिता झा/मोंगाबे।

मोटे अनाज से क्यों दूर हो रहे हैं मध्य प्रदेश के आदिवासी?

सुंडी बाई उइके मध्य प्रदेश के मांडला जिले के केवलारी गांव में रहती हैं। गांव में उनकी झोपड़ी मिट्टी और गाय के गोबर से लीपकर बनाई गई है। झोपड़ी के…
अपने बैलों के साथ सुंडी बाई उइके। बैल मोटे अनाज के सूखे डंठलों के चारों तरफ घूमते हैं। इस प्रक्रिया में अनाज के दाने डंठल से अगल हो जाते हैं। तस्वीर - शुचिता झा/मोंगाबे।
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 

[वीडियो] क्या अरुणाचल के बढ़ते बिजली संकट को हल कर पाएंगी पारंपरिक पनचक्कियां

रूपा बौद्ध मठ में काफी चहल पहल है। उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा उप-मंडल में रहने वाली एक प्रमुख जनजाति शेरटुकपेन अपने सबसे लोकप्रिय…
अपने खेतों में काम करते हुए मोनपा जनजाति के कुछ लोग। तस्वीर- सुरजीत शर्मा/मोंगाबे 
ओडिशा के सुंदरगढ़ के फुलधुडी गांव में अपनी मशरूम की फसल के साथ खड़ी कुछ महिलाएं। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे।

भूसे और पराली से मशरूम की खेती ने ओडिशा के गांवों की बदली तस्वीर

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के फुलधुडी गांव में रहने वाली 30 साल की भारती प्रूसेच के घर के पीछे की जमीन कई साल से बंजर पड़ी थी। लेकिन आज यही…
ओडिशा के सुंदरगढ़ के फुलधुडी गांव में अपनी मशरूम की फसल के साथ खड़ी कुछ महिलाएं। तस्वीर- ऐश्वर्या मोहंती/मोंगाबे।
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसान आवारा पशुओं से परेशान हैं। तस्वीर- सुमित यादव

सोलर फेंसिंग मशीन: यूपी के किसानों की जरूरत, ‘खेत सुरक्षा योजना’ करवा रही है इंतजार

देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के किसान साल 2017 के बाद से खेतों की रखवाली करते हुए मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। आवारा गोवंशो और…
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में किसान आवारा पशुओं से परेशान हैं। तस्वीर- सुमित यादव
छतर सिंह ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जैसलमेर में सैकड़ों खड़ीनों को पुनर्जीवित करने में मदद की है। तस्वीर- अमीर मलिक/मोंगाबे

[वीडियो] खड़ीन: राजस्थान में जल संग्रह की परंपरागत तकनीक से लहलहाती फसलें

"मान लो, आपकी हथेली जैसलमेर का कोई इलाका है और आपकी हथेली के बीच तक पहुंचने वाली ढलान खड़ीन है।” आसान से शब्दों में खड़ीन का मतलब समझाते हुए किसान…
छतर सिंह ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जैसलमेर में सैकड़ों खड़ीनों को पुनर्जीवित करने में मदद की है। तस्वीर- अमीर मलिक/मोंगाबे
गोपाल सरकार अक्टूबर 2023 के बाद रेत और गाद से ढके अपने खेत को पुराने रूप में लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बाढ़  पड़ोसी राज्य सिक्किम से शुरू हुई थी और इसने पश्चिम बंगाल में तीस्ता नदी के किनारे जलपाईगुड़ी जिले के एक हिस्से पर असर डाला। तस्वीर - अरुणिमा कर।

सिक्किम की बाढ़ के बाद गाद और रसायनों से प्रभावित उत्तरी बंगाल के किसान

पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में जलपाईगुड़ी जिले के 54 वर्षीय किसान गोपाल सरकार को पिछली सर्दियों में सब्जियों की खेती करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनका एक…
गोपाल सरकार अक्टूबर 2023 के बाद रेत और गाद से ढके अपने खेत को पुराने रूप में लाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बाढ़  पड़ोसी राज्य सिक्किम से शुरू हुई थी और इसने पश्चिम बंगाल में तीस्ता नदी के किनारे जलपाईगुड़ी जिले के एक हिस्से पर असर डाला। तस्वीर - अरुणिमा कर।