- कच्चे और आवास योजनाओं के अंतर्गत बने मकानों के लिए अभी तक मुआवजे की दर निर्धारित नहीं।
- तकनीकी संस्थानों की रिपोर्ट आने के बाद ही मिल पाएगा प्रभावित परिवारों को जमीन का मुआवजा।
- अधिक कागजी कार्यवाही और औपचारिकताएं मुआवजे के लिए आवेदन को बना रहे जटिल।
“हमारा मकान मिट्टी का बना था, जो आपदा के कारण रहने लायक नहीं बचा। अब जब हम मुआवजे के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो हमें कहा जा रहा है कि कच्चे मकान की रेट लिस्ट अभी जारी नहीं हुई है, इसलिए हमें अभी मुआवजा नहीं मिल पायेगा,” लक्ष्मी प्रसाद सती बताते हैं।
उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने से बहुत से मकानों में दरारें आईं, उसके बाद सरकार की तरफ से इस आपदा से प्रभावित मकानों और इमारतों की सूची जारी की गई। इस ही सूची में लक्ष्मी प्रसाद सती का मकान भी है।
वैसे तो जोशीमठ आपदा के प्रभावित परिवारों के स्थाई पुनर्वास के लिए 22 फरवरी 2023 को नीति बनकर तैयार हो चुकी है। इसके अनुसार प्रभावित परिवारों को मुआवजा भी दिया जा रहा है लेकिन इस नीति को लेकर जोशीमठ की जनता में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। साथ ही, मुआवजे के लिए आवेदन की लम्बी कागजी कार्यवाही और कर्मचारियों की कमी के कारण इस प्रक्रिया में हो रही देरी की वजह से आवेदनकर्ताओं को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जोशीमठ में फिलहाल 181 मकान असुरक्षित ज़ोन में हैं। लेकिन आपदा के पांच महीने से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद भी केवल 85 परिवारों को ही मुआवजे की रकम मिल पाई है। इसी हफ्ते 12 जून 2023 को जारी जोशीमठ आपदा बुलेटिन के अनुसार करीब 20 करोड़ 05 लाख रूपए की राशि इन 85 परिवारों में वितरित की गयी है।
हालाँकि, अभी तक कुल प्रभावित मकानों, जिन्हें मुआवजा मिलना है, की संख्या के बारे में प्रशासन द्वारा कोई आंकड़ा पेश नहीं किया गया है। बुलेटिन के अनुसार ऐसे मकान जिनमे दरारें दृष्टिगत हुई हैं, उनकी संख्या 868 है। इसके अतरिक्त 324 परिवारों को प्रति परिवार एक लाख की धनराशि (कुल 3.24 करोड़ रुपये) विस्थापन नीति के आने से पहले दी गई है।
जोशीमठ स्थाई पुनर्वास नीति क्या कहती है
यह नीति कहती है कि भारत सरकार के आठ तकनीकी संस्थानों के द्वारा जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव की जांच रिपोर्ट के बाद ही यह तय हो पायेगा कि जोशीमठ का कौन सा हिस्सा सुरक्षित है और कौन सा असुरक्षित। इसलिए असुरक्षित घोषित भूमि के लिए मुआवजे की दर इस रिपोर्ट के आने के बाद अलग से तय की जाएगी। इन आठ संस्थाओं ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत सरकार (एन.डी.एम.ए.) को सौंप दी है लेकिन अभी इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है जिसके कारण प्रभावित परिवारों को केवल अपने मकान का मुआवजा ही मिल पा रहा है जमीन का नहीं।
भवनों की दरें सेंट्रल पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट (सीपीडब्लूडी) की प्लिंथ एरिया दरों के तय होनी है जिसमें जीएसटी, कॉन्ट्रैक्ट प्रॉफिट, ओवरहेड चार्जेज और लेबर सेस के साथ जोशीमठ का कॉस्ट इंडेक्स भी शामिल होगा।
दरों के अनुसार प्रभावित भवन की लागत निर्धारण के बाद मूल्यह्रास को कम करने के बाद बची राशि भवन स्वामी को दी जाएगी। हालाँकि, इस सूची में कच्चे मकानों का कोई जिक्र नहीं किया गया है। इस वजह से लक्ष्मी प्रसाद सती जैसे कई लोग मुआवजे के लिए आवेदन तक नहीं कर पा रहे हैं।
“हमें हमारा मकान राजीव आवास योजना के तहत मिला था, हमारे मकान की नींव की मिट्टी नीचे धंस चुकी है जिसके कारण हमने अपना मकान जनवरी माह के शुरुआत में ही छोड़ दिया था। हम जोशीमठ में ही एक किराये के मकान में रह रहे हैं। अब जब हमारे घर के मुआवजे की बात आयी तो हमसे कहा जा रहा है कि हमारा घर योजना के तहत बना है इसलिए हमें मुआवजा कैसा,” वार्ड 01 गांधीनगर की रीना देवी बताती हैं।
मुआवजे की नीति और प्रक्रिया को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अतुल सती कहते हैं, “20 परिवार ऐसे हैं जिनको आवास योजना के तहत घर मिला था जो आपदा के कारण रहने लायक नहीं बचे। लेकिन अभी प्रशासन के द्वारा आवास योजनाओं के अंतर्गत बने घरों के लिए कोई मुआवजा तय नहीं किया है।”
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मुआवजे की प्रक्रिया को देख रहे जोशीमठ के नायब तहसीलदार अर्जुन सिंह बिष्ट कहते हैं, “हमारी ओर से सभी आवेदनों पर उचित कार्यवाही की जा रही है और प्रभावित परिवारों के घरों के लिए निर्धारित नीति के अनुसार मुआवजा दिया जा रहा है।”
वह आगे कहते हैं कि जोशीमठ में यदि कोई घर सरकारी योजना के तहत बना है और वह आपदा से प्रभावित है तो ऐसे घरों के साथ कच्चे घरों और आपदा प्रभावित जमीन के मुआवजे के लिए कोई रेट तय नहीं हुआ है इसलिए भविष्य में इनके लिए जो निर्णय लिया जाएगा उसी के आधार पर आगे की कार्यवाही होगी।
आवासीय भवन स्वामियों के लिए प्रशासन के द्वार तीन विकल्प दिए गए हैं, पहला विकल्प ऐसे भवन जो तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट के अनुसार रहने लायक नहीं है, इस प्रकार के भवन स्वामियों को निर्धारित दरों के आधार पर मुआवजा दिया जा रहा है और यदि तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट के आधार पर इन भवनों की भूमि भी असुरक्षित घोषित होती है तो भूमि का मुआवजा भविष्य में निर्धारित दरों के आधार पर दिया जाएगा।
दूसरे विकल्प के अनुसार आपदा प्रभावित ऐसे भू-भाग स्वामी जिनके भवन तथा भूमि दोनों ही असुरक्षित घोषित किये जाते हैं और इन परिवारों के द्वारा भवन का मुआवजा प्राप्त करते हुए आवासीय भूमि की मांग की जाती है तो ऐसी स्थिति में प्रभावित परिवार को 75 वर्ग मीटर भूमि जिसमे 50 वर्ग मीटर आवास भवन निर्माण और 25 वर्ग मीटर गौशाला निर्माण या अन्य कार्य हेतु दी जाएगी। यदि आपदा ग्रस्त भूमि की कीमत आवंटित 75 वर्ग मीटर भूमि की कीमत से अधिक है तो अतिरिक्त कीमत भी भविष्य में निर्धारित दरों के आधार पर दी जाएगी |
तीसरा विकल्प यदि प्रभावित परिवार का मकान और भूमि दोनों ही असुरक्षित घोषित किये जाते है और भवन स्वामी के द्वार भवन निर्माण की बात की जाती है तो ऐसे में उन्हें 75 वर्ग मीटर में घर और गौशाला बनाकर दी जाएगी और यदि प्रभावित परिवार के क्षतिग्रस्त भवन और जमीन की कीमत 75 वर्ग मीटर और उसमें बनने वाले भवन की कीमत से अधिक है तो भविष्य में अतिरिक्त धनराशि भी प्रभावित परिवार को दी जाएगी |
आवेदन में आने वाली समस्याएं
“हमारे घर को दो अलग-अलग टीमों ने नापा और इन दोनों के माप में अंतर होने के कारण हमारी मुआवज़े की अर्जी आगे नहीं बढ़ी। जब इस माप की समस्या का समाधान हुआ तो अधिकारी बोल रहे हैं कि हमारे मकान की रजिस्ट्री की नक़ल और भवन कर की तारीख में अंतर है, जिसके कारण अभी तक हमें मुआवजा नहीं मिल पाया है,” वार्ड 04 के रहने वाले प्रकाश भोटियाल बताते हैं।
प्रकाश आगे कहते हैं, “मुझे अपने घर के बदले मिलने वाले मुआवजे के आवेदन को किये हुए तीन महीने से भी अधिक का समय हो चुका है लेकिन अभी तक मुझे मेरे मकान का मुआवजा नहीं मिला है, हमारे रहने की स्थाई व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई है। कुछ ही दिनों में बरसात भी शुरू होने वाली है और हम अभी अपने टूटे हुए मकान में रह रहे है ऐसे में यदि कोई बड़ी अनहोनी होती तो इस का जिम्मेदार कौन होगा?”
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अतुल सती बताते हैं कि पुनर्वास नीति के अनुसार जो तीन विकल्प प्रभावित परिवारों को दिए गए हैं उनमें से केवल एक मुश्त आपदाग्रस्त मकान का मुआवजा प्रभावित परिवारों को दिया जा रहा है। “अभी ज़मीन का रेट तय नहीं हुआ, लोगो को ज़मीन कहां मिलेगी यह तय नहीं हुआ और वन टाइम सेटेलमेंट के तहत लोगों को जो मुआवजा दिया जाना है उसकी प्रक्रिया में बहुत जटिलताएं, बहुत सारी औपचारिकताएं प्रभावित परिवारों को मुआवजे के लिए आवेदन करने के लिए करनी पड़ रही हैं। इसके अतरिक्त मुआवजे की प्रक्रिया को पूर्ण करने में लगे कर्मचारियों की संख्या भी कम है। इन कर्मचारियों को इसके अतरिक्त प्रशासन के दूसरे काम भी देखने पड़ते हैं, जिसके चलते प्रभावितों को मुआवजा मिलने में बहुत अधिक समय लग रहा है,” वह बताते हैं।
उनका मानना है कि प्रशासन को जोशीमठ आपदा प्रबंधन को लेकर एक अलग इकाई का गठन करना चाहिए जिसका काम सिर्फ जोशीमठ में मुआवजे और आपदा प्रबंधन को देखना हो।
बैनर तस्वीरः जोशीमठ में एक क्षतिग्रस्त घर। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे