जलवायु परिवर्तन News

पश्चिम बंगाल में चक्रवात यास के बाद क्षतिग्रस्त सड़क के बगल में खड़ी एक महिला। यह साबित करने के लिए पर्याप्त वैश्विक सबूत हैं कि जलवायु परिवर्तन से महिलाएं अनुपातहीन रूप से प्रभावित हैं। तस्वीर- सुमिता रॉय दत्ता / विकिमीडिया कॉमन्स

महिलाएं और बच्चे जलवायु परिवर्तन से काफी प्रभावित, पर नीति से हैं गायब

साक्ष्यों से पता चलता है कि जैसे-जैसे तेजी के साथ जलवायु से संबंधित समस्याएं बढ़ रही है, वैसे-वैसे महिलाओं और बच्चों पर इसका बोझ भी जाहिर होता जा रहा है। …
पश्चिम बंगाल में चक्रवात यास के बाद क्षतिग्रस्त सड़क के बगल में खड़ी एक महिला। यह साबित करने के लिए पर्याप्त वैश्विक सबूत हैं कि जलवायु परिवर्तन से महिलाएं अनुपातहीन रूप से प्रभावित हैं। तस्वीर- सुमिता रॉय दत्ता / विकिमीडिया कॉमन्स
बायोचार बनाने की प्रक्रिया। बायोचार को पेड़ों और फसलों से जुड़े अपशिष्ट पदार्थों (पराली, भूसा, डंठल सूखे पत्तों आदि) से बनाया जाता है और लंबे वक्त तक जमीन में दबाकर रखा जाता है। तस्वीर- लोरेन इशाक/पर्माकल्चर एसोसिएशन/फ्लिकर

बायोचार में बिगड़ते मौसम को बचाने की ताकत, लेकिन लागत बड़ी बाधा

मौसम में हो रहे बदलावों से निपटने के लिए आजकल बायोचार की खूब चर्चा हो रही है। एक नए रिव्यू के मुताबिक इससे टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को भी हासिल…
बायोचार बनाने की प्रक्रिया। बायोचार को पेड़ों और फसलों से जुड़े अपशिष्ट पदार्थों (पराली, भूसा, डंठल सूखे पत्तों आदि) से बनाया जाता है और लंबे वक्त तक जमीन में दबाकर रखा जाता है। तस्वीर- लोरेन इशाक/पर्माकल्चर एसोसिएशन/फ्लिकर
अफ्रीकी कैटफ़िश को नए और कठिन माहौल पसंद है और वे यहां आसानी से अपना विकास कर सकती हैं। तस्वीर– सौम्यब्रत रॉय / विकिमीडिया कॉमन्स

बढ़ते तापमान के सहारे गंगा में बढ़ रही घुसपैठिए मछलियों की संख्या

गंगा नदी घाटी में 25 किलोमीटर के दायरे में क्षेत्रीय जलवायु मॉडल (रीजनल क्लाइमेट मॉडल) के जरिए अध्ययन किया गया। अध्ययन के नतीजों के आधार पर भविष्यवाणी की गई कि…
अफ्रीकी कैटफ़िश को नए और कठिन माहौल पसंद है और वे यहां आसानी से अपना विकास कर सकती हैं। तस्वीर– सौम्यब्रत रॉय / विकिमीडिया कॉमन्स
बैनर तस्वीर: हरियाणा के रोहतक जिले में एक गेहूं का खेत। तस्वीर- कपिल काजल

[वीडियो] हीटवेव की मार से उत्तर भारत में गेहूं के दाने हुए खराब

36 वर्षीय हरदीप कौर और उनके 39 वर्षीय पति चमकौर सिंह के पास उत्तर भारतीय राज्य पंजाब के बठिंडा जिले में दो एकड़ कृषि भूमि है। मार्च और अप्रैल में…
बैनर तस्वीर: हरियाणा के रोहतक जिले में एक गेहूं का खेत। तस्वीर- कपिल काजल
उदयपुर में मॉनसून की बारिश। हवा में धूल से भी बारिश का पैटर्न बदलता है। तस्वीर- मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स

वैश्विक और स्थानीय घटनाओं से कैसे प्रभावित होता है भारतीय ग्रीष्मकालीन मॉनसून?

आमिर खान की फिल्म लगान में एक बहुत मशहूर दृश्य है जिसमें सूखे से परेशान लोग बादल की राह देख रहे हैं। उस सूखाग्रस्त इलाके में काले बादल आते हैं…
उदयपुर में मॉनसून की बारिश। हवा में धूल से भी बारिश का पैटर्न बदलता है। तस्वीर- मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स
पर्याप्त मशरूम इकट्ठा करने के बाद स्थानीय लोग इसे एक साथ किसी रस्सी में माला की तरह गुंथकर रखते हैं। उसके बाद इसे धूप में सुखाने के लिए टांग दिया जाता है। तस्वीर- जिज्ञासा मिश्रा

मुश्किल हो रहा हिमालयी मशरूम गुच्छी का संग्रह, बढ़ता हुआ तापमान है जिम्मेदार

शिमला के कोटी की रहने वाली रीना देवी पिछले साल तक घर के नजदीक के जंगल में दिन में 6-7 घंटे बिताती थीं। वे गुच्छी चुनने के लिये घर से…
पर्याप्त मशरूम इकट्ठा करने के बाद स्थानीय लोग इसे एक साथ किसी रस्सी में माला की तरह गुंथकर रखते हैं। उसके बाद इसे धूप में सुखाने के लिए टांग दिया जाता है। तस्वीर- जिज्ञासा मिश्रा
शहरों की कई विशेषताओं के कारण ऐसे क्षेत्र बनते हैं जहां अधिक गर्मी होती है। सबसे पहले तो शहरों में पेड़-पौधों के कम होने के कारण ज्यादा वाष्पीकरणऔर ज्यादा वाष्पोत्सर्जन होता है। इन दोनों प्रक्रियाओं के कारण गर्मी ज्यादा होती है। तस्वीर- मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स

शहर में अधिक गर्मी क्यों पड़ रही और शहर हीट आईलैंड क्यों बन जाते हैं?

आजकल गर्मी अपने चरम पर है और इसके तरह-तरह के रूप देखने को मिल रहे हैं। जैसे शहरों में गावों से अधिक गर्मी होना। इसी को अर्बन हीट आईलैंड कहते…
शहरों की कई विशेषताओं के कारण ऐसे क्षेत्र बनते हैं जहां अधिक गर्मी होती है। सबसे पहले तो शहरों में पेड़-पौधों के कम होने के कारण ज्यादा वाष्पीकरणऔर ज्यादा वाष्पोत्सर्जन होता है। इन दोनों प्रक्रियाओं के कारण गर्मी ज्यादा होती है। तस्वीर- मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स
चक्रवाती तूफान नीलम के बाद तमिलनाडु के एक समुद्री तट का दृष्य। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए संसाधन जुटाना भारत के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में शामिल है। तस्वीर- विनोथ चंदर/विकिमीडिया कॉमन्स

[कमेंट्री] बढ़ रहा मौसम का प्रकोप,भविष्य की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत

अभी देश के कई राज्य खासकर उत्तर भारत का हिस्सा भीषण गर्मी की चपेट में है। मौसम विभाग न केवल हीटवेव से संबंधित अलर्ट जारी कर रहा बल्कि इससे बचने…
चक्रवाती तूफान नीलम के बाद तमिलनाडु के एक समुद्री तट का दृष्य। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए संसाधन जुटाना भारत के महत्वपूर्ण लक्ष्यों में शामिल है। तस्वीर- विनोथ चंदर/विकिमीडिया कॉमन्स
बैनर तस्वीर: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा इस परियोजना की समीक्षा की गई। इसमें कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के चुनिंदा गांवों का अध्ययन हुआ। तस्वीर- विजय कुट्टी /आईएलओ एशिया पैसिफिक / फ़्लिकर

जलवायु परिवर्तन से जूझने में कितने कारगर कार्बन पॉजिटिव गांव?

कर्नाटक के किसान महेश जब भी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए जल और मृदा संरक्षण को लेकर चर्चा करते हैं, उनका सवाल होता कि उससे कृषि की…
बैनर तस्वीर: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा इस परियोजना की समीक्षा की गई। इसमें कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के चुनिंदा गांवों का अध्ययन हुआ। तस्वीर- विजय कुट्टी /आईएलओ एशिया पैसिफिक / फ़्लिकर
इंडियन स्किमर पक्षी का एक झुंड। इनकी लंबी चोंच पानी को चीरने का काम करती है ताकि ये अंदर तैर रही मछलियों का शिकार कर सके। तस्वीर- वाइल्डमिश्रा/विकिमीडिया कॉमन्स

[कमेंट्री] रियो सम्मेलन के तीस साल, बिगड़ते हालात में भी दिख रही उम्मीद की किरण

इस गर्मी में रियो अर्थ समिट के तीस साल पूरे हो जाएंगे। इस समिट के हरेक दशक के पूरा होने पर संयुक्त राष्ट्र एक बड़ा आयोजन करता रहा है। पर…
इंडियन स्किमर पक्षी का एक झुंड। इनकी लंबी चोंच पानी को चीरने का काम करती है ताकि ये अंदर तैर रही मछलियों का शिकार कर सके। तस्वीर- वाइल्डमिश्रा/विकिमीडिया कॉमन्स
आईपीसीसी की रिपोर्ट कहती है कि महज मीडिया कवरेज बढ़ाने से जलवायु परिवर्तन से लड़ाई का अधिक सटीक कवरेज नहीं होता है। गलत सूचना के प्रसार भी बढ़ सकता है। तस्वीर- स्नेहा/पिक्साहाइव

फेक न्यूज या गलत जानकारी से जलवायु परिवर्तन से लड़ना हो रहा मुश्किल: आईपीसीसी

जलवायु परिवर्तन के बारे में मिसइंफॉर्मेशन या गलत सूचना से लोगों की धारणा पर गलत असर होता है। ये गलत सूचनाएं फेक न्यूज या गलत जानकारी के रूप में समाज…
आईपीसीसी की रिपोर्ट कहती है कि महज मीडिया कवरेज बढ़ाने से जलवायु परिवर्तन से लड़ाई का अधिक सटीक कवरेज नहीं होता है। गलत सूचना के प्रसार भी बढ़ सकता है। तस्वीर- स्नेहा/पिक्साहाइव
केरल में निर्माण श्रमिक। कई भारतीयों को अपने काम की प्रकृति के कारण गर्मियों में लंबे समय तक कड़ी धूप में रहना पड़ता है। तस्वीर- अरकर्जुन/विकिमीडिया कॉमन्स

जलवायु परिवर्तन का कहर, बढ़ गए हैं हीटवेव वाले दिन

देश के कई हिस्सों में गर्मी का कहर अब असहनीय हो चला है। गर्मी के इस कहर को दिल्ली के बाहरी इलाके नोएडा में एक रिक्शा चालक सुनील दास की…
केरल में निर्माण श्रमिक। कई भारतीयों को अपने काम की प्रकृति के कारण गर्मियों में लंबे समय तक कड़ी धूप में रहना पड़ता है। तस्वीर- अरकर्जुन/विकिमीडिया कॉमन्स
आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण एशिया और विशेष रूप से भारत में गर्म दिन और रातों की संख्या बढ़ रही है। तस्वीर- पिक्साबे

जलवायु परिवर्तन के सबसे स्पष्ट संकेत हीटवेव से कैसे बचें?

यह एक संयोग ही है कि जब जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ पैनल (आईपीसीसी) ने अपनी छठी आकलन रिपोर्ट का तीसरा और अंतिम हिस्सा जारी किया तभी भारत…
आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण एशिया और विशेष रूप से भारत में गर्म दिन और रातों की संख्या बढ़ रही है। तस्वीर- पिक्साबे
पवन चक्की से कुछ दूर जलावन के लिए लकड़ियां इकट्ठा करता एक किसान। नेट जीरो को लेकर भारत की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर जानकारों की राय है कि वर्तमान स्थिति में भारत की नीति निर्माण में भारी विरोधाभास है। तस्वीर- वेस्तास/याहू/फ्लिकर

जलवायु परिवर्तन से जंग में पीछे छूटते भारतीय बैंक

भारत एनर्जी ट्रांजिशन के दौर से गुजर रहा है। इस ट्रांजिशन के तहत देश कार्बन उत्सर्जन करने वाले जीवाश्म ऊर्जा के स्रोत जैसे पेट्रोलियम, कोयला आदि की जगह सौर और…
पवन चक्की से कुछ दूर जलावन के लिए लकड़ियां इकट्ठा करता एक किसान। नेट जीरो को लेकर भारत की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर जानकारों की राय है कि वर्तमान स्थिति में भारत की नीति निर्माण में भारी विरोधाभास है। तस्वीर- वेस्तास/याहू/फ्लिकर
औद्योगिक क्षेत्र से होने वाले कुल कार्बन उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई लौह और इस्पात क्षेत्र से होता है। तस्वीर- जॉन ब्यूफोर्ट/Publicdomainpictures.net

भारत के स्टील क्षेत्र के सामने खपत बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने की चुनौती

हाल ही में टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक ने कहा था कि भारत में ग्रीन स्टील के उत्पादन के लिए जरूरी गैस और स्क्रैप उपलब्ध नहीं है। इसके एक महीने…
औद्योगिक क्षेत्र से होने वाले कुल कार्बन उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई लौह और इस्पात क्षेत्र से होता है। तस्वीर- जॉन ब्यूफोर्ट/Publicdomainpictures.net
बैनर तस्वीर: बाजोली-होली जलविद्युत परियोजना का एक दृश्य। तस्वीर- विशेष प्रबंध

हिमाचल में आदिवासियों को उजाड़ती पनबिजली परियोजना

25 मार्च 2014 की तारीख, हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला स्थित झरौता गांव के लोग इस तारीख को भूल नहीं सकते। इसी दिन कम से कम 31 महिलाओं को पुलिस…
बैनर तस्वीर: बाजोली-होली जलविद्युत परियोजना का एक दृश्य। तस्वीर- विशेष प्रबंध
कुएं की खुदाई में मारुवन परियोजना की टीम की मदद करते स्थानीय लोग। गौरव गुर्जर द्वारा फोटो।

जापानी विधि से राजस्थान के मरुस्थल में तैयार हो रहा वन

जंगली पेड़ों के जानकार गौरव गुर्जर जोधपुर में पले-बढ़े हैं। पढ़ाई और रोजगार के लिए वे अपने घर से दूर जाने वाले गौरव गुर्जर को इसका अंदाजा यह नहीं था…
कुएं की खुदाई में मारुवन परियोजना की टीम की मदद करते स्थानीय लोग। गौरव गुर्जर द्वारा फोटो।
दार्जिलिंग में चाय के बगान। तस्वीर- व्याचेस्लाव अर्जेनबर्ग/विकिमीडिया कॉमन्स

देश में वनों की स्थिति: बढ़ रहा है पौधारोपण और घट रहे हैं वन

भारत सरकार ने हाल ही में वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 (आईएसएफआर) जारी किया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दो साल पहले की तुलना में देश के वन क्षेत्र…
दार्जिलिंग में चाय के बगान। तस्वीर- व्याचेस्लाव अर्जेनबर्ग/विकिमीडिया कॉमन्स
[कॉमेंट्री] उदारीकरण के 30 साल: क्या कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय मध्य वर्ग की दिशा बदलेगी?

कोविड, किसान आंदोलन, उदारीकरण, पेसा, नेट जीरो से जोड़कर देखा जाएगा साल 2021

अभी 2022 दहलीज पर खड़ा है और इसके साथ ओमीक्रॉन भी। पूरी मानव सभ्यता इस उम्मीद में है कि कोविड के डेल्टा ने 2021 में जो तबाही मचाई वैसे आगे…
[कॉमेंट्री] उदारीकरण के 30 साल: क्या कोविड-19 की दूसरी लहर भारतीय मध्य वर्ग की दिशा बदलेगी?
खेत में फसल के साथ पशुधन, पेड़, बागवानी के साथ एक किसान का घर। यह कृषि वानिकी का एक उदाहरण है। ऐसे मॉडल अपनाने से जलवायु परिवर्तन की रफ्तार कम हो सकती है। तस्वीर- वर्ल्ड एग्रोफोरेस्ट्री सेंटर/देवश्री नायक/फ़्लिकर

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में कारगर हैं प्रकृति आधारित समाधान

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) और प्रकृति संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) की हाल ही में जारी रिपोर्ट चर्चा में है। रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि भारत…
खेत में फसल के साथ पशुधन, पेड़, बागवानी के साथ एक किसान का घर। यह कृषि वानिकी का एक उदाहरण है। ऐसे मॉडल अपनाने से जलवायु परिवर्तन की रफ्तार कम हो सकती है। तस्वीर- वर्ल्ड एग्रोफोरेस्ट्री सेंटर/देवश्री नायक/फ़्लिकर
बुरहानपुर में जलवायु परिवर्तन की वजह से जल संकट गहरा सकता है। यहां मौजूद 400 साल पुराना मुगलों का बनाया कुंडी भंडारा शहर की यह समस्या दूर कर रहा है। तस्वीर साभार- शालीकराम चौधरी

मुगल सैनिकों के लिए बने कनात सिस्टम से बुझ रही बुरहानपुर की प्यास

पुरानी इमारतें, विशाल दरवाजों और दीवार से घिरा शहर बुरहानपुर मुगलकालीन विरासत को आज भी सहेजे हुए हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से तकरीबन 300 किलोमीटर दूर स्थित इस…
बुरहानपुर में जलवायु परिवर्तन की वजह से जल संकट गहरा सकता है। यहां मौजूद 400 साल पुराना मुगलों का बनाया कुंडी भंडारा शहर की यह समस्या दूर कर रहा है। तस्वीर साभार- शालीकराम चौधरी
अपने सम्बोधन में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद के तौर पर अमीर देशों से एक लाख करोड़ डॉलर की मांग की।। तस्वीर- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन/कियारा वर्थ

जलवायु परिवर्तन को लेकर कॉप-26 में क्या हुआ हासिल?

संयुक्त राष्ट्र का 26वां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को आयोजन यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में आयोजित किया गया था। इसे कॉप-26 के नाम से भी जाना जाता है। इस सम्मेलन का…
अपने सम्बोधन में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद के तौर पर अमीर देशों से एक लाख करोड़ डॉलर की मांग की।। तस्वीर- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन/कियारा वर्थ
गुजरात के हाइवे पर मवेशियों को ले जाते चरवाहे। मीथेन उत्सर्जन में मवेशियों की भी भूमिका होती है। मीथेन गैस उत्सर्जन में कटौती की जाए तो देश में कई लोगों की आजीविका संकट में आ जाएगी। तस्वीर- दिव्या मुदप्पा/विकिमीडिया

कॉप-26 और मीथेन उत्सर्जन: वैश्विक जलवायु परिवर्तन की बातचीत में भारतीय मवेशी भी रहे मुद्दा

हाल ही में संपन्न हुए ग्लासगो पर्यावरण सम्मेलन की कुछेक उपलब्धियों में मीथेन गैस के उत्सर्जन में कटौती करना भी शामिल है। हालांकि भारत ने अपने को इससे दूर रखा…
गुजरात के हाइवे पर मवेशियों को ले जाते चरवाहे। मीथेन उत्सर्जन में मवेशियों की भी भूमिका होती है। मीथेन गैस उत्सर्जन में कटौती की जाए तो देश में कई लोगों की आजीविका संकट में आ जाएगी। तस्वीर- दिव्या मुदप्पा/विकिमीडिया
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप-26: ग्लासगो वार्ता में बेचे गए बस सपने, आर्थिक मदद और ठोस कार्रवाई नदारद

दो सप्ताह की बातचीत के बाद ग्लासगो में चल रहा संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन शनिवार को समाप्त हो गया।  आखिर में जो हासिल हुआ उसे आयोजकों ने उपलब्धि बताई…
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
क्लाइमेट जस्टिस की मांग को लेकर ग्लासगो में कॉप 26 सम्मेलन स्थल पर प्रदर्शन करते प्रदर्शनकारी। तस्वीर- सौम्य सरकार/मोंगाबे

कॉप-26: मौसमी आपदाएं बढ़ रहीं हैं, क्या लॉस एंड डैमेज को लेकर बात होगी!

ग्लासगो में चल रहा संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन अब खत्म होने की कगार पर है। अब इस समझौते में सक्रिय राजनयिक और वार्ताकार के बीच इस बात को लेकर जद्दोजहद…
क्लाइमेट जस्टिस की मांग को लेकर ग्लासगो में कॉप 26 सम्मेलन स्थल पर प्रदर्शन करते प्रदर्शनकारी। तस्वीर- सौम्य सरकार/मोंगाबे
23-वर्षीय एलिस बरवा ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन में आदिवासी युवाओं का प्रतिनिधित्व किया। उनके नेतृत्व में गांव छोड़ब नहीं और हसदेव अरण्य बचाओ जैसे पोस्टर्स प्रदर्शनी में शामिल किए गए। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप-26 में गूंजा ‘गांव छोड़ब नहीं’ की धुन, युवाओं ने भी संभाला मोर्चा

यह ग्लासगो में जलवायु सम्मेलन कॉप 26 का दूसरा सप्ताह है। विश्व के नेताओं ने ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की आवश्यकता के साथ अपने देशों…
23-वर्षीय एलिस बरवा ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन में आदिवासी युवाओं का प्रतिनिधित्व किया। उनके नेतृत्व में गांव छोड़ब नहीं और हसदेव अरण्य बचाओ जैसे पोस्टर्स प्रदर्शनी में शामिल किए गए। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
ग्लासगो शहर में चल रहे कॉप 26 शिखर वार्ता के दौरान कई तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ब्ला ब्ला ब्लाह के पोस्टर यहां काफी देखे जा रहे हैं, जिसका अर्थ है सम्मेलन में वैश्विक नेता बे मतलब की बातें कर रहे हैं, जबकि युवा तत्काल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई चाहते हैं। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप-26: बढ़ते प्राकृतिक आपदा के बीच क्या ग्लासगो भी एक खानापूर्ति का मंच बनकर रह जाएगा?

शनिवार और रविवार को ग्लासगो की सड़कों पर खासा रौनक थी। दुनिया भर से आए हजारों हजार लोग रंगीन पोस्टर, गीत-संगीत, नारेबाजी के माध्यम से कॉप-26 में मौजूद राजनीतिज्ञों, उद्योगपतियों…
ग्लासगो शहर में चल रहे कॉप 26 शिखर वार्ता के दौरान कई तरह के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ब्ला ब्ला ब्लाह के पोस्टर यहां काफी देखे जा रहे हैं, जिसका अर्थ है सम्मेलन में वैश्विक नेता बे मतलब की बातें कर रहे हैं, जबकि युवा तत्काल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई चाहते हैं। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
तमिलनाडु स्थित एक ताप ऊर्जा संयंत्र। कोविड-19 महामारी का प्रकोप कम होने पर ऊर्जा जरूरत की पूर्ति के लिए भारत में कोयले की खपत बढ़ी है। तस्वीर- राजकुमार/विकिमीडिया कॉमन्स 

कॉप-26 और भारत: वैश्विक कार्बन बजट, न्याय की लड़ाई और विकासशील देशों का नेतृत्व

कोविड-19 महामारी की वजह से विश्व भर में लगे लॉकडाउन ने कार्बन उत्सर्जन में थोड़ी कमी जरूर की थी। पर वैश्विक अर्थव्यवस्था खुलने के साथ उत्सर्जन भी तेजी से बढ़ा…
तमिलनाडु स्थित एक ताप ऊर्जा संयंत्र। कोविड-19 महामारी का प्रकोप कम होने पर ऊर्जा जरूरत की पूर्ति के लिए भारत में कोयले की खपत बढ़ी है। तस्वीर- राजकुमार/विकिमीडिया कॉमन्स