बर्फ

भारत में हिम तेंदुओं की संख्या का अनुमान आखिरी बार 1980 के दशक में लगाया गया था। इसके मुताबिक, देश में हिम तेंदुओं की संख्या 400 से 700 थी। तस्वीर-इस्माइल शरीफ। 

[वीडियो] हिम तेंदुओं की संख्या 700 पार हुई, अगला कदम दीर्घकालिक निगरानी

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से इस महीने की शुरुआत में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हिम तेंदुओं की संख्या 718 हो गई हैं। इस…
भारत में हिम तेंदुओं की संख्या का अनुमान आखिरी बार 1980 के दशक में लगाया गया था। इसके मुताबिक, देश में हिम तेंदुओं की संख्या 400 से 700 थी। तस्वीर-इस्माइल शरीफ। 
कश्मीर में बर्फ से सूनी पहाड़ी ढलानें। तस्वीर - मुदस्सिर कुल्लू।

कश्मीर में मौसमी बर्फबारी में कमी, जंगल, ग्लेशियर और नदी-झीलों पर पड़ेगा असर

जम्मू और कश्मीर में दिसंबर और जनवरी के महीनों में सूखा मौसम देखा गया। इससे क्षेत्र की जैव विविधता के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। जानकार मौसम में…
कश्मीर में बर्फ से सूनी पहाड़ी ढलानें। तस्वीर - मुदस्सिर कुल्लू।
नेपाल में हिमालय के सागरमाथा राष्ट्रीय उद्यान में एक पर्वत। तस्वीर- पीटर प्रोकोच

कम हो रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर और बर्फ, आने वाले समय में और अधिक खतरे की आशंका – अध्ययन

हिमालयन यूनिवर्सिटी कंसोर्टियम (एचयूसी) के फेलो जैकब एफ. स्टीनर ने कहा, "वैज्ञानिकों के रूप में, हमें सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि हिमालय में ग्लेशियर किस पैमाने पर…
नेपाल में हिमालय के सागरमाथा राष्ट्रीय उद्यान में एक पर्वत। तस्वीर- पीटर प्रोकोच
लद्दाख के नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अभियान के तहत सोनम वांगचुक ने जून 2023 में क्लाइमेट फास्ट (जलवायु उपवास) रखा। तस्वीर- सोनम वांगचुक/ट्विटर

[साक्षात्कार] छठवी अनुसूची में संरक्षण मिलने से कैसे बचेगी नाजुक लद्दाख की आबोहवा, समझा रहे हैं पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक

ग्लेशियर की वजह से लद्दाख में जीवन संभव है। सबसे बड़ा मुद्दा ग्लेशियर के तेजी से पिघलने का है। यह एक ठंडा रेगिस्तान है और यहां जिंदगी मुमकिन है तो…
लद्दाख के नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अभियान के तहत सोनम वांगचुक ने जून 2023 में क्लाइमेट फास्ट (जलवायु उपवास) रखा। तस्वीर- सोनम वांगचुक/ट्विटर
आइबिस बिल नदियों की छोटी धाराओं के छोटे द्वीपों में अपना घोंसला बनाता है, जो चट्टानों के बड़े और छोटे पत्थरों के बीच छिपा होता है। तस्वीर- नीलांजन चटर्जी 

बदलती जलवायु की वजह से खतरे में हिमालय की करिश्माई जलपक्षी आइबिस बिल की आबादी

समुद्रतल से बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में एक ऐसी पक्षी का घर है जिन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता। ये घर चट्टानों के गोल पत्थरों के बीच छिपे होते…
आइबिस बिल नदियों की छोटी धाराओं के छोटे द्वीपों में अपना घोंसला बनाता है, जो चट्टानों के बड़े और छोटे पत्थरों के बीच छिपा होता है। तस्वीर- नीलांजन चटर्जी 
द्रास क्षेत्र में ग्लेशियर। तस्वीर- शकील ए रोमशू।

लद्दाख: बढ़ते तापमान व ब्लैक कार्बन से पिघलते ग्लेशियर, आपदा की आशंका

पश्चिमी हिमालय के ग्लेशियर, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लिए पानी के स्रोत हैं। शोधकर्ताओं ने विभिन्न अध्ययनों में पाया है कि, ब्लैक कार्बन और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ने के…
द्रास क्षेत्र में ग्लेशियर। तस्वीर- शकील ए रोमशू।