वन्य जीव एवं जैव विविधता News

पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला

चामी मुर्मू: पेड़ और पानी से होते हुए पद्म श्री तक का सफर

32 साल में लगाए 30 लाख पेड़। हर दिन करीब 257 पौधे।   71 गांवों में चार अमृत सरोवर सहित कुल 217 तालाबों का निर्माण।  263 गांवों में बनाए 2873 स्वयं…
पहाड़ी नाली बनाने में अन्य मजदूरों का सहयोग करतीं चामी मुर्मू। पहाड़ पर जब बारिश होती है तो पानी तेजी से नीचे आता है, जिसे इस नाली की मदद से इकट्ठा किया जाता है। तस्वीर साभार- सहयोगी महिला
घनी हरी कैनोपी और शानदार पीले फूल आक्रमणकारी कसोद के पौधों को आकर्षक बनाते हैं। तस्वीर- पी ए विनयन।

कभी खूबसूरती और छाया के लिए लगाए गए थे कसोद के पौधे, अब बने जंजाल

साल 1986 में केरल के वन विभाग ने एक ऐसा फैसला लिया था जिसके लिए उन्हें कई दशक बाद पछताना पड़ रहा है। वन विभाग की सोशल फॉरेस्ट्री विंग ने…
घनी हरी कैनोपी और शानदार पीले फूल आक्रमणकारी कसोद के पौधों को आकर्षक बनाते हैं। तस्वीर- पी ए विनयन।
दिसंबर 2022 में पश्चिमी नेपाल में आम कबूतरों का एक बड़ा झुंड देखा गया। झुंड कुछ ही दिनों में तितर-बितर हो गया। फोटो- हीरूलाल डंगौरा। 

नेपाल में कबूतरों के बड़े झुंड को लेकर क्यों हैरान हैं शोधकर्ता

नेपाल में तीन शोधकर्ता, हीरूलाल डंगौरा, विक्रम तिवारी और शुभम चौधरी, दिसंबर 2022 में नेपाल के पश्चिमी मैदानी इलाकों में गिद्धों की एक कॉलोनी पर नियमित शोध कर रहे थे।…
दिसंबर 2022 में पश्चिमी नेपाल में आम कबूतरों का एक बड़ा झुंड देखा गया। झुंड कुछ ही दिनों में तितर-बितर हो गया। फोटो- हीरूलाल डंगौरा। 
मध्य प्रदेश की बैगा आदिवासी महिलाएं। बैगा मूलतः वनवासी हैं, जो जंगलों में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में वनों की कटाई और विकास की गति ने उन्हें शहरों के नजदीकी स्थानों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है। (प्रतीकात्मक इमेज) तस्वीर-सैंडी और व्याज/विकिमीडिया कॉमन्स

बेहतर वन प्रबंधन के लिए आदिवासी समुदाय का नजरिया शामिल करना जरूरी

भारत में जंगल में रहने वाले आदिवासी समुदायों के लिए जंगल का क्या मतलब है? क्या वे वन पारिस्थितिकी तंत्र को उसी तरह देखते हैं जैसे जंगल के बाहर के…
मध्य प्रदेश की बैगा आदिवासी महिलाएं। बैगा मूलतः वनवासी हैं, जो जंगलों में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में वनों की कटाई और विकास की गति ने उन्हें शहरों के नजदीकी स्थानों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है। (प्रतीकात्मक इमेज) तस्वीर-सैंडी और व्याज/विकिमीडिया कॉमन्स
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से के 70 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है।। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल

हसदेव अरण्य: विधानसभा के संकल्प, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के बावजूद बढ़ता कोयला खनन

छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है। राज्यपाल से लेकर विधानसभा तक ने, हसदेव अरण्य में कोयला खदानों पर रोक लगाने की बात कही…
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से के 70 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है।। तस्वीर- आलोक प्रकाश पुतुल
बेतवा नदी मध्य प्रदेश के अशोकनगर से होकर उत्तर प्रदेश की सीमा के पास बहती है। तस्वीर- पंकज सक्सेना/विकिमीडिया कॉमन्स

केन-बेतवा परियोजना आगे बढ़ी, लेकिन नदियों को जोड़ने से सूखे की आशंका

केन-बेतवा लिंक परियोजना को 'सैद्धांतिक' मंजूरी दिए जाने के तकरीबन छह साल बाद ‘पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ की तरफ से 3 अक्टूबर को अंतिम वन मंजूरी दे दी…
बेतवा नदी मध्य प्रदेश के अशोकनगर से होकर उत्तर प्रदेश की सीमा के पास बहती है। तस्वीर- पंकज सक्सेना/विकिमीडिया कॉमन्स
कर्नाटक में अघनाशिनी नदी। अघनाशिनी नदी के किनारे स्थित मैंग्रोव मछलियों और झींगों के लिए महत्वपूर्ण नर्सरी के रूप में काम करते हैं और उनके प्रजनन और अंडे देने की प्रक्रिया में जरूरी भूमिका निभाते हैं। तस्वीर - हेगड़ेसुदर्शन/विकिमीडिया कॉमन्स। 

भारत में रामसर साइट की सूची में शामिल हुए पांच नए वेटलैंड्स

इस साल दो फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस से पहले भारत के खाते में पांच और रामसर साइटें जुड़ गई हैं।  अब इन साइटों की कुल संख्या 75 से बढ़कर…
कर्नाटक में अघनाशिनी नदी। अघनाशिनी नदी के किनारे स्थित मैंग्रोव मछलियों और झींगों के लिए महत्वपूर्ण नर्सरी के रूप में काम करते हैं और उनके प्रजनन और अंडे देने की प्रक्रिया में जरूरी भूमिका निभाते हैं। तस्वीर - हेगड़ेसुदर्शन/विकिमीडिया कॉमन्स। 
गुजरात के मोरबी जिले में लिटिल रण ऑफ कच्छ (एलआरके) के किनारे स्थित एक गांव वेनासर के मछुआरों का कहना है कि हाल के वक्त में शायद ही कोई मछली पकड़ी गई है। मछली पकड़ने के उपकरण घर वापस ले जाने के लिए किराए लायक कमाई भी नहीं हो पाई है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे। 

नमक निर्माण या झींगा पालनः दो आजीविका के बीच द्वंद

“मिट्ठू बराबर छे?” (क्या नमक ठीक है?) रुकसाना ने झींगा चावल परोसते हुए पूछा। इस सवाल पर सभी खाने वालों के चेहरे पर एक व्यंग्यपूर्ण मुस्कुराहट आई। इसकी वजह है…
गुजरात के मोरबी जिले में लिटिल रण ऑफ कच्छ (एलआरके) के किनारे स्थित एक गांव वेनासर के मछुआरों का कहना है कि हाल के वक्त में शायद ही कोई मछली पकड़ी गई है। मछली पकड़ने के उपकरण घर वापस ले जाने के लिए किराए लायक कमाई भी नहीं हो पाई है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे। 
मालिया मछली बाज़ार। जिंजर झींगा (मेटापेनियस कचेंसिस) कच्छ की खाड़ी की एक स्थानिक प्रजाति है और इसकी मछली पकड़ना यहां आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे

कच्छ में बढ़ते नमक उत्पादन से सिमट रहा झींगा कारोबार

गुजरात के कच्छ का सूरजबाड़ी ब्रिज डीजल का धुआं, धूल, ट्रक और ट्रेन की आवाज से आपका स्वागत करता है। आगे बढ़ने पर उस ब्रिज से नमक का मैदान दिखना…
मालिया मछली बाज़ार। जिंजर झींगा (मेटापेनियस कचेंसिस) कच्छ की खाड़ी की एक स्थानिक प्रजाति है और इसकी मछली पकड़ना यहां आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे
पातालकोट इलाके में जड़ी बूटी बेचते भारिया आदिवासी। इनके अनुसार जंगल से मिलने वाली जड़ी-बूटियों की मात्रा कम होने से आमदनी में कमी आई है। तस्वीर- सतीश मालवीय/मोंगाबे

मध्य प्रदेश के जंगलों में क्यों कम हो रहा है औषधीय पौधों का उत्पादन

"हाथ में पैसा होगा तभी त्योहार मनाना अच्छा लगता है," रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से सटे मोरावन गांव की सहरिया आदिवासी बस्ती में…
पातालकोट इलाके में जड़ी बूटी बेचते भारिया आदिवासी। इनके अनुसार जंगल से मिलने वाली जड़ी-बूटियों की मात्रा कम होने से आमदनी में कमी आई है। तस्वीर- सतीश मालवीय/मोंगाबे
इचोर्निया क्रैसिप्स को आमतौर पर पानी की जलकुंभी कहा जाता है। यह एक बाहरी आक्रमणकारी प्रजाति है जो भारत में हर जगह पानी में पाई जाती है। तस्वीर- शहादत हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स। 

पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वैश्विक खतरा हैं जैव आक्रमण

आक्रमणकारी प्रजातियों का प्रसार जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के सामने मौजूद पांच बड़े खतरों में से एक है। ऐसे जानवर, पौधे, कवक और सूक्ष्म जीव जो कि…
इचोर्निया क्रैसिप्स को आमतौर पर पानी की जलकुंभी कहा जाता है। यह एक बाहरी आक्रमणकारी प्रजाति है जो भारत में हर जगह पानी में पाई जाती है। तस्वीर- शहादत हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स। 
लिटिल रण ऑफ कच्छ में घूमते जंगली गधे। तस्वीर- रोहित कैडज़/विकिमीडिया कॉमन्स

गुजरात के दुर्लभ जंगली गधों के संरक्षण के लिये आगे आए कच्छ में नमक बनाने वाले अगरिया

नमक के मैदानों में डेरा डालने के लिए तेजल मकवाना अपना सामान पैक कर रही हैं। दशहरा के त्यौहार के बाद वह और उनके पति दानाभाई मकवाना किराए पर एक…
लिटिल रण ऑफ कच्छ में घूमते जंगली गधे। तस्वीर- रोहित कैडज़/विकिमीडिया कॉमन्स
रामेश्वरम में ओलाईकुडा तट पर समुद्री शैवाल निकालती हुई उषा। तस्वीर- अलमास मसूद/मोंगाबे

मुश्किल में समुद्री शैवाल की खेती से जुड़ी महिलाएं

“मेरी मां समुद्री शैवाल इकट्ठा किया करती थीं। उस समय मेरी उम्र काफी कम थी लेकिन फिर भी उन के साथ जाती और उनकी मदद करती थी। तभी से मैं…
रामेश्वरम में ओलाईकुडा तट पर समुद्री शैवाल निकालती हुई उषा। तस्वीर- अलमास मसूद/मोंगाबे
समुद्र तट पर मिली प्लास्टिक की बोतल पर सवार बार्नेकल। दुनिया भर में मसल्स, बार्नेकल, स्पंज, समुद्री स्कवर्ट और ब्रिसल कीड़े की लगभग 400 विदेशी प्रजातियां समुद्री कूड़े पर मंडराती हैं और अक्सर स्थानीय जीवों को बाहर कर देती हैं। तस्वीर-गुनासशेखरन कन्नन

समुद्री मलबे के जरिए दक्षिण-पूर्वी तट पर पहुंच रही विदेशी आक्रामक प्रजातियां

समुद्री जीव प्लास्टिक, रबर, कांच, फोम स्पंज, धातु और लकड़ी के मलबे पर सवार होकर दक्षिण पूर्वी भारत के तटों तक पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से स्थानीय जैव विविधता…
समुद्र तट पर मिली प्लास्टिक की बोतल पर सवार बार्नेकल। दुनिया भर में मसल्स, बार्नेकल, स्पंज, समुद्री स्कवर्ट और ब्रिसल कीड़े की लगभग 400 विदेशी प्रजातियां समुद्री कूड़े पर मंडराती हैं और अक्सर स्थानीय जीवों को बाहर कर देती हैं। तस्वीर-गुनासशेखरन कन्नन
वायनाड पठार के कई हिस्सों को हाथी वन क्षेत्रों में आने-जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि फिलहाल इस्तेमाल में लाए जा रहे ऐसे कॉरिडोर को ऐतिहासिक एलिफेंट कॉरिडोर की तरह पहचाना और संरक्षित किया जाना चाहिए। तस्वीर -अनूप एन.आर. 

गर्मियों के मौसम में वायनाड हाथियों की पसंदीदा जगह

गर्मियों के दिनों में हाथी वायनाड के आद्र पहाड़ी इलाकों में आना पसंद करते हैं। इसकी वजह तटवर्ती जंगल और यहां मौजूद दलदलीय इलाके हैं, जो पास के मैसूर और…
वायनाड पठार के कई हिस्सों को हाथी वन क्षेत्रों में आने-जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि फिलहाल इस्तेमाल में लाए जा रहे ऐसे कॉरिडोर को ऐतिहासिक एलिफेंट कॉरिडोर की तरह पहचाना और संरक्षित किया जाना चाहिए। तस्वीर -अनूप एन.आर. 
गम्बूसिया मछली की बड़ी प्रजाति है, जिसमें 40 से ज्यादा प्रजातियां हैं और यह मुख्य रूप से मीठे पानी में पाई जाती है। इसे मॉस्किटोफिश के नाम से भी जाना जाता है। तस्वीर - एम. नोबिनराजा।

नदी जोड़ो: बढ़ सकता है विदेशी आक्रामक मछलियों का फैलाव, जैव-विविधता पर खतरा

एक नए रिसर्च से पता चलता है कि भारत की महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो (आईएलआर) परियोजना उन जलाशयों में आक्रामक विदेशी मछलियों का फैलाव बढ़ा सकती है, जो लुप्तप्राय मछली प्रजातियों…
गम्बूसिया मछली की बड़ी प्रजाति है, जिसमें 40 से ज्यादा प्रजातियां हैं और यह मुख्य रूप से मीठे पानी में पाई जाती है। इसे मॉस्किटोफिश के नाम से भी जाना जाता है। तस्वीर - एम. नोबिनराजा।
अध्ययन में पाया गया कि जिन जगहों पर बड़े शाकाहारी जानवर पाए जाते हैं और जिन जगहों में उनकी उपस्थिति काफी कम है अगर उन क्षेत्रों की तुलना की जाए तो मेगाहर्बिवोर्स वाले इलाकों में औसतन 13 प्रतिशत अधिक स्थानीय प्रजाति के पौधे पाए गए थे। यहां आक्रामक प्रजाति 17 प्रतिशत कम देखी गई। तस्वीर- जेनिस पटेल/विकिमीडिया कॉमन्स 

विदेशी आक्रामक पौधों से निपटने में कारगार साबित हो सकते हैं बड़े शाकाहारी जीव

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की इस वर्ष प्रकाशित ‘बाघ जनगणना’ रिपोर्ट में चिंताजनक आंकड़ा सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 22 प्रतिशत प्राकृतिक क्षेत्रों पर आक्रामक खरपतवार तेजी…
अध्ययन में पाया गया कि जिन जगहों पर बड़े शाकाहारी जानवर पाए जाते हैं और जिन जगहों में उनकी उपस्थिति काफी कम है अगर उन क्षेत्रों की तुलना की जाए तो मेगाहर्बिवोर्स वाले इलाकों में औसतन 13 प्रतिशत अधिक स्थानीय प्रजाति के पौधे पाए गए थे। यहां आक्रामक प्रजाति 17 प्रतिशत कम देखी गई। तस्वीर- जेनिस पटेल/विकिमीडिया कॉमन्स 
नगांव में धान रोपते किसान। असम में किए गए एक अध्ययन के दौरान चावल के खेतों में ग्रेटर फाल्स वैम्पायर बैट को देखा गया था। तस्वीर- दिगन्त तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।

धान की फसलों के लिए प्राकृतिक कीटनाशक हैं चमगादड़,असम में एक अध्ययन में आया सामने

असम में हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि चमगादड़ धान की फसल को होने वाले नुकसान को कम करने में सहायक हो सकते हैं।…
नगांव में धान रोपते किसान। असम में किए गए एक अध्ययन के दौरान चावल के खेतों में ग्रेटर फाल्स वैम्पायर बैट को देखा गया था। तस्वीर- दिगन्त तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।
मैसूरु दशहरा जुलूस के दौरान देवी चामुंडेश्वरी का स्वर्णजड़ित हौदा (पालकी) ले जाते हाथी अर्जुन की एक फ़ाइल तस्वीर। तस्वीर - मधुसूदन एसआर।

मैसूरु दशहरा के मशहूर हाथी की मौत से उजागर होती कर्नाटका में हाथियों की बढ़ती दिक्क़तें

कर्नाटका के वन्यजीव प्रेमियों को पिछले साल दिसंबर का महीना बहुत ज्यादा दुखी कर गया। हासन जिले के यसलूर वन रेंज में हाथी पकड़ने के अभियान के दौरान जंगली हाथी…
मैसूरु दशहरा जुलूस के दौरान देवी चामुंडेश्वरी का स्वर्णजड़ित हौदा (पालकी) ले जाते हाथी अर्जुन की एक फ़ाइल तस्वीर। तस्वीर - मधुसूदन एसआर।
अपने खेत में कॉमिफोरा वाइटी (गुग्गल) से लगाई गई बाड़ के पास खड़े किसान महिपतसिंह सिंधल। तस्वीर- अजरा परवीन रहमान 

कच्छ के औषधीय पौधे ‘गुग्गल’ की कहानी, विलुप्ति के खतरे से आया बाहर

"यह बिल्कुल एक इंसान की तरह है। जिस तरह एक व्यक्ति का खून बह जाने के बाद वह जिंदा नहीं रह पाता, उसी तरह गुग्गल भी अपनी राल खो देने…
अपने खेत में कॉमिफोरा वाइटी (गुग्गल) से लगाई गई बाड़ के पास खड़े किसान महिपतसिंह सिंधल। तस्वीर- अजरा परवीन रहमान 
दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के पास हंगुल। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद/मोंगाबे। 

संरक्षण के बावजूद कश्मीर में नहीं बढ़ रही हंगुल की आबादी, क्या विलुप्ति की राह पर है यह शर्मीला हिरण

दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के भीतर हंगुल या कश्मीर हिरण की आबादी पर 19 सालों तक निगरानी के बाद नई जानकारियां सामने आई हैं। इनसे पता चलता है कि संरक्षण के…
दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के पास हंगुल। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद/मोंगाबे। 
धारीदार लकड़बग्घे की प्रतीकात्मक तस्वीर। तस्वीर- ऋषिकेश देशमुख डीओपी/विकिमीडिया कॉमन्स

जानवरों के शवों को जलाने में आने वाले खर्च को बचाते हैं लकड़बग्घे

वैसे तो गिद्धों को शवों का निपटारा करने वाले जीवों के रूप में जाना जाता है लेकिन एक और ऐसा ही 'सफाईकर्मी' है जिसके योगदान को अक्सर नजरअंदाज कर दिया…
धारीदार लकड़बग्घे की प्रतीकात्मक तस्वीर। तस्वीर- ऋषिकेश देशमुख डीओपी/विकिमीडिया कॉमन्स
मालाबार हॉर्नबिल। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया साल भर मुख्य रूप से दो तरह के सर्वे करवाता है- एक प्रजाति के आधार और दूसरा क्षेत्र या संरक्षक इलाके के आधार पर। तस्वीर- अमित्व मजूमदार।

भारत में लुप्त होने की कगार पर हैं पक्षियों की तीन स्थानीय प्रजातियां

विश्व भर में पाए जाने वाली पक्षियों की विविधता में से 12.40 प्रतिशत भारत में पाए जाते हैं। दुनियाभर में पाए जाने वाले पक्षियों की कुल 10,906 प्रजातियों में से…
मालाबार हॉर्नबिल। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया साल भर मुख्य रूप से दो तरह के सर्वे करवाता है- एक प्रजाति के आधार और दूसरा क्षेत्र या संरक्षक इलाके के आधार पर। तस्वीर- अमित्व मजूमदार।
सड़क पर आवारा कुत्तों का झुंड। तस्वीर - कोट्टाकलनेट/विकिमीडिया कॉमन्स। 

[कमेंट्री] भारत को वैज्ञानिक सोच के साथ आवारा कुत्तों से निपटना होगा

डेविड क्वामेन ने अपनी किताब ‘द सॉन्ग ऑफ द डोडो’ में लिखा है, "इस बीच, ब्रिटिश जहाजों से लाए गए घरेलू कुत्ते तस्मानिया में जंगली हो गए थे और वे…
सड़क पर आवारा कुत्तों का झुंड। तस्वीर - कोट्टाकलनेट/विकिमीडिया कॉमन्स। 
वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट्स का तर्क है कि अगर एक भी हाथी को कहीं और भेजा जाता है तो वहां के बाकी के हाथियों में परिवर्तन आएगा और मूल इलाके में वे वैसी ही समस्याएं पैदा करेंगे। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन

केरल में इंसान और हाथियों के संघर्ष को कम करने के लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता

केरल के लोग शायद इस साल की शुरुआत के उन दृश्यों को कभी भुला नहीं पाएंगे जिनमें देखा गया कि एक हाथी को ट्रक पर लादा गया था और ट्रक…
वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट्स का तर्क है कि अगर एक भी हाथी को कहीं और भेजा जाता है तो वहां के बाकी के हाथियों में परिवर्तन आएगा और मूल इलाके में वे वैसी ही समस्याएं पैदा करेंगे। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन
पश्चिमी घाट में कलाकड़ मुंडनथुराई टाइगर रिजर्व के अंदर एक पवित्र स्थल पर नदी में डुबकी लगाते हुए तीर्थयात्री। बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में बने पवित्र स्थलों पर तीर्थयात्रियों की वजह से प्राचीन वनों को नुकसान पहुंच रहा है। तस्वीर- निल्लई वीकेंड क्लिकर्स 

आस्था और संरक्षण के बीच बेहतरीन तालमेल के लिए हरित तीर्थयात्रा मॉडल

भारत के तीन टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में धार्मिक गतिविधियों और संरक्षण के बीच तालमेल बिठाने के तरीकों को समझने के लिए एक दीर्घकालिक अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में…
पश्चिमी घाट में कलाकड़ मुंडनथुराई टाइगर रिजर्व के अंदर एक पवित्र स्थल पर नदी में डुबकी लगाते हुए तीर्थयात्री। बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में बने पवित्र स्थलों पर तीर्थयात्रियों की वजह से प्राचीन वनों को नुकसान पहुंच रहा है। तस्वीर- निल्लई वीकेंड क्लिकर्स 
एक चमगादड़ का एक मंदिर में बसेरा। तस्वीर-एस. लोकेश/मोंगाबे

[वीडियो] अंधेरे में रहने वाले चमगादड़ों के लिए कृत्रिम रोशनी कितनी नुकसानदायक

जब 2022 में चो धर्मन का उपन्यास ‘वाव्वल देसम’ (चमगादड़ों की दुनिया) प्रकाशित हुआ, तो इसने चमगादड़ों के भयानक चित्रण के लिए तमिल साहित्यिक हलकों में सनसनी फैला दी थी।…
एक चमगादड़ का एक मंदिर में बसेरा। तस्वीर-एस. लोकेश/मोंगाबे
सरिस्का बाघ अभयारण्य में झाड़ी के अंदर रॉयल बंगाल टाइगर। तस्वीर- संजय ओझा/विकिमीडिया कॉमन्स

[कमेंट्री] जैविक अतिक्रमण और पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए भारत के प्रयास

भारत, एक विशाल जैव-विविधता वाला देश, जो कि आज गैर-मूल प्रजातियों के जैविक अतिक्रमण से निपटने की चुनौती का सामना कर रहा है। बाघों जैसे खाद्य श्रृंखला के शीर्ष शिकारियों…
सरिस्का बाघ अभयारण्य में झाड़ी के अंदर रॉयल बंगाल टाइगर। तस्वीर- संजय ओझा/विकिमीडिया कॉमन्स
जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुए की कैमरा ट्रैप तस्वीर। एक अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और इंसानी खलल के कारण हिम तेंदुए पहाड़ों में और ज्यादा ऊंचाई की ओर जा रहे हैं। तस्वीर- जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण विभाग।

जलवायु परिवर्तन का असर, पहाड़ों पर ज्यादा ऊंचाई की तरफ जा रहे हिम तेंदुए

ग्रेटर हिमालय में लंबे समय के प्रबंधन के लिए जलवायु अनुकूल संरक्षण तरीक़ों की अहमियत पर जोर देने वाले एक नए अध्ययन से पता चलता है कि इंसानी खलल और…
जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुए की कैमरा ट्रैप तस्वीर। एक अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और इंसानी खलल के कारण हिम तेंदुए पहाड़ों में और ज्यादा ऊंचाई की ओर जा रहे हैं। तस्वीर- जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण विभाग।
लद्दाख के हेमिस नेशनल पार्क में यूरेशियन लिन्क्स की एक कैमरा ट्रैप तस्वीर। तस्वीर- वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विभाग, लद्दाख।

संरक्षण के लिए यूरेशियन लिन्क्स पर ज्यादा रिसर्च की जरूरत

इस साल फरवरी में लद्दाख में कुत्तों से घिरी जंगली बिल्ली का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। कई समाचार संगठनों ने इस क्लिप को अपने…
लद्दाख के हेमिस नेशनल पार्क में यूरेशियन लिन्क्स की एक कैमरा ट्रैप तस्वीर। तस्वीर- वन, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण विभाग, लद्दाख।