वन्य जीव एवं जैव विविधता News

उदलगुरी के चाय बागानों में घूमते हाथी। तस्वीर- सयान बनर्जी 

[कमेंट्री] असम के मानव-हाथी संघर्ष क्षेत्र से दो मांओं की कहानी

नवंबर, 2022 के पहले सप्ताह में सुबह करीब 5:30 बजे असम के उदलगुरी जिले के एक गांव में हाथी के बच्चे की धान के खेत में एक मौत हो जाने…
उदलगुरी के चाय बागानों में घूमते हाथी। तस्वीर- सयान बनर्जी 
नामीबिया से भारत लाया गया चीता। सितंबर 2022 में पहली बार 8 चीतों का समूह नामीबिया से भारत आया था। तस्वीर साभार- चीता कंजर्वेशन फंड

पहले आठ महीने में तीन चीतों की मौत, क्या सही दिशा में है भारत का प्रोजेक्ट चीता?

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 9 मई की सुबह पौने 11 बजे अफरातफरी मच गई। वजह थी मॉनिटरिंग टीम ने एक मादा चीते को बाड़े में घायल देखा।…
नामीबिया से भारत लाया गया चीता। सितंबर 2022 में पहली बार 8 चीतों का समूह नामीबिया से भारत आया था। तस्वीर साभार- चीता कंजर्वेशन फंड

पश्चिमी घाट में जैव विविधता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक आवासों का संरक्षण ज़रूरी 

भारत के पश्चिमी घाट मोटे तौर पर गोवा गैप और पालघाट गैप द्वारा अलग किए गए तीन उपखंडों - उत्तरी, मध्य और दक्षिण में विभाजित हैं। ये इलाके अपनी जलवायु…
भारत में अब अतिरिक्त 1,000-1,200 बाघों को ही रखा जा सकता है, न कि 10,000 बाघों को, जो एक सदी पहले हुआ करते थे। संख्या में बढ़ोतरी के बदले बाघों की आबादी में टिकाऊपन जरूरी है। तस्वीर- कंदुकुरु नागार्जुन/फ़्लिकर 

बाघों की बढ़ती आबादी को संभालने में कितने सक्षम हैं भारत के जंगल

पांच दशक पहले की बात है, देश में बाघों की पहली गिनती के नतीजों ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। बाघों की आबादी घटकर 1,827 पर…
भारत में अब अतिरिक्त 1,000-1,200 बाघों को ही रखा जा सकता है, न कि 10,000 बाघों को, जो एक सदी पहले हुआ करते थे। संख्या में बढ़ोतरी के बदले बाघों की आबादी में टिकाऊपन जरूरी है। तस्वीर- कंदुकुरु नागार्जुन/फ़्लिकर 
मध्य भारत के एक टाइगर रिजर्व में एक बाघ। तस्वीर- समीर कुमार सिन्हा

[समीक्षा] बाघ के अतीत और वर्तमान की रोचक कहानियां बताती किताब ‘बाघ, विरासत और सरोकार’

“कथाओं के इस देश में  मैं भी एक कथा हूं एक कथा है बाघ भी इसलिए कई बार  जब उसे छिपने को नहीं मिलती  कोई ठीक-ठाक जगह तो वह धीरे-से…
मध्य भारत के एक टाइगर रिजर्व में एक बाघ। तस्वीर- समीर कुमार सिन्हा

विदेशी प्रजातियों के पौधों के लिए बौने हैं पहाड़, बढ़ रही तादाद और तेजी से हो रहा फैलाव

परवेज़ डार पेशे से वनस्पति विज्ञानी हैं। उन्होंने साल 2012 और 2017 में कश्मीर में सड़कों के आसपास घूमकर अच्छा-खासा समय बिताया। इसमें पहाड़ी दर्रा सिंथन टॉप भी शामिल है।…
केरल, तिरुवनंतपुरम के विझिंजम बाजार में मछलियां बेचती मछुआरने। तस्वीर- इंडिया वाटर पोर्टल/ फ़्लिकर 

समुद्र तट के पास कम हो रही मछलियां, गहरे पानी में जाने का जोखिम उठा रहे परंपरागत मछुआरे

डेविडसन एंथोनी एडिमा ने दक्षिण-पश्चिमी भारत के तटीय इलाके में 12 साल की उम्र में मछली पकड़ना शुरू किया था। तब उनके पास लकड़ी के लट्ठे से बनी नाव ‘कट्टुमरम’…
केरल, तिरुवनंतपुरम के विझिंजम बाजार में मछलियां बेचती मछुआरने। तस्वीर- इंडिया वाटर पोर्टल/ फ़्लिकर 
उत्तर प्रदेश से गुजरने वाली चंबल नदी किनारे धूप सेंकता इंडियन टेंट टर्टल कछुआ। तस्वीर- शार्प फोटोग्राफी/विकिमीडिया कॉमन्स

ताजे पानी के कछुओं की दो प्रजातियों के संरक्षण के लिए भारत के प्रस्ताव को मिला समर्थन

भारत ने विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके ताजे पाने के कछुओं की अपनी दो प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की…
उत्तर प्रदेश से गुजरने वाली चंबल नदी किनारे धूप सेंकता इंडियन टेंट टर्टल कछुआ। तस्वीर- शार्प फोटोग्राफी/विकिमीडिया कॉमन्स
लोको पायलट महत्वपूर्ण हाथी गलियारों के आसपास सुरक्षा उपायों को लागू करने में लापरवाही का आरोप लगाते हैं। तस्वीर: पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे।

ट्रेन से हाथियों की टक्कर के बाद असम के लोको पायलटों के अनुभव, क्या है समाधान

"हत्यारा कहलाना किसी को पसंद नहीं है। किसी भी प्राणी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराना विचलित करने वाला हो सकता है। हाथी की तो बात ही छोड़िए। कुत्ते, बकरी…
लोको पायलट महत्वपूर्ण हाथी गलियारों के आसपास सुरक्षा उपायों को लागू करने में लापरवाही का आरोप लगाते हैं। तस्वीर: पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे।
हरिद्वार के श्यामपुर रेंज में राजाजी नेशनल पार्क की सीमा पर लगा वॉच टॉवर। तस्वीर- वर्षा सिंह (बाएं) गुलदार की प्रतीकात्मक तस्वीर। तस्वीर- उदय किरण/विकिमीडिया कॉमन्स

कोशिशों पर करोड़ों खर्च, उत्तराखंड में काबू के बाहर मानव-वन्यजीव संघर्ष

इस साल एक जनवरी को जब सभी लोग नए साल की ख़ुशियां मना रहे थे, तभी उत्तराखंड के पौड़ी के चौबट्टाखाल तहसील का पांथर गांव गुस्से में था। इस गाँव…
हरिद्वार के श्यामपुर रेंज में राजाजी नेशनल पार्क की सीमा पर लगा वॉच टॉवर। तस्वीर- वर्षा सिंह (बाएं) गुलदार की प्रतीकात्मक तस्वीर। तस्वीर- उदय किरण/विकिमीडिया कॉमन्स
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के सल्लार क्षेत्र का एक जंगल। तस्वीर- आमिर बिन रफ़ी

कश्मीर में खुद से संवर रहे जंगल, बेहतर हो रही मिट्टी की सेहत और कार्बन सिंक

शहर के शोर-शराबे से दूर, दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में सालार जंगल दिसंबर की हांड़ कंपा देने वाली सर्दियों में भी वसंत के मौसम की तरह गुलजार है। कोहरे…
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के सल्लार क्षेत्र का एक जंगल। तस्वीर- आमिर बिन रफ़ी
ऑर्किड प्लयोन प्रेकॉक्स का व्यापार एक सामान्य फर्न प्रजाति के नाम से किया जाता है। तस्वीर- कुमार पौडल 

अवैध ऑर्किड व्यापार से नेपाल के ‘पौधों के बाघ’ पर खतरा मंडराया

काठमांडू - नेपाली नव वर्ष के पहले दिन (अप्रैल के दूसरे सप्ताह के आसपास) एक खास फूल की झलक पाने के लिए भारत और नेपाल से हजारों लोग पूर्वी नेपाल…
ऑर्किड प्लयोन प्रेकॉक्स का व्यापार एक सामान्य फर्न प्रजाति के नाम से किया जाता है। तस्वीर- कुमार पौडल 
पश्चिम बंगाल में चारा खाता हाथी। उत्तरी पश्चिम बंगाल में एक अध्ययन में पाया गया कि हाथी की भी खाने को लेकर अपनी पसंद और नापसंद होती है। पौधों की रिकॉर्ड की गई 286 प्रजातियों में से उन्होंने लगभग 130 प्रजातियों को खाना पसंद किया था। तस्वीर- प्रियंका दास 

भोजन स्वादानुसार! खाने को लेकर हाथियों की अपनी पसंद

कोयम्बटूर में सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (SACON) के वैज्ञानिकों द्वारा PLOS One में हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि हर…
पश्चिम बंगाल में चारा खाता हाथी। उत्तरी पश्चिम बंगाल में एक अध्ययन में पाया गया कि हाथी की भी खाने को लेकर अपनी पसंद और नापसंद होती है। पौधों की रिकॉर्ड की गई 286 प्रजातियों में से उन्होंने लगभग 130 प्रजातियों को खाना पसंद किया था। तस्वीर- प्रियंका दास 
पंचनथंगी के पास मौजूद अभयारण्य में स्लेंडर लोरिस। तस्वीर- SEEDS ट्रस्ट।

वन समुदाय के अधिकार और तमिलनाडु में स्लेंडर लोरिस का संरक्षण, समझिए क्या है समस्या

तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले का पंचनथंगी इलाका सुदूर क्षेत्र में बसा हुआ एक छोटा सा गांव है। यह गांव हरी-भरी और छोटी-मोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां पहुंचना बेहद…
पंचनथंगी के पास मौजूद अभयारण्य में स्लेंडर लोरिस। तस्वीर- SEEDS ट्रस्ट।

यूपी के गाज़ियाबाद में सामूहिक प्रयासों से शुरू होते शहरी जंगल, कम होता प्रदूषण

करीब तीन साल पहले गाज़ियाबाद के प्रताप विहार इलाके में नगर निगम की लगभग 600 वर्ग मीटर की एक जमीन पर कचरा फेंका जाने लगा। एक तरफ मेडिकल कॉलेज और…
समुद्र में टूटे हुए जाल (भूतिया जाल) जैसे मलबे समुद्री वन्यजीवों के लिए खतरा बने हुए हैं। तस्वीर- टिम शीरमैन / विकिमीडिया कॉमन्स

समुद्री जीवों को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने पर आगे बढ़ी चर्चा, अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए प्रस्ताव पारित

समुद्री जीवों को प्लास्टिक के प्रदूषण से बचाने के लिए कई देश एक वार्ता पर सहमत हुए हैं। इसके लिए एक प्रस्ताव पर सहमति जताई गई है। अक्टूबर में स्लोवानिया…
समुद्र में टूटे हुए जाल (भूतिया जाल) जैसे मलबे समुद्री वन्यजीवों के लिए खतरा बने हुए हैं। तस्वीर- टिम शीरमैन / विकिमीडिया कॉमन्स
ब्लू माउंटेन के परिदृश्य को दिखाती तस्वीर। तस्वीर- कार्तिक बालासुब्रमण्यन।

मिजोरम के ब्लू माउंटेन में पेड़ों की काई में मिले डायटम के नमूने

डायटम पर रिसर्च और खोजबीन करने वाले कार्तिक बालासुब्रमण्यम को जब मिजोरम के ब्लू माउंटेन पर होने वाले खोजी अभियान के लिए बुलाया गया तो उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं…
ब्लू माउंटेन के परिदृश्य को दिखाती तस्वीर। तस्वीर- कार्तिक बालासुब्रमण्यन।
20वीं सदी की शुरुआत से ही हंगुल की संख्या में गिरावट आ रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हंगुल आवास के पास कारखानों से होने वाले उत्सर्जन ने हंगुल के शरीर विज्ञान और भोजन के पैटर्न को प्रभावित किया है। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद

सिकुड़ते जंगलों की वजह से विलुप्ति की कगार पर जाता कश्मीरी का शर्मीला हिरण हंगुल

जंगलों से आच्छादित हिमालय की तलहटी में पाया जाने वाला एक शर्मीला हिरण अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। कश्मीर के जंगली हंगुल के आवास और संख्या पर औद्योगीकरण,…
20वीं सदी की शुरुआत से ही हंगुल की संख्या में गिरावट आ रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हंगुल आवास के पास कारखानों से होने वाले उत्सर्जन ने हंगुल के शरीर विज्ञान और भोजन के पैटर्न को प्रभावित किया है। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद
पेड़ों के भीतर छिपता हुआ हाथी। भारत की राष्ट्रीय जैव-विविधता कार्य योजना को लागू करने के लिए 12 अरब डॉलर वार्षिक का अनुमान लगाया गया है। तस्वीर- एस गोपीकृष्ण वारियर/मोंगाबे

जैव-विविधता वित्त और इसकी अहमियत

जैव-विविधता के संरक्षण के लिए पूंजी जुटाना और उसका प्रबंधन करना जैव विविधता वित्त या बायो डायवर्सिटी फाइनेंस है। यह संरक्षण वित्त के जैसे व्यापक विषय के तहत आता है,…
पेड़ों के भीतर छिपता हुआ हाथी। भारत की राष्ट्रीय जैव-विविधता कार्य योजना को लागू करने के लिए 12 अरब डॉलर वार्षिक का अनुमान लगाया गया है। तस्वीर- एस गोपीकृष्ण वारियर/मोंगाबे
फरक्का बैराज के पास गंगा नदी। गंगा के लोअर स्ट्रेच या लोअर स्ट्रीम में फरक्का से फ्रेजरगंज तक मछुआरों के सामाजिक-आर्थिक आकलन में पता चला है कि हिलसा जैसी मछलियां मछुआरों की आय में 38.84% का योगदान करती हैं। तस्वीर- राहुल सिंह

भारत में कैसे कम हुई हिलसा मछली, इस दुर्लभ प्रजाति को बचाने में क्या हैं चुनौतियां?

पश्चिम बंगाल में फरक्का के प्रसनजीत मंडल (30) का पुश्तैनी काम मछली पकड़ना है। लेकिन इन दिनों वह रिक्शा चला कर भी गुजारा करते हैं। साथ ही अपने दोस्तों के…
फरक्का बैराज के पास गंगा नदी। गंगा के लोअर स्ट्रेच या लोअर स्ट्रीम में फरक्का से फ्रेजरगंज तक मछुआरों के सामाजिक-आर्थिक आकलन में पता चला है कि हिलसा जैसी मछलियां मछुआरों की आय में 38.84% का योगदान करती हैं। तस्वीर- राहुल सिंह

[कमेंट्री] हिमालय के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में समृद्ध जैव-विविधता के संरक्षण के विविध पहलू

हिमालय के पूर्वी क्षेत्र में जैव-विविधता से समृद्ध हिंदुकुश हिमालय दुर्लभ, स्थानीय और संकटग्रस्त वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियों का आवास है। वैश्विक जैव विविधता के तीन हॉटस्पॉट, हिमालय,…
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के पास डुमरी गांव में ग्रामीण खेतों में काम करते हुए। तस्वीर- मनीष शांडिल्य

[वीडियो] बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व में बढ़ता मानव-बाघ संघर्ष और सह-अस्तित्व के रास्ते

वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व (वीटीआर) बिहार का इकलौता टाइगर रिजर्व है। करीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैला वीटीआर बाघ संरक्षण में एक सफल हस्तक्षेप साबित हुआ है। साल 2010 में यहाँ…
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के पास डुमरी गांव में ग्रामीण खेतों में काम करते हुए। तस्वीर- मनीष शांडिल्य
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में सरसो के खेत। सीक्वेंस की जानकारी के आधार पर, स्टेवियोल ग्लाइकोसाइड्स का उत्पादन करने वाले जैवसंश्लेषण जीन पर पेटेंट का मालिकाना हक स्विस मुख्यालय वाली बायोटेक कंपनी इवोल्वा के पास है। तस्वीर- अभिजीत कर गुप्ता/विकिमीडिया कॉमन्स

कॉप15: छाया रहेगा डिजिटल जेनेटिक इन्फॉर्मेशन से समान लाभ का मुद्दा

संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (कॉप15) में डिजिटल सीक्वेंस इन्फॉर्मेशन (डीएसाई) पर जोरदार बहस चल रही है। सम्मेलन में शामिल सभी पक्ष जेनेटिक स्रोतों (डीएसाई) तक पहुंच और लाभ साझाकरण…
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में सरसो के खेत। सीक्वेंस की जानकारी के आधार पर, स्टेवियोल ग्लाइकोसाइड्स का उत्पादन करने वाले जैवसंश्लेषण जीन पर पेटेंट का मालिकाना हक स्विस मुख्यालय वाली बायोटेक कंपनी इवोल्वा के पास है। तस्वीर- अभिजीत कर गुप्ता/विकिमीडिया कॉमन्स
तेलंगाना के खम्मम जिले में अपने तेल ताड़ के खेत में एक ताड़ का किसान। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे

धान से लेकर पाम तक: पानी की अधिक खपत करने वाली फसलों की ओर तेलंगाना का रुख

बासठ साल के बी.बुच्छया तेलंगाना के खम्मम जिले में पाम या ताड़ की खेती करने वाले एक किसान हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी 12 एकड़ की जमीन पर ताड़…
तेलंगाना के खम्मम जिले में अपने तेल ताड़ के खेत में एक ताड़ का किसान। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे
मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के समापन के दो सप्ताह बाद जैव विविधता शिखर सम्मेलन हो रहा है। तस्वीर: संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता/फ़्लिकर।

कॉप15: साल 2030 तक 30% जैव-विविधता को बचाने पर भारत का जोर, सहमति बनाना बड़ी चुनौती

संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (कॉप15) को लेकर आयोजक देश कनाडा में गहमागहमी बढ़ गई है। जैव विविधता को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए यहां ऐतिहासिक समझौते पर…
मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के समापन के दो सप्ताह बाद जैव विविधता शिखर सम्मेलन हो रहा है। तस्वीर: संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता/फ़्लिकर।
प्याज की फसल की कटाई करते किसान। जीबी-9 ने ‘फसल विविधता के संरक्षक’ के रूप में किसानों की भूमिका को मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव का अंतिम रूप दिया। तस्वीर- मीना631/विकिमीडिया कॉमन्स।

प्लांट जेनेटिक पर अंतरराष्ट्रीय संधि में किसानों के अधिकारों पर बनी आम सहमति

खाद्य और कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों (प्लांट जेनेटिक रिसोर्से फॉर फ़ूड एंड एग्रीकल्चर) पर हुई अंतरराष्ट्रीय संधि में खाद्य और कृषि में पौधों के आनुवंशिक संसाधनों पर किसानों…
प्याज की फसल की कटाई करते किसान। जीबी-9 ने ‘फसल विविधता के संरक्षक’ के रूप में किसानों की भूमिका को मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव का अंतिम रूप दिया। तस्वीर- मीना631/विकिमीडिया कॉमन्स।
रंग लाई गैंड़ा संरक्षण की कोशिशें, यूपी के दुधवा में चार दशक में आठ गुना बढ़ी गैंडों की आबादी

[वीडियो] रंग लाई गैंडा संरक्षण की कोशिशें, यूपी के दुधवा में चार दशक में आठ गुना बढ़ी गैंडों की आबादी

भारत में जब भी एक सींग वाले गैंडे (राइनो) की बात होती है, तो हमारे दिमाग में एक नाम ही आता है। वो है असम का काजीरंगा नेशनल पार्क। लेकिन…
रंग लाई गैंड़ा संरक्षण की कोशिशें, यूपी के दुधवा में चार दशक में आठ गुना बढ़ी गैंडों की आबादी
मोर महिमा, अनुग्रह, आनंद, वैभव, प्रेम और गौरव का प्रतीक है। लोगों का विश्वास है कि घर में पंख रखने से सकारात्मक ऊर्जा आती है क्योंकि मोर विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों से भी जुड़े हैं। तस्वीर- सोनिका कुशवाहा

[कमेंट्री] खतरे में राष्ट्रीय पक्षी मोर: भारत में एक दशक में अवैध व्यापार और मनुष्यों के साथ संघर्ष की सच्चाई

भारत ने 1963 में मोर (वैज्ञानिक नाम- पेवो क्रिस्टेटस) को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किए 59 साल हो चुके हैं लेकिन इसकी सुरक्षा…
मोर महिमा, अनुग्रह, आनंद, वैभव, प्रेम और गौरव का प्रतीक है। लोगों का विश्वास है कि घर में पंख रखने से सकारात्मक ऊर्जा आती है क्योंकि मोर विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों से भी जुड़े हैं। तस्वीर- सोनिका कुशवाहा
मुरलेन नेशनल पार्क में एक मार्बल बिल्ली। इस जंगल में अमित कुमार बल ने तेंदुआ, पीले गले वाला मार्टन, केकड़ा खाने वाला नेवला, असामी मकाक (बन्दर), भौंकने वाले हिरण, जंगली सूअर सहित कई वन्यजीव देखे। तस्वीर- अमित कुमार बल

[साक्षात्कार] अमेजन के जंगल से क्यों होती है मिजोरम के घने जंगलों की तुलना

साल 2019 में सितंबर की एक सुबह मिजोरम के चंफाई जिले के छोटे और खूबसूरत मुरलेन गांव के 240 निवासी हैरान थे। छब्बीस साल के शोधकर्ता अमित कुमार बल बहुत…
मुरलेन नेशनल पार्क में एक मार्बल बिल्ली। इस जंगल में अमित कुमार बल ने तेंदुआ, पीले गले वाला मार्टन, केकड़ा खाने वाला नेवला, असामी मकाक (बन्दर), भौंकने वाले हिरण, जंगली सूअर सहित कई वन्यजीव देखे। तस्वीर- अमित कुमार बल
लेह और हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन से बढ़ता कचरा। तस्वीर- जुआन डेल रियो/लोकल फ्यूचर्स।

लेह में पर्यटकों की बढ़ती भीड़ से पर्यावरण प्रभावित होने की आशंका

अक्टूबर 2020 में रोहतांग दर्रे पर अटल सुरंग (टनल) खुलने के बाद पिछले दो वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में वाहनों का आवागमन बहुत बढ़ा है। लद्दाख के लेह शहर…
लेह और हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते पर्यटन से बढ़ता कचरा। तस्वीर- जुआन डेल रियो/लोकल फ्यूचर्स।