भारत News

सुनहरे सियार की आबादी का दायरा काफी व्यापक है, लेकिन संरक्षणवादियों का इस पर कम ही ध्यान जाता है। तस्वीर-ज़ाकिर हुसैन नाजर

‘जो मिला सो खा लिया’- जीवित रहने के लिए सुनहरे सियार की खानपान की खास आदतें

संसाधनों की कमी और प्रतिस्पर्धा से भरी दुनिया में जीवित रहने के लिए, सुनहरा सियार एक सीधी-सादी रणनीति अपनाता है: जो मिले, खा लो। उनकी आबादी का दूर-दूर तक फैला…
सुनहरे सियार की आबादी का दायरा काफी व्यापक है, लेकिन संरक्षणवादियों का इस पर कम ही ध्यान जाता है। तस्वीर-ज़ाकिर हुसैन नाजर
नागौरी पान मेथी से डंठल निकालती महिलाएं। पान मेथी में पहली पांच कटिंग तक डंठल बहुत कम आते हैं। इसके बाद डंठल बढ़ने लगते हैं। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे

पाकिस्तानी कसूरी मेथी नहीं, नागौरी पान मेथी कहिए, राजस्थान में जीआई टैग की मांग

राजस्थान के नागौर जिले की रेतीली मिट्टी में उगने वाली पान मेथी अपनी खुशबू और स्वाद के लिए दुनिया भर में मशहूर है। लेकिन हैरानी की बात है कि यह…
नागौरी पान मेथी से डंठल निकालती महिलाएं। पान मेथी में पहली पांच कटिंग तक डंठल बहुत कम आते हैं। इसके बाद डंठल बढ़ने लगते हैं। तस्वीर- विशाल कुमार जैन/मोंगाबे
महाराष्ट्र के पुणे में इंद्रायणी नदी पर बना एक तटबंध। तस्वीर- चकितनव्यास, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।

बाढ़ सुरक्षा संरचनाओं के बावजूद, बाढ़ की स्थिति और गंभीर क्यों हो रही है?

बाढ़ नियंत्रण हमेशा से ही भारतीय सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन रहा है। 2007 से अब तक राष्ट्रीय योजनाओं के जरिए बाढ़ सुरक्षा उपायों पर 13,000 करोड़ रुपये (130…
महाराष्ट्र के पुणे में इंद्रायणी नदी पर बना एक तटबंध। तस्वीर- चकितनव्यास, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)।
मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कृपेकापुरा गांव में खेत में काम करते किसान। तस्वीर: नरवरिया, विकिमीडिया कॉमन्स (CC-BY-SA 4.0) द्वारा।

ओजोन प्रदूषण से फसलों के उत्पादन पर होगा असर, गेहूं पर सबसे अधिक प्रभाव

असामान्य मौसम की वजह से हर साल गेहूं की खेती करने वाले किसान कई चुनौतियों का सामना कर रहे है, लेकिन भविष्य में फसल के साथ चुनौतियां बढ़ने की वाली…
मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कृपेकापुरा गांव में खेत में काम करते किसान। तस्वीर: नरवरिया, विकिमीडिया कॉमन्स (CC-BY-SA 4.0) द्वारा।
गुजरात में एक सौर ऊर्जा संयंत्र। सोलर बिजली का उत्पादन स्थापित सोलर पैनल क्षमता और साइट की सोलर क्षमता पर निर्भर करता है। तस्वीर: Citizenmj द्वारा विकिमीडिआ कॉमन्स (CC-BY-SA-3.0) के माध्यम से।

बढ़ती गर्मी और प्रदूषण से प्रभावित होगी सोलर पैनलों की उत्पादन क्षमता: अध्ययन

भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों में सौर ऊर्जा को सबसे महत्वपूर्ण माना है। इसी के चलते भारत ने साल 2030 तक 100 गीगावाट सौर बिजली के…
गुजरात में एक सौर ऊर्जा संयंत्र। सोलर बिजली का उत्पादन स्थापित सोलर पैनल क्षमता और साइट की सोलर क्षमता पर निर्भर करता है। तस्वीर: Citizenmj द्वारा विकिमीडिआ कॉमन्स (CC-BY-SA-3.0) के माध्यम से।
पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में टीबी के मरीज का एक्स-रे देखता हुआ डॉक्टर। फ्लिकर (CC BY-NC-ND 2.0) के जरिए ILO एशिया-पैसिफिक की तस्वीर।

टीबी के मामले बढ़ाने में जलवायु परिवर्तन का परोक्ष हाथ, मिल रहे संकेत

वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया भर में तापमान में बढ़ोतरी का दुष्प्रभाव टीबी पर भी दिख रहा है जिस पर अब तक कम ध्यान दिया गया है। इसलिए इस…
पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में टीबी के मरीज का एक्स-रे देखता हुआ डॉक्टर। फ्लिकर (CC BY-NC-ND 2.0) के जरिए ILO एशिया-पैसिफिक की तस्वीर।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के धान, गेहूं और गन्ने की खेती वाली पट्टी में मानसून के 12 में से सिर्फ दो हफ़्तों में सामान्य बारिश हुई। किसान इससे बड़ी दिक्कत में हैं। तस्वीर: ঈশান জ্যোতি বৰা, Wikimedia Commons (CC BY-SA 4.0) द्वारा।

सिंधु-गंगा के मैदानों में बारिश के बदलाव से खेती पर पड़ता प्रभाव

धान की खेती के लिए मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के किसान मोहसिन खान जानते हैं कि आने वाला समय उनके लिए दिक्कतों से भरा होने वाला है।…
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के धान, गेहूं और गन्ने की खेती वाली पट्टी में मानसून के 12 में से सिर्फ दो हफ़्तों में सामान्य बारिश हुई। किसान इससे बड़ी दिक्कत में हैं। तस्वीर: ঈশান জ্যোতি বৰা, Wikimedia Commons (CC BY-SA 4.0) द्वारा।
रेहड़ी वाले और दिहाड़ी मजदूर बढ़ती गर्मी से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले तबकों में से एक हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY SA 4.0) के जरिए अवात्रावा की तस्वीर।

सरकारी विभागों में तालमेल का अभाव से बेअसर होते भीषण गर्मी से निपटने के उपाय

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) का पूर्वानुमान है कि इस साल गर्मियों में देश के ज्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। दिन और रात में ज्यादा तापमान के अलावा,…
रेहड़ी वाले और दिहाड़ी मजदूर बढ़ती गर्मी से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले तबकों में से एक हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY SA 4.0) के जरिए अवात्रावा की तस्वीर।
कचरा इकट्ठा करने वाला ट्रक। तस्वीर- अर्ने हकेलहेम, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 3.0) 

मैक्रोप्लास्टिक कचरे से होने वाला उत्सर्जन भारत में सबसे ज्यादा

नेचर जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाला उत्सर्जन भारत में सबसे अधिक है। दुनिया भर में होने वाले कुल प्लास्टिक उत्सर्जन…
कचरा इकट्ठा करने वाला ट्रक। तस्वीर- अर्ने हकेलहेम, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 3.0) 
भारत में हाथियों की आबादी के पूरे जीनोम अनुक्रमण से पता चलता है कि इस प्रजाति की पांच आनुवंशिक रूप से अलग-अलग आबादी है। तस्वीर- चार्ल्स जे. शार्प, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)

हाथियों की आबादी और इतिहास की जीनोम मैपिंग

एशियाई हाथी देश में सबसे ज्यादा अध्ययन की जाने वाली प्रजातियों में से एक हैं। फिर भी, हर नया अध्ययन हाथियों की रहस्यमय दुनिया की एक नई परत खोलता है।…
भारत में हाथियों की आबादी के पूरे जीनोम अनुक्रमण से पता चलता है कि इस प्रजाति की पांच आनुवंशिक रूप से अलग-अलग आबादी है। तस्वीर- चार्ल्स जे. शार्प, विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0)
लेप्चा परिवार में खाना पकाने के लिए बेहतर बनाया गया चूल्हा। ऐसे चूल्हे रसोई के लिए स्थायी समाधान उपलब्ध कराते हैं, बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और गांव और उसके आसपास वनों की कटाई को कम करते हैं। तस्वीर अभिषेक प्रधान द्वारा।

लेप्चा घरों में बेहतर चूल्हों से परंपरा को बचाकर संरक्षण की कोशिश [कमेंट्री]

पूर्वी हिमालय की तलहटी में बसा भारत के कलिम्पोंग जिले का लेप्चा समुदाय उन स्थानीय समूहों में शामिल है जो अपनी खास संस्कृति, भाषा और प्रकृति में रची-बसी जीवनशैली के…
लेप्चा परिवार में खाना पकाने के लिए बेहतर बनाया गया चूल्हा। ऐसे चूल्हे रसोई के लिए स्थायी समाधान उपलब्ध कराते हैं, बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं और गांव और उसके आसपास वनों की कटाई को कम करते हैं। तस्वीर अभिषेक प्रधान द्वारा।
बाघों की आबादी का बढ़ना तभी संभव है जब शिकार भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो और गलियारों के जरिए बेहतर आवाजाही बनी रहे। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए डेविड राजू की तस्वीर।

कम होने के बाद भारत में ऐसे बढ़ी बाघों की तादाद

भारत ने साल 2022 तक बाघों की घटती आबादी को सफलतापूर्वक दोगुना कर लिया। भारत में बाघों पर हुए एक नए अध्ययन में 2006 से 2018 तक आबादी के रुझानों…
बाघों की आबादी का बढ़ना तभी संभव है जब शिकार भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो और गलियारों के जरिए बेहतर आवाजाही बनी रहे। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए डेविड राजू की तस्वीर।
बायोम्स ऑफ नीलगिरिस में पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाले असल मामले जैसे कि जैव विविधता का नुकसान, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष, गेमप्ले में शामिल किए गए हैं। तस्वीर - शैली सिन्हा द्वारा।

पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा दे रहे मजेदार गेम

कुछ महीनों पहले लॉन्च किया गया एक नया बोर्डगेम, खेलने वालों को नीलगिरी जीवमंडल के सफर पर ले जाता है। इसका नाम बायोम्स ऑफ नीलगिरिस है। यह गेम लोगों को…
बायोम्स ऑफ नीलगिरिस में पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करने वाले असल मामले जैसे कि जैव विविधता का नुकसान, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष, गेमप्ले में शामिल किए गए हैं। तस्वीर - शैली सिन्हा द्वारा।
खेल के मैदान में खेलते कुछ स्कूली बच्चे। भारत ने 2020 में अपनी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश की, लेकिन इस नीति में जलवायु परिवर्तन के कारण शिक्षा क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाएं है। तस्वीर- शैलेष श्रीवास्तव

चरम मौसम की घटनाओं के कारण स्कूलों में बढ़ती छुट्टियां और पढ़ाई का नुकसान

साल 2023 में, अपने मौसम के लिए मशहूर राज्य मेघालय में पहली बार हीटवेव के चलते स्कूलों को बंद करने की घोषणा करनी पड़ी थी। इस राज्य में आमतौर पर मौसम…
खेल के मैदान में खेलते कुछ स्कूली बच्चे। भारत ने 2020 में अपनी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश की, लेकिन इस नीति में जलवायु परिवर्तन के कारण शिक्षा क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाएं है। तस्वीर- शैलेष श्रीवास्तव
उधवा पक्षी अभयारण्य में लेसर एडजुटेंट। तस्वीर- मिथिलेश दत्ता द्विवेदी

झारखंड में ‘लेसर एडजुटेंट’ की आबादी बढ़ी, खेतों ने दिया अनुकूल आवास

झारखंड के बोकारो जिले में लेसर एडजुटेंट स्टॉर्क (लेप्टोप्टिलोस जावानिकस) की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जहां 14 अलग-अलग स्थानों पर 385 लेसर एडजुटेंट देखे गए। यह…
उधवा पक्षी अभयारण्य में लेसर एडजुटेंट। तस्वीर- मिथिलेश दत्ता द्विवेदी
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में ऑलिव रिडले कछुआ। 2025 के सामूहिक प्रजनन के मौसम की शुरुआत के साथ, अलग-अलग प्रजातियों की हजारों मादा भारत के समुद्र तट पर आने वाली हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए अनिरनॉय की तस्वीर।

कछुओं के अंडे देने की जगहों को बचाने में स्थानीय लोगों की भागीदारी जरूरी

दक्षिण भारतीय राज्य केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में अरब सागर क्रिसमस के बाद की ठंडी रातों में अक्सर शांत रहता है। तारों से जगमगाती रात में रेतीला तट चमकता है।…
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में ऑलिव रिडले कछुआ। 2025 के सामूहिक प्रजनन के मौसम की शुरुआत के साथ, अलग-अलग प्रजातियों की हजारों मादा भारत के समुद्र तट पर आने वाली हैं। विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) के जरिए अनिरनॉय की तस्वीर।
युवा सोलिगा, शशि अपने घर के पास जंगली साग-सब्जियां खोजती हुई। आदिवासी बुजुर्गों का कहना है कि युवा पीढ़ी में जंगली खाद्य पौधों के बारे में पारंपरिक ज्ञान कम होता जा रहा है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।

जंगल के खाने में छुपा पोषण का रहस्य

शंखमादम्मा और डुंडम्मा कर्नाटक की आदिवासी बस्ती कीरनहोला पोडु में अपने घर के बरामदे में बैठकर दोपहर का खाना खा रही हैं। चटक नीले रंग के इस घर की दीवारों…
युवा सोलिगा, शशि अपने घर के पास जंगली साग-सब्जियां खोजती हुई। आदिवासी बुजुर्गों का कहना है कि युवा पीढ़ी में जंगली खाद्य पौधों के बारे में पारंपरिक ज्ञान कम होता जा रहा है। तस्वीर - अभिषेक एन. चिन्नाप्पा द्वारा मोंगाबे के लिए।
टैक्सोनॉमिस्ट जिनी जैकब एक प्रयोगशाला में नमूने का निरीक्षण करते हुए। उन्हें 2024 में ओशन सेंसस अवार्ड से सम्मानित किया गया, क्योंकि उन्होंने 60 से अधिक नेमाटोड प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया है, जिनमें से चार का उन्होंने औपचारिक रूप से वर्णन किया है। तस्वीर सौजन्य: जिनी जैकब।

खूबसूरत सूक्ष्मजीव नेमाटोड्स की रहस्यमयी दुनिया

टैक्सोनॉमिस्ट जिनि जैकब को बचपन से ही सूक्ष्म जीवों की दुनिया में काफी रूचि थी। स्कूल के दिनों में, चींटियां और अन्य छोटे कीड़े उनके जिज्ञासा के विषय होते थे,…
टैक्सोनॉमिस्ट जिनी जैकब एक प्रयोगशाला में नमूने का निरीक्षण करते हुए। उन्हें 2024 में ओशन सेंसस अवार्ड से सम्मानित किया गया, क्योंकि उन्होंने 60 से अधिक नेमाटोड प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया है, जिनमें से चार का उन्होंने औपचारिक रूप से वर्णन किया है। तस्वीर सौजन्य: जिनी जैकब।
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।

धान के खेतों में उगते साग को थाली तक लाने की कोशिश

साल 2014 में तमिलनाडु के पोलाची शहर में अपने खेतों से गुजरते समय श्रीदेवी लक्ष्मीकुट्टी ने दिलचस्प बात देखी। आस-पास के खेतों की कई महिलाएं खर-पतवार के रूप में उगने…
अदिया समुदाय की महिलाओं का एक समूह धान की रोपाई करता हुआ। तस्वीर: विपिनदास।
ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले में कोयला खदान में जारी काम। फ्लिकर (CC BY-NC-SA 2.0) के जरिए इंडिया वाटर पोर्टल की तस्वीर।

खनन वाले इलाकों में कोयले की धूल से पेड़-पौधों को हो रहा नुकसान

ओडिशा में किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि किस प्रकार उपग्रह से प्राप्त चित्र कोयला खनन की धूल से वनस्पतियों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को तय…
ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले में कोयला खदान में जारी काम। फ्लिकर (CC BY-NC-SA 2.0) के जरिए इंडिया वाटर पोर्टल की तस्वीर।
विशेषज्ञ वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पूरे क्षेत्र (एयरशेड) के आधार पर कार्य करने की सलाह देते हैं। तस्वीर- जीन-एटिने मिन्ह-ड्यू पोइरी, फ्लिकर (CC BY-SA 2.0) 

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: धूल में मिलते लक्ष्य, मुख्य प्रदूषकों की अनदेखी

साल 2019 में जब राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम या नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम शुरू किया गया था, तो इसने भारत के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों के लिए बड़े लक्ष्य निर्धारित…
विशेषज्ञ वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पूरे क्षेत्र (एयरशेड) के आधार पर कार्य करने की सलाह देते हैं। तस्वीर- जीन-एटिने मिन्ह-ड्यू पोइरी, फ्लिकर (CC BY-SA 2.0) 
दक्षिणी नेपाल के जंगल में घूमता एक हाथी। तस्वीर अशोक राम के सौजन्य से।

प्रवासी हाथियों के साथ जीना सीख रहा भारत-नेपाल सीमा पर बसा एक गांव

कांच की खिड़की पर जोरदार धमाका सुनकर कृष्ण बहादुर रसैली का दिल तेजी से धड़कने लगा। उन्होंने बाहर निकलकर देखा कि उनका कोठार (अनाज रखने वाली जगह) खंडहर हो गया…
दक्षिणी नेपाल के जंगल में घूमता एक हाथी। तस्वीर अशोक राम के सौजन्य से।
प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग करके जर्मनी में उगाई गई स्ट्रॉबेरी। दुनिया भर में प्लास्टिक खाद्य उत्पादन, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और उपभोग का एक अहम हिस्सा बन गई है। इसका इस्तेमाल मल्च फिल्म, शेड नेट, पॉलीहाउस, सिंचाई पाइप, पॉन्ड्स लाइनर और स्टोरेड साइलो में भी किया जाता है। तस्वीर- Fischer.H विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) 

प्लास्टिकल्चर की वजह से पर्यावरण और भविष्य की फसलों को लेकर चिंताएं बढ़ीं

कर्नाटक के बेलगावी शहर के पास अलरवाड़ा गांव में, एक युवा किसान श्रीधर जयगौड़ा धान की मानसून की फसल की तैयारी कर रहे हैं। उनके परिवार ने हाल ही में…
प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग करके जर्मनी में उगाई गई स्ट्रॉबेरी। दुनिया भर में प्लास्टिक खाद्य उत्पादन, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और उपभोग का एक अहम हिस्सा बन गई है। इसका इस्तेमाल मल्च फिल्म, शेड नेट, पॉलीहाउस, सिंचाई पाइप, पॉन्ड्स लाइनर और स्टोरेड साइलो में भी किया जाता है। तस्वीर- Fischer.H विकिमीडिया कॉमन्स (CC BY-SA 4.0) 
गुरुग्राम में एक रेड सैंड बोआ। तस्वीर- शताब्दी चक्रबर्ती/मोंगाबे।

[वीडियो] अंधविश्वास के साये में रेड सैंड बोआ सांप का अस्तित्व

शुष्क क्षेत्रों में पाए जाने वाला सांप रेड सैंड बोआ शांत स्वभाव का होता है। अपनी अनोखी बनावट के लिए जाना जाते वाले इस सांप का शरीर चिकना, मोटा और…
गुरुग्राम में एक रेड सैंड बोआ। तस्वीर- शताब्दी चक्रबर्ती/मोंगाबे।
एक सरकारी सर्वेक्षण से पता चलता है कि भूजल के एकत्र किए गए नमूनों में से लगभग पांचवें हिस्से में प्रदूषण की सीमा तय मात्रा से ज्यादा है, जिसमें नाइट्रेट और रेडियोधर्मी यूरेनियम की बड़ी मात्रा शामिल है। फ्लिकर (CC-BY-2.0) के जरिए सुसाना सचिवालय की तस्वीर।

पूरे देश में भूजल प्रदूषण गहराया, सरकारी रिपोर्ट से खुलासा

दुनिया भर में भारत भूजल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाला देश है। यहां सिंचाई के लिए 87% और घरेलू इस्तेमाल के लिए 11% पानी का उपयोग होता है। हालांकि,…
एक सरकारी सर्वेक्षण से पता चलता है कि भूजल के एकत्र किए गए नमूनों में से लगभग पांचवें हिस्से में प्रदूषण की सीमा तय मात्रा से ज्यादा है, जिसमें नाइट्रेट और रेडियोधर्मी यूरेनियम की बड़ी मात्रा शामिल है। फ्लिकर (CC-BY-2.0) के जरिए सुसाना सचिवालय की तस्वीर।
डूडलेज द्वारा डेडस्टॉक कपड़े से बनी एक पोशाक। आमतौर पर, डेडस्टॉक कपड़े गोदामों में पड़े रहते हैं या जला दिए जाते हैं या लैंडफिल में डाल दिए जाते हैं, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तस्वीर - डूडलेज।

सस्टेनेबल फैशन: पुराने कपड़ों को देते नई जान, नई पहचान

डिजाइनर गौतम गुप्ता के दक्षिण दिल्ली के आलीशान स्टूडियो की दूसरी मंजिल पर ग्राहकों की भीड़ कपड़ों के ढेर में से सबसे ट्रेंडी कपड़ों की तलाश कर रही है। इसके…
डूडलेज द्वारा डेडस्टॉक कपड़े से बनी एक पोशाक। आमतौर पर, डेडस्टॉक कपड़े गोदामों में पड़े रहते हैं या जला दिए जाते हैं या लैंडफिल में डाल दिए जाते हैं, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तस्वीर - डूडलेज।
थाईलैंड का ओ. हन्नाह। अभी तक, सभी चार प्रकार के किंग कोबरा को एक ही प्रजाति का माना जाता था, लेकिन नए अध्ययन में चार अलग-अलग आनुवंशिक प्रजातियां पाई गई हैं। तस्वीर- गौरी शंकर

किंग कोबरा: अब एक नहीं, चार अलग-अलग प्रजातियां

एक नए अध्ययन में पता चला है कि दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप ‘किंग कोबरा’ जो अब तक एक प्रजाति माना जाता रहा है, एक नहीं बल्कि आनुवंशिक रूप…
थाईलैंड का ओ. हन्नाह। अभी तक, सभी चार प्रकार के किंग कोबरा को एक ही प्रजाति का माना जाता था, लेकिन नए अध्ययन में चार अलग-अलग आनुवंशिक प्रजातियां पाई गई हैं। तस्वीर- गौरी शंकर
महाराष्ट्र में 2022 में लैंगेलुरिलस टर्टियस। ये मकड़ियाँ झाड़ीदार इलाकों में चट्टानी इलाकों में पाई गईं।  तस्वीर- राजेश सनप

मिथकों और डर से मकड़ियों की रक्षा के लिए अधिक शोध और जागरूकता की जरूरत

टारेंटयुला, एक बालों से भरी निशाचर मकड़ी है। इसका काटना बेहद दर्दनाक हो सकता है, लेकिन इन मकड़ियों द्वारा काटे जाने की संभावना दुर्लभ है, क्योंकि ये मकड़ियाँ आमतौर पर…
महाराष्ट्र में 2022 में लैंगेलुरिलस टर्टियस। ये मकड़ियाँ झाड़ीदार इलाकों में चट्टानी इलाकों में पाई गईं।  तस्वीर- राजेश सनप
सर्वे से पता चला है कि सिंधु नदी डॉल्फिन केवल ब्यास नदी के निचले तीसरे हिस्से में पाई जाती हैं, जिनकी संख्या एक से आठ तक है। तस्वीर-डॉ. संदीप बेहेरा 

सिंधु नदी डॉल्फिन की आबादी घटी, आवास भी सुरक्षित नहीं

उत्तरी भारत में ब्यास नदी का पानी सिंधु नदी डॉल्फिन की एक छोटी, लुप्तप्राय आबादी का घर है। लेकिन अब उनकी संख्या कम हो रही है और उनके आवास खतरे…
सर्वे से पता चला है कि सिंधु नदी डॉल्फिन केवल ब्यास नदी के निचले तीसरे हिस्से में पाई जाती हैं, जिनकी संख्या एक से आठ तक है। तस्वीर-डॉ. संदीप बेहेरा 
नवंबर 2024 में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में बादलदार तेंदुए के 159 आवासों का विश्लेषण किया गया, जिससे पता चला कि इस प्रजाति के कुल आवास का सिर्फ 31.66% ही मौजूदा सीमा में आता है। अतिरिक्त 8.13% संभावित रूप से मौजूदा सीमा में है। तस्वीर - रेट ए. बटलर/मोंगाबे। 

क्लाउडेड लेपर्ड की घटती आबादी पर नए अध्ययन में सामने आया संरक्षण का रोडमैप

एशिया के कुछ प्राचीन जंगलों में एक मुश्किल से नजर आने वाला और रहस्यमयी शिकारी घूमता है। इसका नाम है बादलदार तेंदुआ (नियोफेलिस नेबुलोसा)। अपने आकर्षक, बादल के आकार के…
नवंबर 2024 में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में बादलदार तेंदुए के 159 आवासों का विश्लेषण किया गया, जिससे पता चला कि इस प्रजाति के कुल आवास का सिर्फ 31.66% ही मौजूदा सीमा में आता है। अतिरिक्त 8.13% संभावित रूप से मौजूदा सीमा में है। तस्वीर - रेट ए. बटलर/मोंगाबे।