Categories for वन्य जीव एवं जैव विविधता

पक्षी परिचय खेल में एशियन बुलबुल की तस्वीर शामिस की गई है। तस्वीर- गुरुराज मुरचिंग/अर्ली बर्ड

खेल खेल में हो रहा बच्चों का पक्षियों से परिचय

भारत में करीब साढ़े छः लाख गांव हैं। इन्हीं गावों में एक ऐसा भी है जिसके पास अपने क्षेत्र में मौजूद पक्षियों का एक बेसलाइन डाटा मौजूद है। इससे भी…
पक्षी परिचय खेल में एशियन बुलबुल की तस्वीर शामिस की गई है। तस्वीर- गुरुराज मुरचिंग/अर्ली बर्ड
लकड़ी के बक्से से झांकती एक मादा चीता। यह चीता भारत आने वाले आठ चीतों में से एक है। तस्वीर- चीता कंजर्वेशन फंड

पृथ्वी के सबसे तेज जानवर चीता के लिए कैसे तैयार हुआ कूनो का जंगल?

कूनो नदी के किनारे बसे सेसईपुरा गांव में इन दिनों अलग किस्म की गहमागहमी है। नदी गांव से होते हुए कूनो पालपुर नेशनल पार्क के भीतर प्रवेश करती है। इसी…
लकड़ी के बक्से से झांकती एक मादा चीता। यह चीता भारत आने वाले आठ चीतों में से एक है। तस्वीर- चीता कंजर्वेशन फंड
ब्लास्ट के बाद समुद्र तल पर मरी हुई मछलियों को इकट्ठा करता हुआ एक मछुआरा। तस्वीर- दर्शन जयवर्धने

श्रीलंका में ब्लास्ट फिशिंग से तबाह हो रहे समुद्री जीव, भारत से अवैध तरीके से लाया जा रहा विस्फोटक

समुद्र के किनारे एक सुहानी सुबह थी, पूर्वी श्रीलंका के पिजन आइलैंड नेशनल पार्क में नौका विहार करने वाले पर्यटकों के एक समूह को एक असामान्य झटका महसूस हुआ। इतने…
ब्लास्ट के बाद समुद्र तल पर मरी हुई मछलियों को इकट्ठा करता हुआ एक मछुआरा। तस्वीर- दर्शन जयवर्धने
उत्तर भारत में हाल ही में काटे गए खेत में चार वूली नेक्ड स्टॉर्क का एक परिवार। पारंपरिक कृषि तकनीक, अनुकूल फसलें, और कम शिकार गतिविधि कृषि क्षेत्रों को पक्षियों के लिए एक स्थायी निवास स्थान बनाती है। तस्वीर- के.एस. गोपी सुंदर।

वूली नेक्ड स्टॉर्क और हैरान करती हरियाणा में इनकी बढ़ती तादाद

भले ही पूरी दुनिया में पक्षियों की आबादी लगातार गिर रही है, लेकिन एक ऐसा भी पक्षी है जिसकी संख्या बढ़ रही है। इसे अंग्रेजी में वूली नेक्ड स्टॉर्क कहते…
उत्तर भारत में हाल ही में काटे गए खेत में चार वूली नेक्ड स्टॉर्क का एक परिवार। पारंपरिक कृषि तकनीक, अनुकूल फसलें, और कम शिकार गतिविधि कृषि क्षेत्रों को पक्षियों के लिए एक स्थायी निवास स्थान बनाती है। तस्वीर- के.एस. गोपी सुंदर।
भारत में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 3.5 करोड़ आकी गई है। तस्वीर- अचत 1999/विकिमीडिया कॉमन्स

हरियाणा में आवारा कुत्तों के हमले से काले हिरण को खतरा

हरियाणा राज्य के फतेहाबाद ज़िले में बडोपाल क्षेत्र और हिसार ज़िले के मंगली-रावतखेड़ा क्षेत्र में आवारा कुत्तों की वजह से स्थानीय नीलगाय और काले हिरण की आबादी ख़तरे में है।…
भारत में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 3.5 करोड़ आकी गई है। तस्वीर- अचत 1999/विकिमीडिया कॉमन्स
कहलगांव के 65 वर्षीय दशरथ सहनी डॉल्फिन मित्र के तौर पर संरक्षण का काम करते हैं। वह हर दिन नाव से आठ से दस किमी की गश्त करके संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

[वीडियो] गंगा डॉल्फिन को बचाने की डगर में कई मुश्किलें, प्रदूषण और बांध बड़ी समस्या

कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन के बाद मीडिया ने गंगा में इंसानी गतिविधियों में कमी के चलते नदी के स्वच्छ होने की खबरें दीं। कहा गया कि इससे देश के…
कहलगांव के 65 वर्षीय दशरथ सहनी डॉल्फिन मित्र के तौर पर संरक्षण का काम करते हैं। वह हर दिन नाव से आठ से दस किमी की गश्त करके संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हैं। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
बैनर तस्वीर: झील में बड़े पैमाने पर मृत मछलियां।

तालाबों और झीलों में एकसाथ भारी तादात में क्यों मर रही हैं मछलियां

अप्रैल 2022 में, मुंबई के मालाबार पहाड़ी क्षेत्र में स्थित बाणगंगा टैंक में तैरती मृत मछलियों की कई तस्वीरें समाचार साइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हुईं। स्थानीय लोगों…
बैनर तस्वीर: झील में बड़े पैमाने पर मृत मछलियां।
लाल कान वाला स्लाइडर कछुआ। अक्सर जब लोग पालतू जानवरों के रूप में इन विदेशी जानवरों की देखभाल करने में असमर्थ होते हैं, तो वे उन्हें देखभाल केंद्रों या अभयारण्यों में छोड़ देते हैं। आमतौर पर बाहरी जीवों को कैद करने की निंदा की जाती है। तस्वीर- नोबो ज़िअस/ पिक्साबे।

क्या कारण है कि भारत वन्यजीवों की तस्करी का एक प्रमुख अड्डा है?

वन्यजीवों की तस्करी से तात्पर्य जीवित या मृत जंगली जानवरों और पौधों के अवैध व्यापार से है। इससे दुनिया के पर्यावरण, जैव विविधता, अर्थव्यवस्था, शासन और स्वास्थ्य पर भारी नकारात्मक…
लाल कान वाला स्लाइडर कछुआ। अक्सर जब लोग पालतू जानवरों के रूप में इन विदेशी जानवरों की देखभाल करने में असमर्थ होते हैं, तो वे उन्हें देखभाल केंद्रों या अभयारण्यों में छोड़ देते हैं। आमतौर पर बाहरी जीवों को कैद करने की निंदा की जाती है। तस्वीर- नोबो ज़िअस/ पिक्साबे।
मध्यप्रदेश सरकार 37,420 वर्ग किलोमीटर को इस निजीकरण के दायरे में लाने का विचार कर रही है। फोटो- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे हिन्दी

मध्य प्रदेश: 16 सौ करोड़ खर्च कर लगे 20 करोड़ पौधे, कितने बचे पता नहीं

“दस साल पहले जंगल खूब घना था। शाम होते ही सड़क पर सन्नाटा पसर जाता था। लोग निकलते नहीं थे घर से। डर रहता था जंगली जानवरों का, लेकिन अब…
मध्यप्रदेश सरकार 37,420 वर्ग किलोमीटर को इस निजीकरण के दायरे में लाने का विचार कर रही है। फोटो- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे हिन्दी
अधिकांश मैंटिस्पिड्स छोटे होते हैं। इनकी लंबाई तकरीबन 15 मिमी से भी कम होती है। तस्वीर- एंडी रीगो और क्रिसी मैकक्लेरेन/विकिमीडिया कॉमन्स

मैंटिस्पिड्स: जालीदार पंखों वाले कीड़े का एक परिचय

मैंटिस्पिड्स को देखने पर इसके शरीर का आकार ततैया जैसा और पंख ऐसा जैसे फीता बनाने वाला कोई जीव। मांटिसिड्स या मैन्टिडफ्लाइज़ अकशेरुकी वर्ग के कीड़ों पर बहुत कम अध्ययन…
अधिकांश मैंटिस्पिड्स छोटे होते हैं। इनकी लंबाई तकरीबन 15 मिमी से भी कम होती है। तस्वीर- एंडी रीगो और क्रिसी मैकक्लेरेन/विकिमीडिया कॉमन्स
राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड में विचरण करता एक हाथी। तस्वीर- Achat1999/विकिमीडिया कॉमन्स

उत्तराखंड में हाथियों की लीद में मिला प्लास्टिक, कांच और अन्य कचरा

द जर्नल फॉर नेचर कंजर्वेशन में पिछले महीने छपे एक अध्ययन में उत्तराखंड के जंगलों में हाथी के लीद में प्लास्टिक और अन्य मानव निर्मित सामग्री के मौजूद होने का…
राजाजी नेशनल पार्क उत्तराखंड में विचरण करता एक हाथी। तस्वीर- Achat1999/विकिमीडिया कॉमन्स
शिमला की नई योजना का उद्देश्य आने वाले दो दशक में शहर के विकास की रूपरेखा तैयार करने की है। इसमें न केवल टिकाऊ विकास का ध्यान रखा जाना था बल्कि शहर की विस्तार जरूरतों के साथ-साथ बढ़ती पारिस्थितिकी चुनौतियों का भी संज्ञान लेना है। तस्वीर- नवनीत शर्मा/विकिमीडिया कॉमन्स

43 सालों बाद आई शिमला के विकास की योजना, क्या मौके का फायदा उठाने में हुई चूक?

पिछले साल अक्टूबर में शिमला में एक आठ मंजिला इमारत मूसलाधार बारिश से हुए भूस्खलन के चलते ढह गई थी। गनीमत रही कि इमारत ढहने से पहले ही खाली करा…
शिमला की नई योजना का उद्देश्य आने वाले दो दशक में शहर के विकास की रूपरेखा तैयार करने की है। इसमें न केवल टिकाऊ विकास का ध्यान रखा जाना था बल्कि शहर की विस्तार जरूरतों के साथ-साथ बढ़ती पारिस्थितिकी चुनौतियों का भी संज्ञान लेना है। तस्वीर- नवनीत शर्मा/विकिमीडिया कॉमन्स
नेपाल के पहले पक्षी अभयारण्य में ग्रेट हॉर्नबिल, सारस और भारतीय चिततीदार चील जैसे पक्षियों को आसरा मिल रहा है। तस्वीर- प्रताप गुरुंग/विकिमीडिया कॉमन्स

यह है नेपाल का पहला पक्षी अभयारण्य, भारतीय पर्यटकों के लिए नया आकर्षण

भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित घोड़ाघोड़ी वेटलैंड की पहचान एक रामसर स्थल के रूप में होती है। यह स्थान नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत (सुदूरपश्चिम प्रदेश) में है। सुदूरपश्चिम नेपाल…
नेपाल के पहले पक्षी अभयारण्य में ग्रेट हॉर्नबिल, सारस और भारतीय चिततीदार चील जैसे पक्षियों को आसरा मिल रहा है। तस्वीर- प्रताप गुरुंग/विकिमीडिया कॉमन्स
हिमालयन मोनाल की अवैध तरीके से हिमालय से तस्करी की जाती है। फोटो- मिलदीप/विकिमीडिया कॉमन्स।

हिमालय में हो रहे अवैध वन्यजीव तस्करी का पता लगाने के लिए नागरिक विज्ञान का उपयोग

नए आंकड़ों के अनुसार ऐसे सिटीजन एप्स जो आमतौर पर स्मार्टफोन की मदद से बासिन्दों का डेटा एकत्र करने में मदद करते है, सूचना के फासले को कम करने और…
हिमालयन मोनाल की अवैध तरीके से हिमालय से तस्करी की जाती है। फोटो- मिलदीप/विकिमीडिया कॉमन्स।
पेंच टाइगर रिजर्व में विचरण करते चीतल। यह जंगल मध्यप्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा जिले के बीच फैला हुआ है। तस्वीर- लिंडा डी वोल्डर/फ्लिकर

भारत में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने की जंगलों की क्षमता को बढ़ा-चढ़ा कर आंका गया, अध्ययन

वनों के पुनर्रोपण और कृषिवानिकी के जरिए अतिरिक्त कार्बन को सोखकर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने की कोशिश हो रही है। पर इसके जरिए जो लक्ष्य हासिल…
पेंच टाइगर रिजर्व में विचरण करते चीतल। यह जंगल मध्यप्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा जिले के बीच फैला हुआ है। तस्वीर- लिंडा डी वोल्डर/फ्लिकर
मध्य प्रदेश के ओरछा में अपने घोसले में गिद्ध। तस्वीर- Yann (talk)/विकिमीडिया कॉमन्स

[वीडियो] मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में जियोटैगिंग द्वारा गिद्धों पर निगरानी

 करीब तीन महीने पहले मध्य प्रदेश के संरक्षित क्षेत्र में पन्ना में टाइगर रिजर्व के लगभग दो दर्जन गिद्धों की गतिविधि को वैज्ञानिक रूप से निगरानी करने के लिए उन्हें…
मध्य प्रदेश के ओरछा में अपने घोसले में गिद्ध। तस्वीर- Yann (talk)/विकिमीडिया कॉमन्स
लद्दाख के इस इलाके के लोग भेड़ियों का शिकार करने के लिए शंडोंग का प्रयोग करते रहे हैं। यह एक उल्टा कीप आकार का गड्ढा होता है जिसमें भेड़ियों को फंसाया जाता है। हालांकि, संरक्षण की कोशिशों की वजह से अब ज्यादातर शंडोंग काम नहीं कर रहे हैं। तस्वीर- करमा सोनम

जानलेवा शंडोंग से शांति देने वाले स्तूप तक: लद्दाख में भेड़ियों के संरक्षण की कहानी

आज से चार दशक पहले सर्दी की एक सुबह एक 10-12 साल का लड़का लद्दाख के बीहड़ क्षेत्र में अपने पिता के साथ घोड़े पर यात्रा कर रहा था। वे…
लद्दाख के इस इलाके के लोग भेड़ियों का शिकार करने के लिए शंडोंग का प्रयोग करते रहे हैं। यह एक उल्टा कीप आकार का गड्ढा होता है जिसमें भेड़ियों को फंसाया जाता है। हालांकि, संरक्षण की कोशिशों की वजह से अब ज्यादातर शंडोंग काम नहीं कर रहे हैं। तस्वीर- करमा सोनम
सुंदर फूलों वाले उष्णकटिबंधीय अमेरिकी झाड़ी लैंटाना को आईयूसीएन द्वारा शीर्ष 10 सबसे खराब आक्रामक प्रजातियों में से एक माना जाता है। तस्वीर- मोक्की/विकिमीडिया कॉमन्स

भारत में घुसपैठ कर गए जीव-जंतुओं से हो रहा लाखों-करोड़ों का नुकसान

घुसपैठिया शब्द पढ़कर हमारे जेहन में किसी पड़ोसी देश से आए किसी इंसान की तस्वीर उभरती है। पर देश में घुसपैठ कई तरह से हो रहा है और उससे लाखों-करोड़ों…
सुंदर फूलों वाले उष्णकटिबंधीय अमेरिकी झाड़ी लैंटाना को आईयूसीएन द्वारा शीर्ष 10 सबसे खराब आक्रामक प्रजातियों में से एक माना जाता है। तस्वीर- मोक्की/विकिमीडिया कॉमन्स
गम्बूसिया अलग-अलग तापमान में जीवित रह सकते हैं। साथ ही पानी में मौजूद रसायनिक और जैविक सामग्री के साथ भी जीवित रह सकता है। तस्वीर- NOZO/विकिमीडिया कॉमन्स

उत्तर प्रदेश में मच्छर नियंत्रण के लिए हो रहा गम्बूसिया मछली का इस्तेमाल, भविष्य के लिए खतरनाक

मॉनसून का इंतजार चल रहा है। मॉनसून के साथ-साथ मच्छरों का मौसम भी आने वाला है। 2021 में उत्तर प्रदेश के कई जिलों ने डेंगू और मलेरिया जैसे घातक बीमारी…
गम्बूसिया अलग-अलग तापमान में जीवित रह सकते हैं। साथ ही पानी में मौजूद रसायनिक और जैविक सामग्री के साथ भी जीवित रह सकता है। तस्वीर- NOZO/विकिमीडिया कॉमन्स
सुरहा ताल झील बलिया जिले की सबसे बड़ा फ्लडप्लेन है जहां बाढ़ का पानी जमा होता है। तस्वीर- बलिया जिला प्रशासन

उत्तर प्रदेशः कहीं विकास की बलि न चढ़ जाए बलिया का पक्षी अभयारण्य

संरक्षित क्षेत्र यानी पशु-पक्षियों के रहने का ऐसा स्थान जहां वे निर्भिक होकर घूम-फिर सकते हैं। ऐसे क्षेत्र में निर्माण गतिविधि होना हमेशा विवाद की वजह बनता है। लेकिन तब…
सुरहा ताल झील बलिया जिले की सबसे बड़ा फ्लडप्लेन है जहां बाढ़ का पानी जमा होता है। तस्वीर- बलिया जिला प्रशासन
ऑस्ट्रेलिया के कंगारू द्वीप से एक कंगारू की प्रतिनिधि तस्वीर। तस्वीर- कॉनर स्लेड/विकिमीडिया कॉमन्स

बंगाल के रास्ते कंगारुओं की तस्करी, सवालों के घेरे में इंदौर का चिड़ियाघर

पश्चिम बंगाल के दोरास इलाके में दो अप्रैल को चारों तरफ सनसनी थी। हर तरफ कंगारुओं को देखे जाने की चर्चा हो रही थी। इसे लेकर लोगों के बीच कौतुहल…
ऑस्ट्रेलिया के कंगारू द्वीप से एक कंगारू की प्रतिनिधि तस्वीर। तस्वीर- कॉनर स्लेड/विकिमीडिया कॉमन्स
पटना पक्षी अभयारण्य के पास उड़ते पक्षी। तस्वीर- विराग शर्मा/विकिमीडिया कॉमन्स

भूदान ने बदली ज़िंदगी, बहेलिये बन गए पक्षियों के पैरोकार

‘बहेलिया आएगा, जाल बिछाएगा, दाना डालेगा..।’ हिन्दी क्षेत्र में कौन होगा जिसने यह कहानी न सुनी होगी! इस कहानी में जिस बहेलिया समुदाय को पक्षियों के लिए खतरा बताया गया…
पटना पक्षी अभयारण्य के पास उड़ते पक्षी। तस्वीर- विराग शर्मा/विकिमीडिया कॉमन्स
भागीरथी इको सेंसटिव ज़ोन के इस क्षेत्र में हज़ारों पेड़ सड़क चौड़ीकरण के लिये कटेंगे। तस्वीर- हृदयेश जोशी

उत्तराखंडः गंगोत्री मार्ग के घने जंगल मुश्किल में, भागीरथी इको सेंसेटिव जोन में पेड़ों पर मंडराता खतरा

उत्तरकाशी ज़िले के भटवाड़ी ब्लॉक में रहने वाले मोहन सिंह राणा ने 17 साल सेना में नौकरी की। अब यह रिटायर फौजी संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में अपने जंगलों को बचाने…
भागीरथी इको सेंसटिव ज़ोन के इस क्षेत्र में हज़ारों पेड़ सड़क चौड़ीकरण के लिये कटेंगे। तस्वीर- हृदयेश जोशी
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की रिपोर्ट कहती है कि सर्वेक्षण में शामिल 575 स्थानीय लोगों में से अधिकांश बाघ को लाने को लेकर सकारात्मक थे। तस्वीर- डेविड राजू/विकिमीडिया कॉमन्स

राजस्थान: क्या सही है कुंभलगढ़ में बाघों के वापसी की योजना?

जुलाई 2021 में जब कोविड 19 महामारी का कहर अपने चरम पर था तब भाजपा नेता और राजस्थान के राजसमंद की सांसद दीया कुमारी ने केंद्र सरकार को एक पत्र…
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की रिपोर्ट कहती है कि सर्वेक्षण में शामिल 575 स्थानीय लोगों में से अधिकांश बाघ को लाने को लेकर सकारात्मक थे। तस्वीर- डेविड राजू/विकिमीडिया कॉमन्स
बिहार के दरभंगा स्थित नेहरा में चन्दियार पक्षियों का एक समूह। तस्वीर- Vaibhavcho/विकिमीडिया कॉमन्स

बिहार में शिकारियों की बहार, प्रवासी पक्षियों का हो रहा कारोबार

प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग माने जाने वाले बिहार में अब इन मेहमानों की तादाद घटती जा रही है। बिहार के वन और पर्यावरण मंत्रालय की ओर से प्रकाशित 'बर्ड्स…
बिहार के दरभंगा स्थित नेहरा में चन्दियार पक्षियों का एक समूह। तस्वीर- Vaibhavcho/विकिमीडिया कॉमन्स
महाराष्ट्र के पुणे जिले स्थित मयूरेश्वर वन्यजीव अभयारण्य में भारतीय भेड़िया। तस्वीर- रुद्राक्ष चोडनकर/विकिमीडिया कॉमन्स

क्यों मुश्किल है भारतीय भेड़ियों की गणना, क्या संरक्षण में मिलेगा फायदा

भेड़िया दिखने में एक दूसरे से इतने करीब होते हैं कि उनकी अलग-अलग पहचान करना मुश्किल है। इसकी गणना के लिए अध्ययनकर्ता तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं। जैसे पुणे के…
महाराष्ट्र के पुणे जिले स्थित मयूरेश्वर वन्यजीव अभयारण्य में भारतीय भेड़िया। तस्वीर- रुद्राक्ष चोडनकर/विकिमीडिया कॉमन्स
अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता अपर्णा लाजमी पश्चिमी घाट के जंगलों में छिपकली की तलाश कर रही हैं। तस्वीर साभार- अपर्णा लाजमी।

करोड़ों वर्ष पहले श्रीलंका और भारत के बीच नहीं था समुद्र, छिपकली की कहानी से सामने आया रहस्य

आपने घर की दीवारों से चिपक कर रेंगते आम घरेलू छिपकली को जरूर देखा होगा। इस छिपकली का इतिहास लाखों वर्ष पुराना है। दक्षिण एशिया के अधिकांश घरों में हर…
अध्ययन की प्रमुख शोधकर्ता अपर्णा लाजमी पश्चिमी घाट के जंगलों में छिपकली की तलाश कर रही हैं। तस्वीर साभार- अपर्णा लाजमी।
महाशीर सर्वे के दौरान नदी से एक महाशीर को निकाला गया। परिक्षण के बाद उसे वापस नदी में छोड़ दिया गया। तस्वीर-ए जे टी जॉनसिंह, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया और एनसीएफ/विकिमीडिया कॉमन्स

[वीडियो] क्या पानी के टाइगर महाशीर के लायक नहीं रह गया नर्मदा का पानी?

मध्यप्रदेश में बड़वानी जिले के नर्मदा नदी के किनारे मछली पकड़ रहीं द्वारकी, पास पड़ी टोकरी की तरफ, इशारा करती हैं। दिन भर की मशक्कत के बाद भी उनकी यह…
महाशीर सर्वे के दौरान नदी से एक महाशीर को निकाला गया। परिक्षण के बाद उसे वापस नदी में छोड़ दिया गया। तस्वीर-ए जे टी जॉनसिंह, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया और एनसीएफ/विकिमीडिया कॉमन्स
इंडियन कोबरा (स्पैक्टिकल्ड कोबरा) को रेस्क्यू करते रिंकू कुमार गुप्ता। तस्वीर- ओंकार सिंह जनौटी

[वीडियो] ‘सर्पदंश का इलाज मौजूद’ ये लाइन भारत में हजारों जानें बचा सकती है

गोवा में गुड़ी गांव के लोगों ने स्थानीय एनिमल रेस्क्यू स्वॉड को फोन किया। अक्टूबर 2019 की वह कॉल आबादी में घुसे एक सांप के बारे में थी। स्वॉड की…
इंडियन कोबरा (स्पैक्टिकल्ड कोबरा) को रेस्क्यू करते रिंकू कुमार गुप्ता। तस्वीर- ओंकार सिंह जनौटी
वाराणसी स्थित कछुआ प्रजनन केंद्र के 900 कछुओं का उधारी के सहारे चल रहा जीवन

वाराणसी स्थित कछुआ प्रजनन केंद्र के 900 कछुओं का उधारी के सहारे चल रहा जीवन

वाराणसी जिले के सारनाथ स्थिति कछुआ प्रजनन केंद्र में मौजूद करीब 900 कछुओं का दाना-पानी उधारी पर चल रहा है। सुनने में यह बात थोड़ी अजीब लगती है लेकिन वास्तविकता…
वाराणसी स्थित कछुआ प्रजनन केंद्र के 900 कछुओं का उधारी के सहारे चल रहा जीवन