Articles by Manish Chandra Mishra

विरोध-प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं का मानना है कि झींगा उद्योग के मुनाफे के लिए सीमांत मछुआरों के हितों की बलि दी गई है। तस्वीर - टिमोथी ए. गोंसाल्वेस/विकिमीडिया कॉमन्स। 

कानून में बदलाव से मछुआरों की बढ़ी चिंता, झींगा फार्म को पिछले उल्लंघनों से मिल गई छूट

"ट्रैवलिंग-प्रोजेक्ट भाई भाई, एक डोरी-ते फांसी चाय" (ट्रॉउलिंग और झींगा कल्चर भाई-भाई हैं और दोनों को एक ही रस्सी से लटकाने की जरूरत है) बांग्ला में लिखी गई ये लाइनें…
विरोध-प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं का मानना है कि झींगा उद्योग के मुनाफे के लिए सीमांत मछुआरों के हितों की बलि दी गई है। तस्वीर - टिमोथी ए. गोंसाल्वेस/विकिमीडिया कॉमन्स। 
राजस्थान के रेगिस्तान में सूखी घास के रंग में भारतीय रेगिस्तानी बिल्ली का रंग पूरी तरह मिल जाता है। तस्वीर-राधेश्याम बिश्नोई।

भारतीय रेगिस्तानी बनबिलाव की आबादी घटने की वजह बन रहा संकरण और सड़कों पर हो रही मौत

राजस्थान की जलाने वाली गर्मी में दो प्रकृतिवादी नागफनी की एक बहुत बड़ी झाड़ी के सामने सब्र के साथ इंतजार कर रहे हैं। कैमरे तैयार हैं और आंखें विलुप्त होती…
राजस्थान के रेगिस्तान में सूखी घास के रंग में भारतीय रेगिस्तानी बिल्ली का रंग पूरी तरह मिल जाता है। तस्वीर-राधेश्याम बिश्नोई।
महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघ और उसके शावक की 2016 की तस्वीर। तस्वीर- अजिंक्य विश्वेकर/विकिमीडिया कॉमन्स।

बाघ तस्करो के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश, असम से महाराष्ट्र तक फैला था सिंडिकेट

हाल के दिनों में मिली एक बड़ी सफलता में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से असम के गुवाहाटी तक फैले अवैध शिकार के सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया गया। यह वन्यजीव अपराध नियंत्रण…
महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघ और उसके शावक की 2016 की तस्वीर। तस्वीर- अजिंक्य विश्वेकर/विकिमीडिया कॉमन्स।
लेह में साल 2022 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच 244.53 टन कचरा उत्पन्न हुआ वहीं इस दौरान कारगिल में 36 टन कचरा उत्पन्न हुआ। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

कठिन मौसम और बढ़ते पर्यटन के बीच बढ़ती लद्दाख की कचरे की समस्या

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख पिछले कुछ सालों में एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। हर साल गर्मी के मौसम में यहां सैलानियों की भीड़ लगी होती है।…
लेह में साल 2022 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच 244.53 टन कचरा उत्पन्न हुआ वहीं इस दौरान कारगिल में 36 टन कचरा उत्पन्न हुआ। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
चाय बागान श्रमिक। तस्वीर - CC BY-NC-SA 3.0 IGO © यूनेस्को-UNEVOC/अमिताव चंद्रा।

चाय बागान की महिला मजदूरों के लिए सर्पदंश बड़ा खतरा, हर साल होती हैं कई मौत

पाही भूमिज उस दिन को याद करके कांप उठती हैं। वह कहती हैं कि मौत से बच निकलने के लिए वह ऊपर वाले की शुक्रगुजार है। भूमिज असम के शिवसागर…
चाय बागान श्रमिक। तस्वीर - CC BY-NC-SA 3.0 IGO © यूनेस्को-UNEVOC/अमिताव चंद्रा।
मुंबई में बारिश का दिन। अन्य महासागरों की तुलना में गर्म हो रहे अरब सागर को स्पस्ट तौर पर पहचाना जा रहा है। हिंद महासागर बहुत तेजी से गर्म हो रहा है। तस्वीर- सौमित्र शिंदे/मोंगाबे।

भीषण तूफान और अनियमित बारिश, मौसम में बदलाव से बढ़ रही चिंता?

पिछली सदी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के चलते महासागर भी गर्म हो रहे हैं। कुछ स्थानों पर ज्यादा तो कुछ जगहों पर कम। 1901 से 2020 के बीच, समुद्र…
मुंबई में बारिश का दिन। अन्य महासागरों की तुलना में गर्म हो रहे अरब सागर को स्पस्ट तौर पर पहचाना जा रहा है। हिंद महासागर बहुत तेजी से गर्म हो रहा है। तस्वीर- सौमित्र शिंदे/मोंगाबे।
आराम फरमाते गद्दी चरवाहे। तस्वीर- आशीष गुप्ता/विकिमीडिया कॉमन्स 

हिमाचल प्रदेश में चरवाहों के रास्तों पर चारे-पानी की कमी, पौधरोपण रोकने के आदेश से राहत

हिमाचल प्रदेश में सरकार की ओर से चलाई जा रही पौधरोपण की गतिविधियों ने चरवाहों के प्रति खतरों को बढ़ा दिया है इसके चलते खतरनाक जीवों का विस्तार हो रहा…
आराम फरमाते गद्दी चरवाहे। तस्वीर- आशीष गुप्ता/विकिमीडिया कॉमन्स 
शोध के अनुसार काराकोरम पर्वतमाला में काफी संख्या में नई हिमनद झीलों के निर्माण होने की संभावनाएं है। तस्वीरः Kmbilall/ विकिमीडिया कॉमन्स  

हिमालय में ग्लेशियरों के घटने से विनाशकारी बाढ़ का खतरा बढ़ा

एक हालिया अध्ययन के अनुसार, हिमालय में बढ़ते तापमान और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण जहां एक तरफ नई हिमनद झीलों का निर्माण हुआ है और वहीं दूसरी तरफ मौजूदा…
शोध के अनुसार काराकोरम पर्वतमाला में काफी संख्या में नई हिमनद झीलों के निर्माण होने की संभावनाएं है। तस्वीरः Kmbilall/ विकिमीडिया कॉमन्स  
नर हूलॉक गिब्बन। तस्वीर- मिराज हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स 

मेघालय में स्तनपायी जीवों की आबादी पर समुदाय-आधारित संरक्षण प्रयासों का अच्छा असर

एक अध्ययन में पाया गया है कि कम्युनिटी रिजर्व (सीआर) यानी आदिवासी समुदायों द्वारा प्रबंधित संरक्षित क्षेत्र, संरक्षण प्राथमिकताओं और समुदायों की आजीविका की जरूरतों को संतुलित करने के लिए…
नर हूलॉक गिब्बन। तस्वीर- मिराज हुसैन/विकिमीडिया कॉमन्स 
अडयार नदी के बाढ़ क्षेत्र पर बना चेन्नई हवाई अड्डा 2015 की बाढ़ के दौरान बाढ़ में डूब गया था। तस्वीर- भारतीय वायु सेना / विकिमीडिया कॉमन्स 

(एक्सप्लेनर) बाढ़ के मैदान और भारत में उनका प्रबंधन?

पानी और परिवहन तक आसान पहुंच के लिए शहर और कस्बे अक्सर नदी तटों और बाढ़ के मैदानों के करीब बनाए जाते हैं। ऐतिहासिक रूप से, भारत में मौसमी नदियों…
अडयार नदी के बाढ़ क्षेत्र पर बना चेन्नई हवाई अड्डा 2015 की बाढ़ के दौरान बाढ़ में डूब गया था। तस्वीर- भारतीय वायु सेना / विकिमीडिया कॉमन्स 
एक पकड़े गए हाथी को वन शिविर में ले जाया जा रहा है। प्रतिकात्मक तस्वीर। तस्वीर- आनंद ओसुरी / विकिमीडिया कॉमन्स 

राजस्थानः 2021 में तस्करों से बचाई गई हथिनी को पुनर्वास का इंतजार

राजस्थान में, 500 दिन पहले तस्करों से बचाई गई एक हथिनी अभी भी पुनर्वास के लिए उचित जगह का इंतजार कर रही है। इसकी तबीयत लगातार खराब होती जा रही…
एक पकड़े गए हाथी को वन शिविर में ले जाया जा रहा है। प्रतिकात्मक तस्वीर। तस्वीर- आनंद ओसुरी / विकिमीडिया कॉमन्स 
पचास साल में हुई डेढ़ लाख मौत, हर प्राकृतिक आपदा लेती है औसतन 20 लोगों की जान

आपदा प्रबंधन में इस तरह मददगार हो सकती हैं सोशल मीडिया तस्वीरें

जब आपदाएं आती हैं, तो सोशल मीडिया तस्वीरों, चेतावनियों और मदद की मांग से भर जाते हैं। उस वक्त कई सोशल मीडिया पोस्ट आपदा वाली जगहों की जानकारी के स्रोत…
पचास साल में हुई डेढ़ लाख मौत, हर प्राकृतिक आपदा लेती है औसतन 20 लोगों की जान
हरियाणा के गुरुग्राम के बाहरी इलाके में एक खेत में जंगली बिल्ली (फेलिस चाउस)। तस्वीर- शताब्दी चक्रवर्ती/मोंगाबे।

[वीडियो] जंगली बिल्ली ने गुरुग्राम के खेतों को बनाया अपना घर

जंगली बिल्ली भारत की दस छोटी जंगली बिल्ली प्रजातियों में से एक है। इसे सबसे आम बिल्ली भी माना जाता है। यह हिमालय की ऊंची चोटियों और रेगिस्तान को छोड़कर…
हरियाणा के गुरुग्राम के बाहरी इलाके में एक खेत में जंगली बिल्ली (फेलिस चाउस)। तस्वीर- शताब्दी चक्रवर्ती/मोंगाबे।
छत पर सौर प्रणाली स्थापित करने वाले कार्यकर्ता की एक प्रतिनिधि छवि। तस्वीर- ट्रिन ट्रॅन/पेक्सल्स।

[टिप्पणी] भारत के सबसे दक्षिणी जिले में एक परिवार के सौर ऊर्जा अपनाने की कहानी

भारत की भौगोलिक स्थिति उष्ण कटिबंध में है। मानसून के मौसम के कुछ दिनों को छोड़कर, सूरज पूरे साल चमकता रहता है। अनुमान के मुताबिक, भारत को सालाना लगभग 3000…
छत पर सौर प्रणाली स्थापित करने वाले कार्यकर्ता की एक प्रतिनिधि छवि। तस्वीर- ट्रिन ट्रॅन/पेक्सल्स।
तमिलनाडु में पवन टरबाइन और ट्रांसमिशन नेटवर्क। आरएमआई की रिपोर्ट के मुताबिक, डिस्कॉम के लंबे समय के लिए किए गए विद्युत खरीद अनुबंध उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा की घटती उत्पादन लागत का पूरा लाभ उठाने से रोकते हैं। तस्वीर -प्रियंका शंकर/मोंगाबे 

राष्ट्रीय विद्युत योजना: अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ने का अनुमान, कोयले पर निर्भरता रहेगी जारी

भारत की राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) के अनुमान के अनुसार, देश साल 2026-27 तक अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का लगभग 55% स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल कर लेगा। यदि यह…
तमिलनाडु में पवन टरबाइन और ट्रांसमिशन नेटवर्क। आरएमआई की रिपोर्ट के मुताबिक, डिस्कॉम के लंबे समय के लिए किए गए विद्युत खरीद अनुबंध उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा की घटती उत्पादन लागत का पूरा लाभ उठाने से रोकते हैं। तस्वीर -प्रियंका शंकर/मोंगाबे 
तमिलनाडु के कोल्ली हिल्स में किसान हाथ से धान निकाल रहे हैं। अध्ययन से पता चलता है कि फसल के अवशेषों को जलाना, इनसे निपटने का आसान और कम लागत वाला तरीका है। तस्वीर- पी जेगनाथन/विकिमीडिया कॉमन्स

फसल अवशेषों के अनुमान के साथ आसान हो सकेगा बायो ऊर्जा उत्पादन: रिपोर्ट

हाल ही मे हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि फसलों के अवशेषों से बायो ऊर्जा का उत्पादन करने की भारत की क्षमता पहले के अनुमान से कम…
तमिलनाडु के कोल्ली हिल्स में किसान हाथ से धान निकाल रहे हैं। अध्ययन से पता चलता है कि फसल के अवशेषों को जलाना, इनसे निपटने का आसान और कम लागत वाला तरीका है। तस्वीर- पी जेगनाथन/विकिमीडिया कॉमन्स
स्थानीय निवासी अलेम्बा के साथ फाकिम सामुदायिक रिजर्व में फील्डवर्क का आयोजन। तस्वीर - जॉली रूमी बोरा 

[साक्षात्कार] नागालैंड की झूम खेती, रिसर्च में पारंपरिक ज्ञान पर संरक्षण वैज्ञानिक जॉली रूमी बोरा से बातचीत

संरक्षण उपायों पर काम करने वाली जॉली रूमी बोरा ने पढ़ाई-लिखाई के दौरान सुना था कि झूम खेती आदिम और अस्थिर है।  असम में जन्मी इस शोधकर्ता ने झूम खेती…
स्थानीय निवासी अलेम्बा के साथ फाकिम सामुदायिक रिजर्व में फील्डवर्क का आयोजन। तस्वीर - जॉली रूमी बोरा 
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे

[वीडियो] मिथिला मखानः सांस्कृतिक पहचान को बचाने की राह में अनेक चुनौतियां

मखाना, वेटलैंड्स या आद्रभूमि में होने वाली फसल है। इसे मुख्यतः बिहार के पोखर, तालाबों और जलजमाव वाले क्षेत्रों में उपजाया जाता है। मखाना का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र मिथिला है…
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे
अल्फांसो आम। तस्वीर – हिरेन कुमार बोस।

महाराष्ट्रः बेमौसम बारिश और अधिक गर्मी ने खराब की अल्फांसो आम की फसल, बढ़ी कीमत

बेमौसम बारिश और तापमान में अचानक हुई बढ़ोतरी ने महाराष्ट्र में अल्फांसो आम की पैदावार को कम कर दिया है। इस वजह से पिछले साल की तुलना में इन आमों…
अल्फांसो आम। तस्वीर – हिरेन कुमार बोस।
हिंद महासागर में डाला गया एक एफएडी। तस्वीर- ग्रीनपीस।

मछलियों को आकर्षित करने वाले उपकरणों से हिंद महासागर की टूना प्रजाति पर बढ़ता खतरा

हिंद महासागर में टूना मछलियों की तीन व्यावसायिक प्रजातियां पाई जाती हैं और इस समय तीनों की लुप्त होने की कगार पर हैं। दुनियाभर में टूना मछलियों के कारोबार के…
हिंद महासागर में डाला गया एक एफएडी। तस्वीर- ग्रीनपीस।
लुप्तप्राय जंगली जल भैंस (बुबलस अरनी)। तस्वीर- सेनाका सिल्वा/विकिमीडिया कॉमन्स 

नेपालः स्वादिष्ट मोमो के लिए घरेलू और जंगली भैंसों की क्रॉस-ब्रीडिंग, मुसीबत में लुप्तप्राय प्रजाति

तीखी सॉस के साथ परोसे जाने वाले मसालेदार मांसाहारी कीमा से भरे मोमो नेपाल और तिब्बत से निकल कर दुनिया भर में लोकप्रिय हो गए हैं। यह नेपाल के लोगों…
लुप्तप्राय जंगली जल भैंस (बुबलस अरनी)। तस्वीर- सेनाका सिल्वा/विकिमीडिया कॉमन्स 
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स

मंजूरी नहीं मिलने से अटकी अरुणाचल की एटालिन पनबिजली परियोजना, खतरे में थे 2.5 लाख पेड़

अरुणाचल प्रदेश के दिबांग नदी घाटी क्षेत्र में पनबिजली परियोजना को लेकर चिंतित पर्यावरणविदों और स्थानीय आबादी को बड़ी राहत मिली है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की…
दिबांग नदी। एटालिन परियोजना विवादास्पद रही है क्योंकि इसकी योजना जैव विविधता समृद्ध क्षेत्र में बनाई गई है। तस्वीर- अनु बोरा/विकिमीडिया कॉमन्स
थार रेगिस्तान में ऊंट को पानी पिलाता एक ग्रामीण। एक अनुमान है कि साल 2030 तक भारत में 1.5 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होगी। तस्वीर- व्याचेस्लाव आर्जेनबर्ग / विकिमीडिया कॉमन्स

[कॉमेंट्री] स्थानीय स्तर पर पानी की सफाई से दूर होगा जल संकट

साल 2030 तक भारत में पानी की जरूरत 1.5 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाएगी। भारत में जितना सीवेज या अपशिष्ट जल निकलता है उसमें से सिर्फ 16.8 प्रतिशत की…
थार रेगिस्तान में ऊंट को पानी पिलाता एक ग्रामीण। एक अनुमान है कि साल 2030 तक भारत में 1.5 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत होगी। तस्वीर- व्याचेस्लाव आर्जेनबर्ग / विकिमीडिया कॉमन्स
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में सौर ड्रायर इकाई में एक महिला। तस्वीर- रहेजा सोलर-पॉवरिंग लाइवलीहुड्स इंटरप्राइज

[वीडियो] पुश्तैनी रोजगार को बचाने में उपयोगी बन रही सौर ऊर्जा, आगे बढ़ाने के लिए सरकारी मदद जरूरी

आधा अक्टूबर करीब-करीब बीत चुका था। 44 साल के कुम्हार रघुराम कुलाल चाक पर मिट्टी का घड़ा बनाने में व्यस्त थे। किसी पारंगत कुम्हार की तरह उनकी उंगलियां तेजी से…
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में सौर ड्रायर इकाई में एक महिला। तस्वीर- रहेजा सोलर-पॉवरिंग लाइवलीहुड्स इंटरप्राइज
उत्तर प्रदेश के कई किसानों की भारी बारिश के चलते फसल बर्बाद हो गई, लेकिन खेत पर मालिकाना हक न होने की वजह से फसल के नुकसान के बाद उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। तस्वीर- अरविंद शुक्ला

[वीडियो] मौसम की मार से फसल बर्बाद होने के बावजूद मुआवजे से वंचित भूमिहीन किसान

उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के तुरकौली गांव में रहने वाले 64 वर्षीय किसान राम सागर की अक्टूबर 2022 में भारी और बेमौसम बारिश के कारण साढ़े तीन एकड़ धान…
उत्तर प्रदेश के कई किसानों की भारी बारिश के चलते फसल बर्बाद हो गई, लेकिन खेत पर मालिकाना हक न होने की वजह से फसल के नुकसान के बाद उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। तस्वीर- अरविंद शुक्ला
जोशीमठ के बाद अब उत्तराखंड के कर्णप्रयाग से भी मकान धंसने की तस्वीरें आ रही हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार

[वीडियो] उत्तराखंड में जोशीमठ के बाद कर्णप्रयाग में भी सामने आईं दरारें

उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में रहने वाली सुशीला कोठियाल के घर में कभी पांच सदस्य रहते थे, लेकिन अब सिर्फ पति-पत्नी रहते हैं। वजह है उनका दरकता हुआ मकान। उन्होंने मकान…
जोशीमठ के बाद अब उत्तराखंड के कर्णप्रयाग से भी मकान धंसने की तस्वीरें आ रही हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार
समुद्र में टूटे हुए जाल (भूतिया जाल) जैसे मलबे समुद्री वन्यजीवों के लिए खतरा बने हुए हैं। तस्वीर- टिम शीरमैन / विकिमीडिया कॉमन्स

समुद्री जीवों को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने पर आगे बढ़ी चर्चा, अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए प्रस्ताव पारित

समुद्री जीवों को प्लास्टिक के प्रदूषण से बचाने के लिए कई देश एक वार्ता पर सहमत हुए हैं। इसके लिए एक प्रस्ताव पर सहमति जताई गई है। अक्टूबर में स्लोवानिया…
समुद्र में टूटे हुए जाल (भूतिया जाल) जैसे मलबे समुद्री वन्यजीवों के लिए खतरा बने हुए हैं। तस्वीर- टिम शीरमैन / विकिमीडिया कॉमन्स
जोशीमठ के तकरीबन 700 सौ मकानों में दरारें आ रही हैं। यहां के मकान तेजी से धंस रहे हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार

उत्तराखंड का एक दरकता शहरः कैसे बदतर हुए जोशीमठ के हालात

ऋषि देवी (37) के परिवार के लिए जोशीमठ का सरकारी स्कूल इन दिनों आशियाना बना हुआ है। सर्द रातों में जब पारा -3 डिग्री सेल्सियस पहुँच जाता है, ऋषि देवी…
जोशीमठ के तकरीबन 700 सौ मकानों में दरारें आ रही हैं। यहां के मकान तेजी से धंस रहे हैं। तस्वीर- सत्यम कुमार
जोशीमठ में 678 मकान जर्जर हो गए हैं। वहां से लोगों को अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया जा रहा है। तस्वीर- सत्यम कुमार

[वीडियो] ढह रहा उत्तराखंड का जोशीमठ, किस हाल में हैं वहां के लोग?

उत्तराखंड के शहर जोशीमठ में हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। कोई अपने घर से फर्नीचर निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचा रहा है तो कोई अपने परिवार समेत घर छोड़ने की…
जोशीमठ में 678 मकान जर्जर हो गए हैं। वहां से लोगों को अस्थाई रूप से सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित किया जा रहा है। तस्वीर- सत्यम कुमार
महाराष्ट्र के बारामती में गन्ने की फसल में पानी लगाता एक किसान। इस फसल की सिंचाई के लिए आवश्यक बिजली के कारण इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि से कार्बन फुटप्रिंट भी बढ़ेगा। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे

महाराष्ट्र के गन्ना किसानों तक कितना पहुंच रहा गन्ने से ईंधन बनाने की योजना का लाभ

साहू थोरत महाराष्ट्र के सतारा जिले  कलावडे गांव में रहने वाले 47 वर्ष के एक गन्ना किसान हैं। थोरत पिछले 25 वर्षों से गन्ने की खेती अपने चार एकड़ के…
महाराष्ट्र के बारामती में गन्ने की फसल में पानी लगाता एक किसान। इस फसल की सिंचाई के लिए आवश्यक बिजली के कारण इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि से कार्बन फुटप्रिंट भी बढ़ेगा। तस्वीर- मनीष कुमार / मोंगाबे