जलवायु परिवर्तन News

मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे

उत्तराखंड में किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा जैविक खेती का लाभ

उत्तराखंड में कोटद्वार से लगभग 100 किलोमीटर दूर पोखरा ब्लॉक के वीणाधार गांव में रहने वाली लता देवी पूरे दिन व्यस्त रहती हैं। अहले सुबह वो अपनी गाय को दूहती…
मटर के खेत में निराई-गुराई का काम करतीं पोखरा ब्लॉक के वीणा धार गांव में रहने वाली महिलाएं। तस्वीर- सत्यम कुमार/मोंगाबे

जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय में आमने-सामने आते बाघ, तेंदुए और हिम तेंदुए

पिछले दिनों एक वीडियो, संभवतः भारत के जंगल में रिकॉर्ड किया गया, वायरल हुआ। इस वीडियो में एक बाघ पेड़ों के बीच चुपचाप कुछ दूरी पर अपना ध्यान केंद्रित कर…
केरल, तिरुवनंतपुरम के विझिंजम बाजार में मछलियां बेचती मछुआरने। तस्वीर- इंडिया वाटर पोर्टल/ फ़्लिकर 

समुद्र तट के पास कम हो रही मछलियां, गहरे पानी में जाने का जोखिम उठा रहे परंपरागत मछुआरे

डेविडसन एंथोनी एडिमा ने दक्षिण-पश्चिमी भारत के तटीय इलाके में 12 साल की उम्र में मछली पकड़ना शुरू किया था। तब उनके पास लकड़ी के लट्ठे से बनी नाव ‘कट्टुमरम’…
केरल, तिरुवनंतपुरम के विझिंजम बाजार में मछलियां बेचती मछुआरने। तस्वीर- इंडिया वाटर पोर्टल/ फ़्लिकर 
पोषक तत्वों से भरपूर करेवा केसर व बादाम की खेती के लिए के लिए अहम है। तस्वीर- शाज़ सैयद/मोंगाबे 

[वीडियो] बुनियादी ढांचे के नीचे दम तोड़ती कश्मीर के करेवा की उपजाऊ जमीन

केसर की धरती कहे जाने वाले पंपोर इलाके के बीच से एक राष्ट्रीय राजमार्ग (NH44) होकर गुजर रहा है। केसर की खेती करने वाले इश्फाक अहमद यहां खड़े होकर इस…
पोषक तत्वों से भरपूर करेवा केसर व बादाम की खेती के लिए के लिए अहम है। तस्वीर- शाज़ सैयद/मोंगाबे 
मध्य प्रदेश के सतना जिले के धतूरा गांव में टमाटर की तुड़ाई करता एक किसान। इस गांव में किसानो ने खेती के तरीकों में बदलाव किया है। पानी की खपत कम करने के लिए मंचिंग पॉलीथिन का प्रयोग किया गया जिससे पानी की बचत हुई। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

[वीडियो] क्लाइमेट स्मार्ट विलेज: जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए कैसे तैयार हो रहे हैं मध्य प्रदेश के ये गांव

मध्यप्रदेश के सतना जिले में धतूरा गांव के किसान देवशरण पटेल (53) कंधे पर बैट्री से चलने वाली कीटनाशक छिड़कने की मशीन लादे खेतों की ओर जा रहे हैं। कुछ…
मध्य प्रदेश के सतना जिले के धतूरा गांव में टमाटर की तुड़ाई करता एक किसान। इस गांव में किसानो ने खेती के तरीकों में बदलाव किया है। पानी की खपत कम करने के लिए मंचिंग पॉलीथिन का प्रयोग किया गया जिससे पानी की बचत हुई। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
उत्तर प्रदेश के कई किसानों की भारी बारिश के चलते फसल बर्बाद हो गई, लेकिन खेत पर मालिकाना हक न होने की वजह से फसल के नुकसान के बाद उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। तस्वीर- अरविंद शुक्ला

[वीडियो] मौसम की मार से फसल बर्बाद होने के बावजूद मुआवजे से वंचित भूमिहीन किसान

उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के तुरकौली गांव में रहने वाले 64 वर्षीय किसान राम सागर की अक्टूबर 2022 में भारी और बेमौसम बारिश के कारण साढ़े तीन एकड़ धान…
उत्तर प्रदेश के कई किसानों की भारी बारिश के चलते फसल बर्बाद हो गई, लेकिन खेत पर मालिकाना हक न होने की वजह से फसल के नुकसान के बाद उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। तस्वीर- अरविंद शुक्ला
श्रीनगर और उसके आसपास के इलाकों में हवा को प्रदूषित करतीं सीमेंट फैक्ट्रियां। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद।

प्रदूषित हुआ धरती का स्वर्ग: कश्मीर में खराब होती हवा की गुणवत्ता सांस के मरीजों के लिए बड़ा खतरा

दिसंबर का महीना काफी कोहरे वाला था। यहां के युवा और बूढ़े लोग श्रीनगर के डलगेट में मौजूद चेस्ट एंड डिजीज (CD) हॉस्पिटल जाने के लिए पहाड़ चढ़ रहे थे।…
श्रीनगर और उसके आसपास के इलाकों में हवा को प्रदूषित करतीं सीमेंट फैक्ट्रियां। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद।
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के सल्लार क्षेत्र का एक जंगल। तस्वीर- आमिर बिन रफ़ी

कश्मीर में खुद से संवर रहे जंगल, बेहतर हो रही मिट्टी की सेहत और कार्बन सिंक

शहर के शोर-शराबे से दूर, दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में सालार जंगल दिसंबर की हांड़ कंपा देने वाली सर्दियों में भी वसंत के मौसम की तरह गुलजार है। कोहरे…
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के सल्लार क्षेत्र का एक जंगल। तस्वीर- आमिर बिन रफ़ी
मणिपुर का लोकतक तालाब 38 स्थानीय मछलियों का घर है। वेटलैंड्स जैव-विविधता को पनाह देने के साथ-साथ इंसानों के लिए रोजगार के मौके भी प्रदान करता है। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली/मोंगाबे-हिन्दी

आर्थिक सर्वेक्षण: जलवायु वित्त पर भारत का जोर, जी-20 में विकासशील देशों के रुख को मिलेगी मजबूती

भारत ने संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए विकासशील देशों के लिए ग्रीन फाइनेंस (पर्यावरण को बचाने के लिए धन की व्यवस्था) की खातिर मुखरता से अपनी बात रखी है। इसमें कहा गया है…
मणिपुर का लोकतक तालाब 38 स्थानीय मछलियों का घर है। वेटलैंड्स जैव-विविधता को पनाह देने के साथ-साथ इंसानों के लिए रोजगार के मौके भी प्रदान करता है। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली/मोंगाबे-हिन्दी
पैंगोंग हिमनद झील, लद्दाख। पर्माफ्रॉस्ट डिग्रेडेशन हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम में पर्याप्त बदलाव के लिए जिम्मेदार है। तस्वीर- वजाहत इकबाल/विकिमीडिया कॉमन्स।

खतरे की आहट: ग्लोबल वार्मिंग से हिमालय में भूमिगत हलचल

अप्रैल 2022 के अंत तक नेपाल के एवरेस्ट क्षेत्र में समुद्र तल से 3555 मीटर की ऊँचाई पर बेस शहर – नामचे बाज़ार – में जीवन और व्यवसाय पहले जैसा…
पैंगोंग हिमनद झील, लद्दाख। पर्माफ्रॉस्ट डिग्रेडेशन हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम में पर्याप्त बदलाव के लिए जिम्मेदार है। तस्वीर- वजाहत इकबाल/विकिमीडिया कॉमन्स।
कार्बन उत्सर्जन की कीमत इसलिए है क्योंकि कार्बन आधारित गैसें, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड है, उत्सर्जन में सबसे प्रचुर मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें हैं। तस्वीर-  मार्सिनजोज़्विआक/पिक्साबे

कार्बन मूल्य-निर्धारण क्या है?

उन्नीस सौ बीस के दशक में एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री आर्थर पिगौ ने उद्योगों को उनके द्वारा किए गए प्रदूषण की लागत के लिए भुगतान करने के सामाजिक लाभों पर प्रकाश…
कार्बन उत्सर्जन की कीमत इसलिए है क्योंकि कार्बन आधारित गैसें, मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड है, उत्सर्जन में सबसे प्रचुर मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें हैं। तस्वीर-  मार्सिनजोज़्विआक/पिक्साबे
पेड़ों के भीतर छिपता हुआ हाथी। भारत की राष्ट्रीय जैव-विविधता कार्य योजना को लागू करने के लिए 12 अरब डॉलर वार्षिक का अनुमान लगाया गया है। तस्वीर- एस गोपीकृष्ण वारियर/मोंगाबे

जैव-विविधता वित्त और इसकी अहमियत

जैव-विविधता के संरक्षण के लिए पूंजी जुटाना और उसका प्रबंधन करना जैव विविधता वित्त या बायो डायवर्सिटी फाइनेंस है। यह संरक्षण वित्त के जैसे व्यापक विषय के तहत आता है,…
पेड़ों के भीतर छिपता हुआ हाथी। भारत की राष्ट्रीय जैव-विविधता कार्य योजना को लागू करने के लिए 12 अरब डॉलर वार्षिक का अनुमान लगाया गया है। तस्वीर- एस गोपीकृष्ण वारियर/मोंगाबे
बल्ली द्वीप पर मृत मैंग्रोव के बगल में लगाए गए नए मैंग्रोव। विशेषज्ञों का कहना है कि उन क्षेत्रों में जहां लहर का वेग अधिक है, और कटाव तेज है, वहां मैंग्रोव तब तक नहीं बचेंगे जब तक कि मैंग्रोव को लहरों से सुरक्षित नहीं किया जाता। तस्वीर- सुभ्रजीत सेन/मोंगाबे।

[वीडियो] सुंदरबनः तटीय कटाव और मवेशियों की वजह से मुश्किल में मैंग्रोव के नए पौधे

भारत के सुंदरबन में स्थित एक द्वीप पखिरालय घाट के पश्चिम में 700 से 800 मीटर हिस्से में मैंग्रोव (समुद्री तट पर उगने वाला पौधा या झाड़ी) को लगाना, 2020…
बल्ली द्वीप पर मृत मैंग्रोव के बगल में लगाए गए नए मैंग्रोव। विशेषज्ञों का कहना है कि उन क्षेत्रों में जहां लहर का वेग अधिक है, और कटाव तेज है, वहां मैंग्रोव तब तक नहीं बचेंगे जब तक कि मैंग्रोव को लहरों से सुरक्षित नहीं किया जाता। तस्वीर- सुभ्रजीत सेन/मोंगाबे।

[कमेंट्री] हिमालय के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में समृद्ध जैव-विविधता के संरक्षण के विविध पहलू

हिमालय के पूर्वी क्षेत्र में जैव-विविधता से समृद्ध हिंदुकुश हिमालय दुर्लभ, स्थानीय और संकटग्रस्त वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियों का आवास है। वैश्विक जैव विविधता के तीन हॉटस्पॉट, हिमालय,…
तेलंगाना के करीमनगर जिलें में परगी में लगा एक पवन ऊर्जा का मिल। तस्वीर-मनीष कुमार/मोंगाबे

ग्रीन बॉन्ड के लिए फ्रेमवर्क सही दिशा में कदम लेकिन आगे है लंबा रास्ता

जलवायु परिवर्तन को रोकने से जुड़े कदमों (क्लाइमेट एक्शन) के लिए फंड मुहैया कराने में निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए सरकार ने एक कदम और बढ़ाया है। भारत सरकार…
तेलंगाना के करीमनगर जिलें में परगी में लगा एक पवन ऊर्जा का मिल। तस्वीर-मनीष कुमार/मोंगाबे
मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के समापन के दो सप्ताह बाद जैव विविधता शिखर सम्मेलन हो रहा है। तस्वीर: संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता/फ़्लिकर।

कॉप15: साल 2030 तक 30% जैव-विविधता को बचाने पर भारत का जोर, सहमति बनाना बड़ी चुनौती

संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन (कॉप15) को लेकर आयोजक देश कनाडा में गहमागहमी बढ़ गई है। जैव विविधता को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए यहां ऐतिहासिक समझौते पर…
मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के समापन के दो सप्ताह बाद जैव विविधता शिखर सम्मेलन हो रहा है। तस्वीर: संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता/फ़्लिकर।
प्याज की फसल की कटाई करते किसान। जीबी-9 ने ‘फसल विविधता के संरक्षक’ के रूप में किसानों की भूमिका को मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव का अंतिम रूप दिया। तस्वीर- मीना631/विकिमीडिया कॉमन्स।

प्लांट जेनेटिक पर अंतरराष्ट्रीय संधि में किसानों के अधिकारों पर बनी आम सहमति

खाद्य और कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों (प्लांट जेनेटिक रिसोर्से फॉर फ़ूड एंड एग्रीकल्चर) पर हुई अंतरराष्ट्रीय संधि में खाद्य और कृषि में पौधों के आनुवंशिक संसाधनों पर किसानों…
प्याज की फसल की कटाई करते किसान। जीबी-9 ने ‘फसल विविधता के संरक्षक’ के रूप में किसानों की भूमिका को मान्यता देते हुए एक प्रस्ताव का अंतिम रूप दिया। तस्वीर- मीना631/विकिमीडिया कॉमन्स।
द्रास क्षेत्र में ग्लेशियर। तस्वीर- शकील ए रोमशू।

लद्दाख: बढ़ते तापमान व ब्लैक कार्बन से पिघलते ग्लेशियर, आपदा की आशंका

पश्चिमी हिमालय के ग्लेशियर, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लिए पानी के स्रोत हैं। शोधकर्ताओं ने विभिन्न अध्ययनों में पाया है कि, ब्लैक कार्बन और ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ने के…
द्रास क्षेत्र में ग्लेशियर। तस्वीर- शकील ए रोमशू।
बेंगलुरु शहर के दक्षिण पूर्व में बेलंदूर झील शहर की सबसे बड़ी झील है। तस्वीर- अश्विन कुमार/विकिमीडिया कॉमन्स

झीलों पर अतिक्रमण, अनियमित निर्माण बेंगलुरु की बाढ़ के मुख्य कारण

भारत की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का गढ़ बेंगलुरु, हाल ही में शहरी बाढ़ की वजह से सुर्खियों में बना हुआ था। इस साल अगस्त के अंतिम सप्ताह और सितंबर के…
बेंगलुरु शहर के दक्षिण पूर्व में बेलंदूर झील शहर की सबसे बड़ी झील है। तस्वीर- अश्विन कुमार/विकिमीडिया कॉमन्स
पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने और 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान की सीमा को पहुंच के भीतर रखने के लिए उत्सर्जन में भारी कटौती जरूरी है। तस्वीर- आईआईएसडी/ईएनबी।

कॉप27: लॉस एंड डैमेज फंड पर सहमति, अन्य मुद्दों पर अटका जलवायु शिखर सम्मेलन

मिस्र में संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन - कॉप27 में सालों तक न-नुकुर के बाद आखिरकार अमीर देशों को गरीब देशों की मदद के लिए आगे आना पड़ा…
पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने और 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान की सीमा को पहुंच के भीतर रखने के लिए उत्सर्जन में भारी कटौती जरूरी है। तस्वीर- आईआईएसडी/ईएनबी।
मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में ग्रीन हाइड्रोजन और डीकार्बोनाइजिंग अर्थव्यवस्थाओं में इसकी भूमिका चर्चा का एक अहम बिंदु रहा है। तस्वीर: आईआईएसडी/ईएनबी

कॉप27ः ग्रीन हाइड्रोजन पर भारत की पहल, दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में कर सकता है मदद

भारत ने लंबी अवधि के लिए अपनी कम उत्सर्जन वाली विकास रणनीति की घोषणा कर दी है। इसकी घोषणा मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन कॉप27 में…
मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में ग्रीन हाइड्रोजन और डीकार्बोनाइजिंग अर्थव्यवस्थाओं में इसकी भूमिका चर्चा का एक अहम बिंदु रहा है। तस्वीर: आईआईएसडी/ईएनबी
कॉप27 के दौरान मिस्र के शर्म-अल-शेख में विभिन्न संगठनों ने जीवाश्म ईंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया। तस्वीर- आईआईएसडी

कॉप27: जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के भारत के आह्वान में शामिल हुए कई देश

मिस्र में शर्म अल-शेख में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन (कॉप27) में भारत द्वारा कोयले के अलावा सभी जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल में तेजी से कमी लाने के प्रस्ताव को…
कॉप27 के दौरान मिस्र के शर्म-अल-शेख में विभिन्न संगठनों ने जीवाश्म ईंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया। तस्वीर- आईआईएसडी
आशा के साथ शुरू हुए कॉप27 का समापन निराशाजनक न रह जाए

आशा के साथ शुरू हुए कॉप27 का समापन निराशाजनक न रह जाए

मिस्र के शर्म-अल-शेख में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन – कॉप27 बीते एक सप्ताह से चल रहा है। बैठक की शुरुआत लॉस एंड डैमेज के मुद्दे के आधिकारिक एजेंडे में…
आशा के साथ शुरू हुए कॉप27 का समापन निराशाजनक न रह जाए
एक नए अध्ययन में हर साल के अधिकतर दिनों में उच्च स्तर की खतरनाक गर्मी होने का संकेत दिया गया है। इससे गर्मी से होने वाली बीमारियों में काफी इजाफ़ा होगा। ख़ास तौर से बुजुर्गों, आउटडोर काम करने वाले श्रमिकों और कम आय वाले लोगों में। तस्वीर- माइकल कैनन/विकिमीडिया कॉमन्स।

लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा बढ़ती गर्मी का असर, बड़े प्रयासों की जरूरत

“गर्मी में पंखा चलाने पर, कमरे के अंदर की हवा आग की तरह उठती है,” भारत में कोलकाता महानगर के उत्तरी भाग में प्लास्टिक के तिरपाल, बांस और टिन से…
एक नए अध्ययन में हर साल के अधिकतर दिनों में उच्च स्तर की खतरनाक गर्मी होने का संकेत दिया गया है। इससे गर्मी से होने वाली बीमारियों में काफी इजाफ़ा होगा। ख़ास तौर से बुजुर्गों, आउटडोर काम करने वाले श्रमिकों और कम आय वाले लोगों में। तस्वीर- माइकल कैनन/विकिमीडिया कॉमन्स।

कॉप27: जलवायु एजेंडा में शामिल हुआ ‘लॉस एंड डैमेज’ का मुद्दा, रंग लाई भारत की कोशिशें

पूर्वी मिस्र में शर्म-अल-शेख में आयोजित कॉप27 (COP27) संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन से एक आशावादी जानकारी सामने आई है। सभी भाग लेने वाले देशों ने सम्मेलन के आधिकारिक एजेंडे पर…
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे

कॉप27: जलवायु संकट में फंसी दुनिया क्या मिस्र में खोज पाएगी समाधान

मध्य भारत में स्थित छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के घने जंगलों में एक कोयला खनन परियोजना का विरोध चल रहा है। इसका विरोध करने वाले गोंड आदिवासी नहीं जानते कि…
फ्राइडे फॉर फ्यूचर नामक समूह ने कॉप 26 सम्मेलन स्थल के बाहर मार्च में हिस्सा लिया। तस्वीर- प्रियंका शंकर/मोंगाबे
पराली जलाने के स्थान पर मशीनों को किराए पर लेने या खरीदने की लागत छोटे और सीमांत किसान वहन नहीं कर सकते। तस्वीर- 2011CIAT / नील पामर / फ़्लिकर

[वीडियो] तमाम सरकारी ‘समाधानों’ के बावजूद उत्तर भारत में क्यों लौट रहा है पराली संकट

देश में पराली जलाने यानी धान के अवशेष को खेतों में जलाने की समस्या साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। पराली जलाने की समस्या सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा संकट…
पराली जलाने के स्थान पर मशीनों को किराए पर लेने या खरीदने की लागत छोटे और सीमांत किसान वहन नहीं कर सकते। तस्वीर- 2011CIAT / नील पामर / फ़्लिकर
भारत में रणथंभौर के शुष्क पर्णपाती वन। 2001 से 2010 के बीच वनों ने वैश्विक CO2 उत्सर्जन का लगभग 20-30% अवशोषित कर लिया है। 2001 और 2019 के बीच वनों ने प्रति वर्ष लगभग 7.6 गीगाटन CO2 को अवशोषित किया। तस्वीर- पाहुल महाजन/विकिमीडिया कॉमन्स।

कार्बन सिंक क्या हैं?

कार्बन सिंक ऐसे स्थान या उत्पाद हैं जो कार्बन को ऑर्गेनिक या इनऑर्गेनिक यौगिकों के रूप में अलग-अलग समय के लिए संग्रहित करते हैं। प्राकृतिक या कृत्रिम प्रक्रियाओं के माध्यम…
भारत में रणथंभौर के शुष्क पर्णपाती वन। 2001 से 2010 के बीच वनों ने वैश्विक CO2 उत्सर्जन का लगभग 20-30% अवशोषित कर लिया है। 2001 और 2019 के बीच वनों ने प्रति वर्ष लगभग 7.6 गीगाटन CO2 को अवशोषित किया। तस्वीर- पाहुल महाजन/विकिमीडिया कॉमन्स।

[वीडियो] पृथ्वी के लिए ‘कोड रेड’, ताजे पानी के जलीय जीवों की संख्या में 83% की गिरावट: रिपोर्ट

बीते 50 वर्षों में दुनिया में ताजे पानी के जलीय जीवों की संख्या में 83% की कमी आई है। जंगली जीवों के मामले में यह आंकड़ा 69% का है। यानी…
देश का 30% भौगोलिक क्षेत्र संरक्षित करने के लिए अब निजी प्रयासों से जैव-विविधता समृद्ध क्षेत्र चिन्हित किए जा रहे हैं। तस्वीर- वर्षा सिंह

जैव-विविधता को सहेजने के लिए सामुदायिक भागीदारी से बढ़ेगा संरक्षित क्षेत्र

जैव-विविधता पर गहराते संकट को हल करने के लिए दुनिया भर में कई तरह की कोशिशें चल रही हैं। इन्हीं में से एक है  साल 2030 तक धरती के 30…
देश का 30% भौगोलिक क्षेत्र संरक्षित करने के लिए अब निजी प्रयासों से जैव-विविधता समृद्ध क्षेत्र चिन्हित किए जा रहे हैं। तस्वीर- वर्षा सिंह