पर्यावरण से जुड़ी सुर्खियां

प्रकृति और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों की खोज खबर। मोंगाबे एक गैर-लाभकारी संस्था है।

स्थानीय निवासी अलेम्बा के साथ फाकिम सामुदायिक रिजर्व में फील्डवर्क का आयोजन। तस्वीर - जॉली रूमी बोरा 

[साक्षात्कार] नागालैंड की झूम खेती, रिसर्च में पारंपरिक ज्ञान पर संरक्षण वैज्ञानिक जॉली रूमी बोरा से बातचीत

संरक्षण उपायों पर काम करने वाली जॉली रूमी बोरा ने पढ़ाई-लिखाई के दौरान सुना था कि झूम खेती आदिम और अस्थिर है।  असम में जन्मी इस शोधकर्ता ने झूम खेती…
स्थानीय निवासी अलेम्बा के साथ फाकिम सामुदायिक रिजर्व में फील्डवर्क का आयोजन। तस्वीर - जॉली रूमी बोरा 
शोधकर्ताओं ने बताया कि मछुआरों को बायकैच छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने का काम ब्राजील में हुआ है। इसे भारत में भी लागू किया जा सकता है। फोटो- त्रिशा गुप्ता 

गंभीर रूप से लुप्तप्राय राइनो रेज़ के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भूमिका

राइनो रेज़ इलास्मोब्रान्ची का एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण समूह बनाती हैं। यह कार्टिलाजिनस मछली का एक उपवर्ग है जिसमें रेज़ और शार्क शामिल हैं। हालांकि, राइनो रेज़ के बारे में…
शोधकर्ताओं ने बताया कि मछुआरों को बायकैच छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने का काम ब्राजील में हुआ है। इसे भारत में भी लागू किया जा सकता है। फोटो- त्रिशा गुप्ता 
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे

[वीडियो] मिथिला मखानः सांस्कृतिक पहचान को बचाने की राह में अनेक चुनौतियां

मखाना, वेटलैंड्स या आद्रभूमि में होने वाली फसल है। इसे मुख्यतः बिहार के पोखर, तालाबों और जलजमाव वाले क्षेत्रों में उपजाया जाता है। मखाना का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र मिथिला है…
भारत का अधिकांश मखाना बिहार से आता है और इसका लगभग एक चौथाई उत्पादन दरभंगा के आर्द्रभूमि में होता है। तस्वीर- प्रणव कुमार/मोंगाबे
नर्सरी से लाने के बाद पौधों को लगाते लोग। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे ।

मैंग्रोव के निर्माण से लाभान्वित हो रहा गुजरात का तटीय समुदाय, आजीविका के साथ पर्यावरण को फायदा

ऐसा लग रहा था कि यह दलदल कभी ख़त्म नहीं होगा। जब मैं घुटनों तक दलदल में चली गई, तो सिर्फ़ केकड़ ही मेरे साथ थे। मुझसे महज 10 फुट…
नर्सरी से लाने के बाद पौधों को लगाते लोग। तस्वीर- रवलीन कौर/मोंगाबे ।
तमिलनाडु में खाने-पीने की ऑर्गेनिक चीजों का स्टॉल। तस्वीर- थमिझप्परिथि मारी/विकिपीडिया कॉमन्स

क्या है ऑर्गेनिक फूड और कैसे करें इसकी पहचान?

आपने अपने मोहल्ले की किराना दुकान पर खाने-पीने की ऑर्गेनिक चीजें देखी होंगी। लेकिन इन उत्पादों को ऑर्गेनिक का तमगा किस तरह दिया जाता है? और इनकी कीमत बहुत ज़्यादा…
तमिलनाडु में खाने-पीने की ऑर्गेनिक चीजों का स्टॉल। तस्वीर- थमिझप्परिथि मारी/विकिपीडिया कॉमन्स
भारत में बैंडेड करैत की तस्वीर। तस्वीर - डेविडवराजू/विकिमीडिया कॉमन्स। 

बैंडेड करैत की हो सकती है एक से ज्यादा प्रजाति, रिसर्च में आया सामने

हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि अत्यधिक विषैला बैंडेड करैत (बुंगारस फासिआटस/ सांप जिसके शरीर पर पट्टियां होती हैं) की पूरे एशिया में अलग-अलग प्रजातियां…
भारत में बैंडेड करैत की तस्वीर। तस्वीर - डेविडवराजू/विकिमीडिया कॉमन्स। 
एमके रंजीतसिंह भारत के वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम के वास्तुकारों में से एक हैं। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली / मोंगाबे

[साक्षात्कार] भारत में ग्रासलैंड पॉलिसी की जरूरत पर संरक्षणवादी एम के रंजीतसिंह झाला से बातचीत

वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए देश का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कानून ‘वन्य जीवन (संरक्षण)’ अधिनियम के कमजोर होने के खिलाफ चेतावनी देते हुए एमके रंजीतसिंह झाला ने उपेक्षित…
एमके रंजीतसिंह भारत के वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम के वास्तुकारों में से एक हैं। तस्वीर- कार्तिक चंद्रमौली / मोंगाबे
दिल्ली में एक अंडा विक्रेता। जैसा कि भारतीय राज्यों में अंडे की कमी है, लोगों को पारंपरिक प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोत खोजने पड़ सकते हैं। ऐसा ही एक विकल्प खोजा जा रहा है वह है, कीट। तस्वीर पल्लव.जौरनो/विकिमीडिया

[कमेंट्री] भारत में अंडे की कमी के चलते, कीट और पतंगे प्रोटीन और पोषण के लिए संभावित समाधान हो सकते हैं?

भारत ने इस साल 17 जनवरी को जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे लेकर हम असमंजस में हैं कि इस पर…
दिल्ली में एक अंडा विक्रेता। जैसा कि भारतीय राज्यों में अंडे की कमी है, लोगों को पारंपरिक प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोत खोजने पड़ सकते हैं। ऐसा ही एक विकल्प खोजा जा रहा है वह है, कीट। तस्वीर पल्लव.जौरनो/विकिमीडिया
सिक्किम में एक तितली। एक नई मॉडलिंग स्टडी के मुताबिक, हर साल लगभग 5 लाख लोग अपनी उम्र पूरी किए बिना ही मर जा रहे हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर परागणक का काम करने वाले कीड़े-मकोड़ों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। तस्वीर- नंदिता चंद्रप्रकाश/मोंगाबे।

मधुमक्खी और तितली जैसे कीड़े-मकोड़ों के कम होने का असर इंसानों पर भी, हर साल मर रहे पांच लाख लोग

बटरफ्लाई थ्योरी कहती है कि न के बराबर होने वाले बदलाव भी बहुत बड़ा असर दिखाते हैं। केओस थ्योरी के बारे में चर्चा के दौरान अक्सर एक रूपक का इस्तेमाल…
सिक्किम में एक तितली। एक नई मॉडलिंग स्टडी के मुताबिक, हर साल लगभग 5 लाख लोग अपनी उम्र पूरी किए बिना ही मर जा रहे हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर परागणक का काम करने वाले कीड़े-मकोड़ों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है। तस्वीर- नंदिता चंद्रप्रकाश/मोंगाबे।
बेल्लारी के निवासी जिले के एक नए सोलर पार्क के सामने से गुजरते हुए। तस्वीर - प्रणव कुमार/मोंगाबे।

[वीडियो] कौशल की कमी से नवीन ऊर्जा सेक्टर में काम पाने में पिछड़ रहे बेल्लारी के पूर्व खदान मजदूर

कर्नाटक में बेल्लारी जिले के सेंडूर तालुका का रणजीतपुर गांव लौह-अयस्क खनन के लिए जाना जाता रहा है। यहां रहने वाले 40 वर्षीय पूर्व खदान मजदूर ए. यारीस्वामी इस क्षेत्र…
बेल्लारी के निवासी जिले के एक नए सोलर पार्क के सामने से गुजरते हुए। तस्वीर - प्रणव कुमार/मोंगाबे।
अपने पैरों को हवा में लहराता डांसिंग फ्रॉग। तस्वीर क्रेडिट – मधुश्री मुदके।

डांसिंग फ्रॉग में सामने आई कई विकृतियां, शायद अब नहीं लहरा सके अपने पैर

अगर आप कर्नाटक में पश्चिमी घाटों में बारहमासी नदियों में चट्टानों पर ध्यान से देखेंगे, तो आप एक छोटे मेंढक को अपने पीछे के पैरों को हवा में लहराते हुए…
अपने पैरों को हवा में लहराता डांसिंग फ्रॉग। तस्वीर क्रेडिट – मधुश्री मुदके।
स्थानीय तौर पर बुरांश के नाम से जाना जाने वाला Rhododendron arboreum खूबसूरत और हरा-भरा पेड़ होता है जिस पर गाढ़े लाल रंग के फूल आते हैं और इसका तना गुलाबी भूरे रंग का होता है। तस्वीर: अनिल विजयेश्वर डंगवाल।

(कमेंट्री) हिमालयी फूल बुरांश की संभावनाओं और क्षमताओं की खोज

वनों पर निर्भर समुदायों की जीविका वनों में मिलने वाली जैव विविधता से और समृद्ध होती है। इससे वह वनों में आसानी से जीवित रहते हैं और उनका जीवन आसान…
स्थानीय तौर पर बुरांश के नाम से जाना जाने वाला Rhododendron arboreum खूबसूरत और हरा-भरा पेड़ होता है जिस पर गाढ़े लाल रंग के फूल आते हैं और इसका तना गुलाबी भूरे रंग का होता है। तस्वीर: अनिल विजयेश्वर डंगवाल।
असम के नागांव के एक गांव पहुकाता में धान की खेती। तस्वीर: दिगंता तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।

बढ़ते जलवायु संबंधी खतरों के साथ, अनुकूलन के लिए तैयार होते किसान

फरवरी के अंत में, भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), गेहूं के लिए एक प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान, ने भारत में किसानों को तापमान में अचानक वृद्धि के मामले में…
असम के नागांव के एक गांव पहुकाता में धान की खेती। तस्वीर: दिगंता तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।
साल 2018 में भारतीय हिमालय क्षेत्र (IHR) के लिए किए गए जलवायु की अनिश्चितता के आकलन के मुताबिक, असम सबसे ज्यादा संवेदनशील राज्य है। तस्वीर: बंदिता बरुआ।

अचानक बाढ़ और सूखे जैसे हालात से प्रभावित हो रही है असम की खेती

साल 2022 में असम में हुई रिकार्ड तोड़ बारिश के बाद आई बाढ़ पिछले एक दशक में राज्य में आई सबसे भयावह बाढ़ थी। इसके ठीक पहले असम के कुछ…
साल 2018 में भारतीय हिमालय क्षेत्र (IHR) के लिए किए गए जलवायु की अनिश्चितता के आकलन के मुताबिक, असम सबसे ज्यादा संवेदनशील राज्य है। तस्वीर: बंदिता बरुआ।
एक निर्माणाधीन डैम की प्रतीकात्मक तस्वीर। ऊर्जा मंत्रालय ने संसद को बताया है कि सभी बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को अनुमति देने से पहले पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी ली जाती है और एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी से व्यापक आकलन करवाया जाता है। तस्वीर- इंटरनेशनल रिवर्स 

जलवायु परिवर्तन और ज्यादा बारिश से जलविद्युत परियोजनाओं पर पड़ेगा असर

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर की एक स्टडी के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन से जल विद्युत परियोजनाओं की क्षमता पर व्यापक असर पड़ सकता है। 17 फरवरी 2023 को सामने आई…
एक निर्माणाधीन डैम की प्रतीकात्मक तस्वीर। ऊर्जा मंत्रालय ने संसद को बताया है कि सभी बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को अनुमति देने से पहले पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी ली जाती है और एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी से व्यापक आकलन करवाया जाता है। तस्वीर- इंटरनेशनल रिवर्स 
खेतों को अगली फसल के लिए तैयार करने के लिए नरवाई में आग लगा देना मिट्टी की सेहत को सबसे नुकसान में डाल देता है, इससे मिट्टी के सूक्ष्म पोषक तत्व ख़तम हो रहे हैं और मिट्टी कि उपजाऊ क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। तस्वीर- राकेश कुमार मालवीय/मोंगाबे

अब तीसरी फसल के लिए भी पराली जला रहे किसान, मिट्टी के लिए बड़ा खतरा

मध्य प्रदेश गेहूं उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर आता है। यहां के नर्मदापुरम जिले की मिट्टी को एशिया की सबसे उपजाऊ मिट्टी माना जाता है और गेहूं उत्पादन…
खेतों को अगली फसल के लिए तैयार करने के लिए नरवाई में आग लगा देना मिट्टी की सेहत को सबसे नुकसान में डाल देता है, इससे मिट्टी के सूक्ष्म पोषक तत्व ख़तम हो रहे हैं और मिट्टी कि उपजाऊ क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। तस्वीर- राकेश कुमार मालवीय/मोंगाबे
आइबिस बिल नदियों की छोटी धाराओं के छोटे द्वीपों में अपना घोंसला बनाता है, जो चट्टानों के बड़े और छोटे पत्थरों के बीच छिपा होता है। तस्वीर- नीलांजन चटर्जी 

बदलती जलवायु की वजह से खतरे में हिमालय की करिश्माई जलपक्षी आइबिस बिल की आबादी

समुद्रतल से बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में एक ऐसी पक्षी का घर है जिन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता। ये घर चट्टानों के गोल पत्थरों के बीच छिपे होते…
आइबिस बिल नदियों की छोटी धाराओं के छोटे द्वीपों में अपना घोंसला बनाता है, जो चट्टानों के बड़े और छोटे पत्थरों के बीच छिपा होता है। तस्वीर- नीलांजन चटर्जी 
अल्फांसो आम। तस्वीर – हिरेन कुमार बोस।

महाराष्ट्रः बेमौसम बारिश और अधिक गर्मी ने खराब की अल्फांसो आम की फसल, बढ़ी कीमत

बेमौसम बारिश और तापमान में अचानक हुई बढ़ोतरी ने महाराष्ट्र में अल्फांसो आम की पैदावार को कम कर दिया है। इस वजह से पिछले साल की तुलना में इन आमों…
अल्फांसो आम। तस्वीर – हिरेन कुमार बोस।
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स

नई रिपोर्ट में वैश्विक तापमान बढ़ने की आशंका, भारत में लू बनेगी घातक

संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट ने आशंका जताई है कि अगले पांच साल अब तक के सबसे गर्म हो सकते हैं। इस दौरान वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी 1.5 डिग्री…
गर्मी के मौसम में दिल्ली के मयूर विहार में नारियल पानी बेचता एक व्यक्ति। तस्वीर- अंकुर जैन/विकीमीडिया कॉमन्स
भोपाल के लहारपुरा के पास गेहूं के खेतों में लगी आग। फसल काटने के बाद कई किसान खेत साफ करने के लिए फसल अवशेष में आग लगा देते हैं। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे

पराली जलाने के मामले में मध्य प्रदेश का देश में दूसरा स्थान, सरकारी योजनाओं से बेखबर किसान

मध्य प्रदेश गेहूं उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर आता है, यह बात प्रदेश के लिए गर्व का विषय है। लेकिन इसके साथ ही मध्य प्रदेश अब फसल अवशेषों…
भोपाल के लहारपुरा के पास गेहूं के खेतों में लगी आग। फसल काटने के बाद कई किसान खेत साफ करने के लिए फसल अवशेष में आग लगा देते हैं। तस्वीर- मनीष चंद्र मिश्र/मोंगाबे
जोशीमठ में एक क्षतिग्रस्त घर। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे

उत्तराखंड: आपदा के बाद मुआवजे की धीमी रफ़्तार, जटिल प्रक्रिया से परेशान जोशीमठ के लोग

"हमारा मकान मिट्टी का बना था, जो आपदा के कारण रहने लायक नहीं बचा। अब जब हम मुआवजे के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो हमें कहा जा रहा है…
जोशीमठ में एक क्षतिग्रस्त घर। तस्वीर- मनीष कुमार/मोंगाबे
थिरुनेली सीड फेस्टिवल में दर्शाई गईं चावल की विभिन्न किस्में। तस्वीर- मैक्स मार्टिन/मोंगाबे

जलवायु अनुकूल पारंपरिक बीज और कृषि उपज का जश्न मनाता थिरुनेली का सीड फेस्टिवल

पंचरिमेलम की संगीत मंडली ने त्योहार की गूंज को केरल के मंदिर में सुरों के रंगों से सजाया हुआ था। वहीं खड़े एक बुजुर्ग अपने युवा प्रशंसकों से बीज के…
थिरुनेली सीड फेस्टिवल में दर्शाई गईं चावल की विभिन्न किस्में। तस्वीर- मैक्स मार्टिन/मोंगाबे
मुजफ्फरपुर के मणिका गांव स्थित लीची का बगान। लीची की खेती प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल के माजदिया, कालियाचक व कृष्णानगर इलाके, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले व उसके आसपास के कुछ जिलों व पंजाब के पठानकोट में होती है। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रहे हैं बिहार के लीची किसान

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी ब्लॉक में पड़ने वाले मणिका गांव के किसान राजीव रंजन की 10 हेक्टेयर जमीन में लीची का बगीचा लगा है। लेकिन इस साल बारिश…
मुजफ्फरपुर के मणिका गांव स्थित लीची का बगान। लीची की खेती प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल के माजदिया, कालियाचक व कृष्णानगर इलाके, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले व उसके आसपास के कुछ जिलों व पंजाब के पठानकोट में होती है। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
झारखंड के गोड्डा स्थित अदानी पॉवर (झारखंड) लिमिटेड का 1600 मेगावाट 0का प्लांट। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे

स्वच्छ ऊर्जा निवेश में पिछड़ रहा झारखंड, क्यों नहीं कम हो रही कोयले पर निर्भरता

भारत ग्लास्गो के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP - 26) में किये अपने स्वच्छ ऊर्जा संकल्प के पहले चरण यानी वर्ष 2030 तक बिजली की आधी जरूरत को अक्षय ऊर्जा से…
झारखंड के गोड्डा स्थित अदानी पॉवर (झारखंड) लिमिटेड का 1600 मेगावाट 0का प्लांट। तस्वीर- राहुल सिंह/मोंगाबे
हिंद महासागर में डाला गया एक एफएडी। तस्वीर- ग्रीनपीस।

मछलियों को आकर्षित करने वाले उपकरणों से हिंद महासागर की टूना प्रजाति पर बढ़ता खतरा

हिंद महासागर में टूना मछलियों की तीन व्यावसायिक प्रजातियां पाई जाती हैं और इस समय तीनों की लुप्त होने की कगार पर हैं। दुनियाभर में टूना मछलियों के कारोबार के…
हिंद महासागर में डाला गया एक एफएडी। तस्वीर- ग्रीनपीस।
रामेश्वरम के मछुआरे पकड़ी हुई मछलियों को किनारे पर लाते हुए। तस्वीर- नारायण स्वामी सुब्बारमन/मोंगाबे

प्रदूषण, नियमों की अनदेखी और भूमि रूपांतरण की वजह बनते रामेश्वरम के झींगा फार्म

भारत में, पिछले कुछ वर्षों में, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं चलाई गई हैं। इन अनुकूल नीतियों के चलते  देश में…
रामेश्वरम के मछुआरे पकड़ी हुई मछलियों को किनारे पर लाते हुए। तस्वीर- नारायण स्वामी सुब्बारमन/मोंगाबे
रामेश्वरम का एक पारंपरिक मछुआरा। तस्वीर- नारायण स्वामी सुब्बारमन / मोंगाबे

झींगा फार्म के विरोध में क्यों हैं रामेश्वरम के पारंपरिक मछुआरे

समुद्र के बीच में बसे तमिलनाडु के रामेश्वरम में यह सूरज के साथ आंख-मिचौली कर रहे बादलों के कारण यह एक धूप-छाँव वाला दिन था। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.…
रामेश्वरम का एक पारंपरिक मछुआरा। तस्वीर- नारायण स्वामी सुब्बारमन / मोंगाबे
लुप्तप्राय जंगली जल भैंस (बुबलस अरनी)। तस्वीर- सेनाका सिल्वा/विकिमीडिया कॉमन्स 

नेपालः स्वादिष्ट मोमो के लिए घरेलू और जंगली भैंसों की क्रॉस-ब्रीडिंग, मुसीबत में लुप्तप्राय प्रजाति

तीखी सॉस के साथ परोसे जाने वाले मसालेदार मांसाहारी कीमा से भरे मोमो नेपाल और तिब्बत से निकल कर दुनिया भर में लोकप्रिय हो गए हैं। यह नेपाल के लोगों…
लुप्तप्राय जंगली जल भैंस (बुबलस अरनी)। तस्वीर- सेनाका सिल्वा/विकिमीडिया कॉमन्स 
मध्य प्रदेश में नरसिंहगढ़ के पास एक ओपन पंचायत। 73वें और 74वें संशोधनों के बाद भारत ने 1990 के दशक में प्रभावी स्थानीय शासन सुनिश्चित करने की दिशा में पहला निश्चित कदम उठाया था। तस्वीर- सुयश द्विवेदी/विकिमीडिया कॉमन्स 

राज्य वित्त आयोग की खराब हालत का विकेंद्रीकरण प्रक्रिया पर असर

ठीक 30 साल पहले भारत ने शासन का विकेंद्रीकरण करना शुरू किया और संविधान में संशोधनों के जरिए ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्थानीय निकायों को सशक्त बनाया गया। इस…
मध्य प्रदेश में नरसिंहगढ़ के पास एक ओपन पंचायत। 73वें और 74वें संशोधनों के बाद भारत ने 1990 के दशक में प्रभावी स्थानीय शासन सुनिश्चित करने की दिशा में पहला निश्चित कदम उठाया था। तस्वीर- सुयश द्विवेदी/विकिमीडिया कॉमन्स 
अध्ययन के मुताबिक हिमालयी क्षेत्र में आठ से अधिक तीव्रता वाले भूकंपों को ट्रिगर करने के लिए पर्याप्त तनाव जमा हो गए हैं। तस्वीर- अब्दुलसयद/विकिमीडिया कॉमन्स

हिमालयी क्षेत्र की कमजोर स्थिति की चेतावनी देते इन इलाकों में बार-बार आते भूकंप

इस साल 21 मार्च को उत्तर भारत के कई राज्यों में लोगों ने भूकंप के तेज झटके महसूस किए और दिल्ली समेत उत्तरी राज्यों में बड़ी संख्या में लोग सड़कों…
अध्ययन के मुताबिक हिमालयी क्षेत्र में आठ से अधिक तीव्रता वाले भूकंपों को ट्रिगर करने के लिए पर्याप्त तनाव जमा हो गए हैं। तस्वीर- अब्दुलसयद/विकिमीडिया कॉमन्स