पर्यावरण से जुड़ी सुर्खियां

प्रकृति और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों की खोज खबर। मोंगाबे एक गैर-लाभकारी संस्था है।

गम्बूसिया मछली की बड़ी प्रजाति है, जिसमें 40 से ज्यादा प्रजातियां हैं और यह मुख्य रूप से मीठे पानी में पाई जाती है। इसे मॉस्किटोफिश के नाम से भी जाना जाता है। तस्वीर - एम. नोबिनराजा।

नदी जोड़ो: बढ़ सकता है विदेशी आक्रामक मछलियों का फैलाव, जैव-विविधता पर खतरा

एक नए रिसर्च से पता चलता है कि भारत की महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो (आईएलआर) परियोजना उन जलाशयों में आक्रामक विदेशी मछलियों का फैलाव बढ़ा सकती है, जो लुप्तप्राय मछली प्रजातियों…
गम्बूसिया मछली की बड़ी प्रजाति है, जिसमें 40 से ज्यादा प्रजातियां हैं और यह मुख्य रूप से मीठे पानी में पाई जाती है। इसे मॉस्किटोफिश के नाम से भी जाना जाता है। तस्वीर - एम. नोबिनराजा।
विभिन्न प्राकृतिक रंगों में रंगी टी-शर्ट। तस्वीर- बायोडाई इंडिया 

रासायनिक या प्राकृतिक? फैशन उद्योग के रंगरेज की उलझन

हाल के कुछ सालों में फैशन इंडस्ट्री प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक इस्तेमाल और सिंथेटिक रंगाई प्रक्रिया से निकलने वाले जहरीले कचरे की वजह से जांच के दायरे में आ गई…
विभिन्न प्राकृतिक रंगों में रंगी टी-शर्ट। तस्वीर- बायोडाई इंडिया 
अध्ययन में पाया गया कि जिन जगहों पर बड़े शाकाहारी जानवर पाए जाते हैं और जिन जगहों में उनकी उपस्थिति काफी कम है अगर उन क्षेत्रों की तुलना की जाए तो मेगाहर्बिवोर्स वाले इलाकों में औसतन 13 प्रतिशत अधिक स्थानीय प्रजाति के पौधे पाए गए थे। यहां आक्रामक प्रजाति 17 प्रतिशत कम देखी गई। तस्वीर- जेनिस पटेल/विकिमीडिया कॉमन्स 

विदेशी आक्रामक पौधों से निपटने में कारगार साबित हो सकते हैं बड़े शाकाहारी जीव

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की इस वर्ष प्रकाशित ‘बाघ जनगणना’ रिपोर्ट में चिंताजनक आंकड़ा सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 22 प्रतिशत प्राकृतिक क्षेत्रों पर आक्रामक खरपतवार तेजी…
अध्ययन में पाया गया कि जिन जगहों पर बड़े शाकाहारी जानवर पाए जाते हैं और जिन जगहों में उनकी उपस्थिति काफी कम है अगर उन क्षेत्रों की तुलना की जाए तो मेगाहर्बिवोर्स वाले इलाकों में औसतन 13 प्रतिशत अधिक स्थानीय प्रजाति के पौधे पाए गए थे। यहां आक्रामक प्रजाति 17 प्रतिशत कम देखी गई। तस्वीर- जेनिस पटेल/विकिमीडिया कॉमन्स 
नगांव में धान रोपते किसान। असम में किए गए एक अध्ययन के दौरान चावल के खेतों में ग्रेटर फाल्स वैम्पायर बैट को देखा गया था। तस्वीर- दिगन्त तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।

धान की फसलों के लिए प्राकृतिक कीटनाशक हैं चमगादड़,असम में एक अध्ययन में आया सामने

असम में हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि चमगादड़ धान की फसल को होने वाले नुकसान को कम करने में सहायक हो सकते हैं।…
नगांव में धान रोपते किसान। असम में किए गए एक अध्ययन के दौरान चावल के खेतों में ग्रेटर फाल्स वैम्पायर बैट को देखा गया था। तस्वीर- दिगन्त तालुकदार/विकिमीडिया कॉमन्स।
तिवरा या खेसारी का फूल। साल 2012-15 के आंकड़े बताते हैं कि देश में तिवरा का कुल क्षेत्रफल 4.93 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 3.84 लाख टन था। तस्वीर- रतन रहीम/विकिमीडिया कॉमन्स

छत्तीसगढ़ः कहां तक सही है प्रतिबंधित तिवरा या खेसारी दाल को समर्थन मूल्य के अंतर्गत लाना

पिछले 50 सालों से भी अधिक समय तक देश में प्रतिबंधित रही, तिवरा या खेसारी दाल की छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर ख़रीदी का मामला अब अटक गया है। असल…
तिवरा या खेसारी का फूल। साल 2012-15 के आंकड़े बताते हैं कि देश में तिवरा का कुल क्षेत्रफल 4.93 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 3.84 लाख टन था। तस्वीर- रतन रहीम/विकिमीडिया कॉमन्स
मैसूरु दशहरा जुलूस के दौरान देवी चामुंडेश्वरी का स्वर्णजड़ित हौदा (पालकी) ले जाते हाथी अर्जुन की एक फ़ाइल तस्वीर। तस्वीर - मधुसूदन एसआर।

मैसूरु दशहरा के मशहूर हाथी की मौत से उजागर होती कर्नाटका में हाथियों की बढ़ती दिक्क़तें

कर्नाटका के वन्यजीव प्रेमियों को पिछले साल दिसंबर का महीना बहुत ज्यादा दुखी कर गया। हासन जिले के यसलूर वन रेंज में हाथी पकड़ने के अभियान के दौरान जंगली हाथी…
मैसूरु दशहरा जुलूस के दौरान देवी चामुंडेश्वरी का स्वर्णजड़ित हौदा (पालकी) ले जाते हाथी अर्जुन की एक फ़ाइल तस्वीर। तस्वीर - मधुसूदन एसआर।
एन्नोर में मछुआरों के नौ गांवों के 2,000 से ज्यादा मछुआरे दिसंबर की शुरुआत से पास की कोसस्थलैयार नदी, एन्नोर क्रीक और बंगाल की खाड़ी में नहीं गए हैं। तस्वीर - लास्या शेखर/मोंगाबे।

तेल रिसने से मछली पकड़ने का काम बंद, एन्नोर में मछुआरों पर आजीविका का संकट

कड़ाके की ठंड वाले दिसंबर की 21 तारीख की शाम को 38 साल के मछुआरे एम संतोष कुमार ने कातर नजरों से कोसस्थलैयार नदी का सामना किया। नदी चेन्नई शहर…
एन्नोर में मछुआरों के नौ गांवों के 2,000 से ज्यादा मछुआरे दिसंबर की शुरुआत से पास की कोसस्थलैयार नदी, एन्नोर क्रीक और बंगाल की खाड़ी में नहीं गए हैं। तस्वीर - लास्या शेखर/मोंगाबे।
अपने खेत में कॉमिफोरा वाइटी (गुग्गल) से लगाई गई बाड़ के पास खड़े किसान महिपतसिंह सिंधल। तस्वीर- अजरा परवीन रहमान 

कच्छ के औषधीय पौधे ‘गुग्गल’ की कहानी, विलुप्ति के खतरे से आया बाहर

"यह बिल्कुल एक इंसान की तरह है। जिस तरह एक व्यक्ति का खून बह जाने के बाद वह जिंदा नहीं रह पाता, उसी तरह गुग्गल भी अपनी राल खो देने…
अपने खेत में कॉमिफोरा वाइटी (गुग्गल) से लगाई गई बाड़ के पास खड़े किसान महिपतसिंह सिंधल। तस्वीर- अजरा परवीन रहमान 
यूके के लंदन में करीने से सजाए गए लैंटाना से बने आदमकद हाथी। तस्वीर - मॉरीन बार्लिन/फ़्लिकर।

लैंटाना से हाथी और फर्नीचर बनाकर इस आक्रामक पौधे को खत्म करने की कोशिश

दुनिया की सबसे कुख्यात आक्रामक प्रजातियों में से एक लैंटाना (लैंटाना कैमारा ) के फैलाव को रोकने की उम्मीद के साथ साल 2009 में एक प्रयोग शुरू हुआ था। यह…
यूके के लंदन में करीने से सजाए गए लैंटाना से बने आदमकद हाथी। तस्वीर - मॉरीन बार्लिन/फ़्लिकर।
दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के पास हंगुल। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद/मोंगाबे। 

संरक्षण के बावजूद कश्मीर में नहीं बढ़ रही हंगुल की आबादी, क्या विलुप्ति की राह पर है यह शर्मीला हिरण

दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के भीतर हंगुल या कश्मीर हिरण की आबादी पर 19 सालों तक निगरानी के बाद नई जानकारियां सामने आई हैं। इनसे पता चलता है कि संरक्षण के…
दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के पास हंगुल। तस्वीर- मोहम्मद दाऊद/मोंगाबे। 
धारीदार लकड़बग्घे की प्रतीकात्मक तस्वीर। तस्वीर- ऋषिकेश देशमुख डीओपी/विकिमीडिया कॉमन्स

जानवरों के शवों को जलाने में आने वाले खर्च को बचाते हैं लकड़बग्घे

वैसे तो गिद्धों को शवों का निपटारा करने वाले जीवों के रूप में जाना जाता है लेकिन एक और ऐसा ही 'सफाईकर्मी' है जिसके योगदान को अक्सर नजरअंदाज कर दिया…
धारीदार लकड़बग्घे की प्रतीकात्मक तस्वीर। तस्वीर- ऋषिकेश देशमुख डीओपी/विकिमीडिया कॉमन्स
मालाबार हॉर्नबिल। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया साल भर मुख्य रूप से दो तरह के सर्वे करवाता है- एक प्रजाति के आधार और दूसरा क्षेत्र या संरक्षक इलाके के आधार पर। तस्वीर- अमित्व मजूमदार।

भारत में लुप्त होने की कगार पर हैं पक्षियों की तीन स्थानीय प्रजातियां

विश्व भर में पाए जाने वाली पक्षियों की विविधता में से 12.40 प्रतिशत भारत में पाए जाते हैं। दुनियाभर में पाए जाने वाले पक्षियों की कुल 10,906 प्रजातियों में से…
मालाबार हॉर्नबिल। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया साल भर मुख्य रूप से दो तरह के सर्वे करवाता है- एक प्रजाति के आधार और दूसरा क्षेत्र या संरक्षक इलाके के आधार पर। तस्वीर- अमित्व मजूमदार।
लाओस में साल 2019 में आई बाढ़। ग्लोबल साउथ में कुछ जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि कम आय वाले देशों को ज्यादा स्थानीय जलवायु अनुमान लाने होंगे ताकि वे बेहतर नीतियां विकसित कर सकें। तस्वीर- बेसिल मोरिन/विकिमीडिया कॉमन्स

आईपीसीसी रिपोर्ट के बजाए भारत को अपने जलवायु अनुमान की जरूरत, क्षेत्रीय क्लाइमेट मॉडल बेहतर

ग्लोबल नॉर्थ की तुलना में ग्लोबल साउथ खासकर दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील है। साथ ही, यह क्षेत्र ज्यादा समृद्ध और विकसित देशों की तुलना में ग्लोबल…
लाओस में साल 2019 में आई बाढ़। ग्लोबल साउथ में कुछ जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि कम आय वाले देशों को ज्यादा स्थानीय जलवायु अनुमान लाने होंगे ताकि वे बेहतर नीतियां विकसित कर सकें। तस्वीर- बेसिल मोरिन/विकिमीडिया कॉमन्स
सड़क पर आवारा कुत्तों का झुंड। तस्वीर - कोट्टाकलनेट/विकिमीडिया कॉमन्स। 

[कमेंट्री] भारत को वैज्ञानिक सोच के साथ आवारा कुत्तों से निपटना होगा

डेविड क्वामेन ने अपनी किताब ‘द सॉन्ग ऑफ द डोडो’ में लिखा है, "इस बीच, ब्रिटिश जहाजों से लाए गए घरेलू कुत्ते तस्मानिया में जंगली हो गए थे और वे…
सड़क पर आवारा कुत्तों का झुंड। तस्वीर - कोट्टाकलनेट/विकिमीडिया कॉमन्स। 
जींद जिले के किसान बूढ़ा खेड़ा गांव में हाइवे प्रोजेक्ट के लिए मिट्टी की खुदाई खे बाद अपने खेतों में अंतर दिखाते हुए। तस्वीर- सत सिंह

हाइवे के लिए खोदी खेती लायक जमीन, उपज प्रभावित

किसी भी खेत की ऊपरी मिट्टी बताती है कि उसमें होने वाली फसल कितनी प्रचुर मात्रा में होगी। हरियाणा के किसानों ने अपने इस अहम संसाधन को सरकारों को बेच…
जींद जिले के किसान बूढ़ा खेड़ा गांव में हाइवे प्रोजेक्ट के लिए मिट्टी की खुदाई खे बाद अपने खेतों में अंतर दिखाते हुए। तस्वीर- सत सिंह
वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट्स का तर्क है कि अगर एक भी हाथी को कहीं और भेजा जाता है तो वहां के बाकी के हाथियों में परिवर्तन आएगा और मूल इलाके में वे वैसी ही समस्याएं पैदा करेंगे। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन

केरल में इंसान और हाथियों के संघर्ष को कम करने के लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता

केरल के लोग शायद इस साल की शुरुआत के उन दृश्यों को कभी भुला नहीं पाएंगे जिनमें देखा गया कि एक हाथी को ट्रक पर लादा गया था और ट्रक…
वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट्स का तर्क है कि अगर एक भी हाथी को कहीं और भेजा जाता है तो वहां के बाकी के हाथियों में परिवर्तन आएगा और मूल इलाके में वे वैसी ही समस्याएं पैदा करेंगे। तस्वीर- श्रीधर विजयकृष्णन
पश्चिमी घाट में कलाकड़ मुंडनथुराई टाइगर रिजर्व के अंदर एक पवित्र स्थल पर नदी में डुबकी लगाते हुए तीर्थयात्री। बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में बने पवित्र स्थलों पर तीर्थयात्रियों की वजह से प्राचीन वनों को नुकसान पहुंच रहा है। तस्वीर- निल्लई वीकेंड क्लिकर्स 

आस्था और संरक्षण के बीच बेहतरीन तालमेल के लिए हरित तीर्थयात्रा मॉडल

भारत के तीन टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में धार्मिक गतिविधियों और संरक्षण के बीच तालमेल बिठाने के तरीकों को समझने के लिए एक दीर्घकालिक अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में…
पश्चिमी घाट में कलाकड़ मुंडनथुराई टाइगर रिजर्व के अंदर एक पवित्र स्थल पर नदी में डुबकी लगाते हुए तीर्थयात्री। बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में बने पवित्र स्थलों पर तीर्थयात्रियों की वजह से प्राचीन वनों को नुकसान पहुंच रहा है। तस्वीर- निल्लई वीकेंड क्लिकर्स 
मेघालय का एक जंगल। तस्वीर- अश्विन कुमार/विकिमीडिया कॉमन्स 

सरकार ने जंगलों से 500 मीटर दूर तेल उत्खनन तकनीक को मंजूरी दी, प्रभावों पर कोई प्राथमिक डेटा नहीं

नए सरकारी नियमों के मुताबिक, जंगलों में प्राकृतिक भंडार से तेल और गैस निकालने के लिए अब परियोजना के डेवलपर्स को वन मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। शर्त बस…
मेघालय का एक जंगल। तस्वीर- अश्विन कुमार/विकिमीडिया कॉमन्स 
गेपो आली की संस्थापक, डिमम पर्टिन (बीच में) अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के सिबुक गांव की महिला किसानों के साथ। गेपो आली स्थानीय महिलाओं की मदद से अन्यत जैसे पारंपरिक मोटे अनाज को नया जीवन देने के लिए काम करती हैं। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज/मोंगाबे।

अन्यत मिलेटः अरुणाचल की थाली में वापस आ रहा पारंपरिक खान-पान से जुड़ा मोटा अनाज

माटी पर्टिन अब इस दुनिया में नहीं है। 97 साल की उम्र में उनका निधन हुआ।  जैसे-जैसे पर्टिन की उम्र बढ़ती गईं, उन्हें अन्यत (एक तरह का मोटा अनाज) की…
गेपो आली की संस्थापक, डिमम पर्टिन (बीच में) अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के सिबुक गांव की महिला किसानों के साथ। गेपो आली स्थानीय महिलाओं की मदद से अन्यत जैसे पारंपरिक मोटे अनाज को नया जीवन देने के लिए काम करती हैं। तस्वीर-संस्कृता भारद्वाज/मोंगाबे।
एक चमगादड़ का एक मंदिर में बसेरा। तस्वीर-एस. लोकेश/मोंगाबे

[वीडियो] अंधेरे में रहने वाले चमगादड़ों के लिए कृत्रिम रोशनी कितनी नुकसानदायक

जब 2022 में चो धर्मन का उपन्यास ‘वाव्वल देसम’ (चमगादड़ों की दुनिया) प्रकाशित हुआ, तो इसने चमगादड़ों के भयानक चित्रण के लिए तमिल साहित्यिक हलकों में सनसनी फैला दी थी।…
एक चमगादड़ का एक मंदिर में बसेरा। तस्वीर-एस. लोकेश/मोंगाबे
सरिस्का बाघ अभयारण्य में झाड़ी के अंदर रॉयल बंगाल टाइगर। तस्वीर- संजय ओझा/विकिमीडिया कॉमन्स

[कमेंट्री] जैविक अतिक्रमण और पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए भारत के प्रयास

भारत, एक विशाल जैव-विविधता वाला देश, जो कि आज गैर-मूल प्रजातियों के जैविक अतिक्रमण से निपटने की चुनौती का सामना कर रहा है। बाघों जैसे खाद्य श्रृंखला के शीर्ष शिकारियों…
सरिस्का बाघ अभयारण्य में झाड़ी के अंदर रॉयल बंगाल टाइगर। तस्वीर- संजय ओझा/विकिमीडिया कॉमन्स
13 दिसंबर, 2023 को संयुक्त अरब अमीरात के दुबई  स्थित एक्सपो सिटी में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप28 के समापन समारोह के दौरान प्रतिनिधि। तस्वीर- कॉप28/क्रिस्टोफ़ विसेक्स/फ़्लिकर।

कॉप28 में जीवाश्म ईंधन से ‘दूर जाने’ का वादा लेकिन पूंजी और समान भागीदारी बड़ी चुनौती

कॉप28 में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को खत्म करने पर ऐतिहासिक समझौता हुआ है। यह करार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की अध्यक्षता में हुए 28वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी28/कॉप28) में…
13 दिसंबर, 2023 को संयुक्त अरब अमीरात के दुबई  स्थित एक्सपो सिटी में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप28 के समापन समारोह के दौरान प्रतिनिधि। तस्वीर- कॉप28/क्रिस्टोफ़ विसेक्स/फ़्लिकर।
पुट्टेनहल्ली पुट्टाकेरे झील की सतह से जलकुंभी के नरकट हटाते कुछ स्वयंसेवक। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे 

अपने आस-पास के विकास की जिम्मेदारी लेते शहरी नागरिक

8 सितंबर, 2023 को बेंगलुरु की जक्कुर झील के सामुदायिक उद्यान में एक पिकअप ट्रक में लगभग 800 पौधे पहुंचे। यहां वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा था। इस सामुदायिक उद्यान…
पुट्टेनहल्ली पुट्टाकेरे झील की सतह से जलकुंभी के नरकट हटाते कुछ स्वयंसेवक। तस्वीर- अभिषेक एन चिन्नप्पा/मोंगाबे 
कई देशों, विशेष रूप से यूरोपीय संघ द्वारा समर्थित छोटे द्वीप राज्यों ने कॉप28 में जीवाश्म ईंधन को पूरी तरह से बंद करने का आह्वान किया है। तस्वीर-

कॉप28 के समापन तक भी देशों के बीच नहीं बनी आम सहमति

अट्ठाईसवें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप28) ने सम्मेलन के पहले दिन जलवायु हानि और क्षति के लिए एक फंड शुरू करने का निर्णय देकर इतिहास रच दिया। लेकिन जैसे-जैसे दो सप्ताह…
कई देशों, विशेष रूप से यूरोपीय संघ द्वारा समर्थित छोटे द्वीप राज्यों ने कॉप28 में जीवाश्म ईंधन को पूरी तरह से बंद करने का आह्वान किया है। तस्वीर-
कॉप28 के आयोजन स्थल पर विरोध प्रदर्शन करते लोग। जलवायु वित्त और किफायती नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे और भंडारण के अभाव में, विकासशील देशों का कहना है कि उन्हें विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा के भरोसेमंद स्रोत के रूप में जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहने की आवश्यकता है।  तस्वीर- सिमरिन सिरूर/मोंगाबे 

विकसित देशों को वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उत्सर्जन में कटौती की जरूरत: विशेषज्ञ

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय ग्रीनहाउस गैस सूची के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि सबसे अमीर विकसित देशों ने पिछले दो…
कॉप28 के आयोजन स्थल पर विरोध प्रदर्शन करते लोग। जलवायु वित्त और किफायती नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे और भंडारण के अभाव में, विकासशील देशों का कहना है कि उन्हें विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा के भरोसेमंद स्रोत के रूप में जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहने की आवश्यकता है।  तस्वीर- सिमरिन सिरूर/मोंगाबे 
3 दिसंबर को दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, कॉप28 के दौरान जलवायु न्याय के लिए मानवाधिकार कार्रवाई का आह्वान करने वाले वकालत समूह। तस्वीर- COP28/वाला अलशेर/फ़्लिकर।

सैन्य संघर्ष, शांति और फिलिस्तीन ने कॉप28 पर प्रभाव डाला

जलवायु परिवर्तन पर होने वाले वार्षिक सम्मेलन की 28वीं कॉन्फरेंस ऑफ़ पार्टीज़ (कॉप28) ने दो सप्ताह तक चलने वाले शिखर सम्मेलन में राहत, पुनर्प्राप्ति और शांति के लिए एक दिन…
3 दिसंबर को दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, कॉप28 के दौरान जलवायु न्याय के लिए मानवाधिकार कार्रवाई का आह्वान करने वाले वकालत समूह। तस्वीर- COP28/वाला अलशेर/फ़्लिकर।
कांचीपुरम के बाहर एक मिल में चावल सुखाते और भूसी निकालते मजदूर। भारत की दलील है कि कृषि प्रणालियों में बदलाव के किसी भी क्रांतिकारी कदम से देश की चावल की खेती और इसके बड़े पशुधन क्षेत्र को नुकसान होगा। तस्वीर - लंदन, यूके से मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स।

कॉप28: जलवायु चर्चा में पहली बार दिखा खेती-बाड़ी का मुद्दा, दूर रहा भारत

बढ़ते तापमान पर अंकुश लगाने के तरीक़ों पर लगभग तीन दशकों से गहन बातचीत हो रही है। इस दौरान सालाना संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में खेती-बाड़ी को प्रमुखता से…
कांचीपुरम के बाहर एक मिल में चावल सुखाते और भूसी निकालते मजदूर। भारत की दलील है कि कृषि प्रणालियों में बदलाव के किसी भी क्रांतिकारी कदम से देश की चावल की खेती और इसके बड़े पशुधन क्षेत्र को नुकसान होगा। तस्वीर - लंदन, यूके से मैके सैवेज/विकिमीडिया कॉमन्स।
मोहाली में सड़क पार करते पैदल यात्री। पंजाब ने इसी साल के मई महीने से राइट टु वॉक को लागू करने का फैसला किया है। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।

पंजाब ने पैदल चलने वालों को प्राथमिकता देने के लिए लागू की नीति

पंजाब ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत राइट टू वॉक को इसी साल मई के महीने में लागू किया है। इसके लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट…
मोहाली में सड़क पार करते पैदल यात्री। पंजाब ने इसी साल के मई महीने से राइट टु वॉक को लागू करने का फैसला किया है। तस्वीर- बिस्वरूप गांगुली/विकिमीडिया कॉमन्स।
जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुए की कैमरा ट्रैप तस्वीर। एक अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और इंसानी खलल के कारण हिम तेंदुए पहाड़ों में और ज्यादा ऊंचाई की ओर जा रहे हैं। तस्वीर- जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण विभाग।

जलवायु परिवर्तन का असर, पहाड़ों पर ज्यादा ऊंचाई की तरफ जा रहे हिम तेंदुए

ग्रेटर हिमालय में लंबे समय के प्रबंधन के लिए जलवायु अनुकूल संरक्षण तरीक़ों की अहमियत पर जोर देने वाले एक नए अध्ययन से पता चलता है कि इंसानी खलल और…
जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुए की कैमरा ट्रैप तस्वीर। एक अध्ययन से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन और इंसानी खलल के कारण हिम तेंदुए पहाड़ों में और ज्यादा ऊंचाई की ओर जा रहे हैं। तस्वीर- जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण विभाग।
पचास साल में हुई डेढ़ लाख मौत, हर प्राकृतिक आपदा लेती है औसतन 20 लोगों की जान

कॉप28 ने अपनाया हानि और क्षति फंड, लेकिन प्रस्तावित राशि काफी कम

जलवायु परिवर्तन के टाले ना जा सकने वाले प्रभावों का सामना कर रहे कमजोर देशों की जरूरतों पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन 30…
पचास साल में हुई डेढ़ लाख मौत, हर प्राकृतिक आपदा लेती है औसतन 20 लोगों की जान